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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) का स्थगित या फिलहाल रद्द होना तय था, सिर्फ यह निश्चित नहीं था कि यह फैसला कब किया जाता है। जब एक के बाद एक खिलाड़ियों और अन्य संबंधित लोगों के कोरोना संक्रमित होने की खबरें आने लगीं और इस वजह से मैच रद्द करने पडे़, तो बीसीसीआई के पास आईपीएल रद्द करने के अलावा कोई चारा भी नहीं था। वैसे तो इस वक्त यह प्रतियोगिता आयोजित करने के लिए भी बीसीसीआई की बहुत आलोचना हो रही थी। हालांकि, यह कह सकते हैं कि जब इसे आयोजित करने का फैसला किया गया था, तब कोविड की लहर ज्यादा नहीं थी, लेकिन प्रतियोगिता के शुरू होते-होते लहर तेज होने लगी थी। आईपीएल की आलोचना तब और तीखी हो गई, जब विदेशी खासकर ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने भारत में कोरोना को लेकर फिक्र जतानी शुरू की और कुछ खिलाड़ियों और इसके अन्य पक्षों से जुडे़ पूर्व खिलाड़ियों ने आईपीएल छोड़ने का फैसला किया। भारत में खिलाड़ियों व बीसीसीआई के बीच जैसा रिश्ता है, उसे देखते हुए हम भारतीय खिलाड़ियों से मुखर विरोध या साफ राय देने की उम्मीद नहीं कर सकते, पर जब एक के बाद एक खिलाड़ी व सहयोगी स्टाफ बीमार होने लगे, तब बीसीसीआई के पास आयोजन रद्द करने के सिवा कोई चारा नहीं रहा।