सम्पादकीय

खेल भी स्थगित

Triveni
5 May 2021 12:55 AM GMT
खेल भी स्थगित
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इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) का स्थगित या फिलहाल रद्द होना तय था,

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) का स्थगित या फिलहाल रद्द होना तय था, सिर्फ यह निश्चित नहीं था कि यह फैसला कब किया जाता है। जब एक के बाद एक खिलाड़ियों और अन्य संबंधित लोगों के कोरोना संक्रमित होने की खबरें आने लगीं और इस वजह से मैच रद्द करने पडे़, तो बीसीसीआई के पास आईपीएल रद्द करने के अलावा कोई चारा भी नहीं था। वैसे तो इस वक्त यह प्रतियोगिता आयोजित करने के लिए भी बीसीसीआई की बहुत आलोचना हो रही थी। हालांकि, यह कह सकते हैं कि जब इसे आयोजित करने का फैसला किया गया था, तब कोविड की लहर ज्यादा नहीं थी, लेकिन प्रतियोगिता के शुरू होते-होते लहर तेज होने लगी थी। आईपीएल की आलोचना तब और तीखी हो गई, जब विदेशी खासकर ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने भारत में कोरोना को लेकर फिक्र जतानी शुरू की और कुछ खिलाड़ियों और इसके अन्य पक्षों से जुडे़ पूर्व खिलाड़ियों ने आईपीएल छोड़ने का फैसला किया। भारत में खिलाड़ियों व बीसीसीआई के बीच जैसा रिश्ता है, उसे देखते हुए हम भारतीय खिलाड़ियों से मुखर विरोध या साफ राय देने की उम्मीद नहीं कर सकते, पर जब एक के बाद एक खिलाड़ी व सहयोगी स्टाफ बीमार होने लगे, तब बीसीसीआई के पास आयोजन रद्द करने के सिवा कोई चारा नहीं रहा।

बीसीसीआई बड़े रसूख वाले लोगों का संगठन है और इसकी हैसियत किसी आम खेल संगठन से कई गुना ज्यादा है। आईपीएल भी दुनिया का सबसे महंगा क्रिकेट आयोजन है, जिसमें कई हजार करोड़ रुपये दांव पर लगे होते हैं और इसके एक साल रद्द होने का मतलब है कई हजार करोड़ रुपये का घाटा। इससे जिनके हित जुड़े हैं, उनमें खिलाड़ियों और टीम से जुड़े लोगों के अलावा प्रायोजक, टीवी चैनल, विज्ञापन व मार्केटिंग उद्योग, टीमों को सामान मुहैया करने वाली कंपनियां शामिल हैं। इसलिए कुछ हो जाए आईपीएल रद्द नहीं होता। तमाम आलोचनाओं के बीच रसूख, लोकप्रियता और आर्थिक हितों की वजह से ही यह आयोजन इस भयावह कोविड लहर में भी चलता रहा, पर यह तकरीबन असंभव था कि अगर देश में ऐसी कोरोना लहर चल रही है, तो आईपीएल से जुड़े लोग उससे बच जाते। दावा किया जा रहा था कि आईपीएल से जुड़े लोग बायो बबल में सुरक्षित हैं, मगर ऐसे प्रकोप में कोई भी ऐसा बायो बबल कैसे सुरक्षित रह सकता है, जिसमें सैकड़ों लोग हों, जहां खिलाड़ी होटलों में रहते हों, बस से रोज स्टेडियम आते-जाते हों? वैसे भी, भारत में इस तरह की चौकसी बरतना असंभव है, खासकर जब मामला क्रिकेट जैसे लोकप्रिय खेल का हो। ऐसी खबरें आ भी रही थीं कि बायो बबल में काफी दरारें हैं और लोग अंदर-बाहर आ-जा रहे हैं। पिछले साल दुबई में आयोजन इसलिए कामयाब हो गया, क्योंकि तब कोरोना की लहर इतनी शक्तिशाली नहीं थी और यूएई में तो उसका प्रकोप और भी कम था। अब बीसीसीआई के पास सावधानी से कारोबार समेटने की जिम्मेदारी है, ताकि और ज्यादा लोग बीमार न हों। विदेशी खिलाड़ियों की भी जिम्मेदारी है, ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने भारत से किसी के आने पर पाबंदी लगा दी है। इन खिलाड़ियों को सुरक्षित रखना भी बीसीसीआई का काम है। यहां तक स्थिति पहुंचने के पहले ही आयोजन स्थगित कर दिया जाता, तो बेहतर होता, पर देर आयद दुरुस्त आयद। सलामत रहेंगे, तो खेल फिर जारी रहेगा।


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