सम्पादकीय

रुला गए 'गजोधर भैया'

Rani Sahu
22 Sep 2022 6:59 PM GMT
रुला गए गजोधर भैया
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By: Divyahimachal
प्रख्यात कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव की हॉलीवुड के हास्य-पुरुष चार्ली चैपलिन से तुलना नहीं की जा सकती, क्योंकि दोनों की कॉमेडी की शैलियां भिन्न थीं, लेकिन उनके पीछे का भाव-बोध एक ही था-आम आदमी को गुदगुदाना और जी भर कर हंसाना। यह गुण, यह प्रतिभा बेहद दुर्लभ होती है। राजू और चैपलिन ने अपने तनावों, दु:ख-दर्द और संघर्षों को नेपथ्य में छिपाए रखा और लोगों को हंसाते रहे। राजू ने एक अविस्मरणीय किरदार गढ़ा-'गजोधर भैया।' वह हिंदुस्तान के आम परिवार, औसत व्यक्ति का प्रतीक बन गया। बल्कि राजू और गजोधर भैया आपस में पर्याय साबित हुए। अचानक गजोधर भैया को लंबी नींद आई है, तो आंखें नम हो रही हैं। राजू श्रीवास्तव ने मुंबई की लोकल टे्रन के पंखे, हैंडल, गिलास से लेकर भोजन, गाय और मछली आदि तक अनगिनत किरदारों से संवाद किया और अपनी कॉमेडी को बुना। उनकी मौलिकता और सूक्ष्मता एक व्यंग्य रचनाकार की थी, जिसने उन्हें कॉमेडी का 'सदाबहार चैंपियन' बना दिया।
ऐसा कलाकार दिवंगत तो हो सकता है, उसका पार्थिव देहावसान भी हो सकता है, राजू के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है, लेकिन वह कभी समाप्त नहीं हो सकता। वह अमर है, हमेशा प्रासंगिक और जीवंत बना रहेगा। राजू श्रीवास्तव की कॉमेडी के किस्से, चुटकुले और मज़ाक उन्हें हमेशा ही हमारे बीच मौजूद रखेंगे। 'सदी के महानायक' अमिताभ बच्चन हमेशा राजू की प्रेरणा बने रहे, बल्कि 'रोटी' के बंदोबस्त का आधार भी बने। वह शुरुआती दौर ऐसा था कि राजू ने खुद में ही 'अमिताभ के अवतार' की खुशफहमी पाल ली थी। वह बेहद सामान्य परिवार से थे, लिहाजा मुंबई की मायानगरी और कॉमेडी की दुनिया के एक स्थापित चेहरा बनने के लिए राजू ने भी अनथक संघर्ष किया था। मात्र 50 रुपए के लिए अमिताभ बच्चन की मिमिक्री की थी। उनके संवाद बोला करते थे। उन्होंने लालू यादव से लेकर बाबा रामदेव तक की नकल भी की। फर्जी बाबाओं के कथावाचन और गुंडई की भी कलई खोली कि आजकल यह एक 'मालदार धंधा' क्यों और कैसे बन गया है। दरअसल राजू श्रीवास्तव कॉमेडी के शोधार्थी थे। उनकी यह प्रतिभा छात्र-जीवन में ही फूट पड़ी थी, जब वह सुपरहिट फिल्म 'शोले' के किरदारों की नकल करते थे और इस तरह लड़कियों को आकर्षित करना चाहते थे। राजू ने कॉमेडी के व्यापक आयामों को खोजा और हंसी के अध्याय पेश किए। उनके समकालीन कॉमेडियन राजपाल यादव तो उन्हें 'मनोरंजन का वैज्ञानिक' मानते थे।
हमारे एक पत्रकार मित्र कानपुर के ही थे। उनका अक्सर कहना था कि कानपुर की चाय और पान की दुकानों पर ऐसी ही ठिठोलियां, किस्सागोई और ऐसे ही मज़ाक एक आम चलन हैं। राजू ने कॉमेडी की विषय-वस्तु उस माहौल से भी ग्रहण की। उनकी कला का बहुआयामी पक्ष यह था कि उन्होंने 16 फिल्मों में भी काम किया। धारावाहिकों में भी अभिनय किया और कॉमेडी मंच के तो वह 'सिकंदर' बने रहे। यह भी गौरतलब है कि राजू ने कॉमेडी को फूहड़ता से बचाए रखा। उन्होंने सार्वजनिक जीवन में भी भूमिका निभाने की कोशिशें कीं, लेकिन भाजपा के साथ उनका मन रमा। प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें 'स्वच्छता अभियान' से जोड़ा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें 'उप्र फिल्म विकास परिषद' के अध्यक्ष पद से नवाजा। दरअसल उनके व्यक्तित्व में एक 'योद्धा' भी छिपा था, लिहाजा 10 अगस्त को जिम में दिल का दौरा पडऩे के बाद दिल्ली एम्स अस्पताल में वह 42 दिन तक वेंटिलेटर पर रहे और जीवन-मौत से संघर्ष करते रहे। बीच-बीच में कुछ सुखद समाचार भी मिलते थे, लेकिन अंतिम सत्य तो नियति ने तय कर रखा था, लिहाजा राजू अचानक सो गए। शायद बहुत थक गए होंगे। प्रधानमंत्री मोदी का भी कहना है कि राजू ने हंसी और सकारात्मकता के साथ हमारे जीवन को रोशन किया था। वह हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेंगे, लिहाजा हम राजू श्रीवास्तव को 'अलविदा' कैसे कह सकते हैं। राजू श्रीवास्तव की पत्नी ने उनके निधन पर गहरा शोक मनाया तथा अति भावुक होकर उन्हें अंतिम विदाई दी। कई अन्य कलाकारों ने कहा कि वह हास्य के क्षेत्र के अमिताभ बच्चन थे। कई कलाकारों ने यह भी कहा कि उन्हें राजू श्रीवास्तव से बहुत कुछ सीखने को मिला। यह दुखद विषय है कि एक प्रतिस्पर्धी कलाकार ने उनकी मौत पर प्रतिकूल टिप्पणी की।
Rani Sahu

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