सम्पादकीय

युद्ध का हासिल

Subhi
25 May 2022 5:29 AM GMT
युद्ध का हासिल
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रूस-यूक्रेन युद्ध के तीन माह बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक युद्ध समाप्ति के कोई आसार दिखाई नहीं दे रहा है। रूस ने अपना आक्रमण एक क्षेत्र तक सीमित कर लिया है और अभी तक कीव पर कब्जा पाने एवं सत्ता को बदलने में नाकाम रहा है।

Written by जनसत्ता: रूस-यूक्रेन युद्ध के तीन माह बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक युद्ध समाप्ति के कोई आसार दिखाई नहीं दे रहा है। रूस ने अपना आक्रमण एक क्षेत्र तक सीमित कर लिया है और अभी तक कीव पर कब्जा पाने एवं सत्ता को बदलने में नाकाम रहा है। यूक्रेन में चारों ओर तबाही का मंजर है। पचास लाख से अधिक यूक्रेनी नागरिकों ने दूसरे देशों में शरण ले रखी है। नाटो सदस्य देशों की सहायता से आज भी यूक्रेन मैदान में रूसी सैनिकों जवाब दे रहा है।

कई जगहों पर यूक्रेनी सेना ने रूसी सैनिकों को पीछे जाने पर मजबूर कर दिया है, लेकिन धरातल पर अभी हार-जीत का निर्णय नहीं हो सका है। यूक्रेन की राजधानी कीव में अब स्थिति सामान्य हो रही है। कई देशों के दूतावास फिर से खोले जा रहे हैं। इस युद्ध में रूस को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। कई देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाया है और हजारों रूसी सैनिक शहीद हुए हैं। इस युद्ध में मानवता शर्मसार हो रही है और पूरी दुनिया तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ी है। सभी देशों को मिलकर यूक्रेन संकट के समाधान का मार्ग तलाशना चाहिए।

उत्तर प्रदेश के महोबा रेलवे स्टेशन पर भारतीय खाद्य निगम की एक बड़ी लापरवाही देखने को मिली है, जिसमें करीब 15,000 बोरे में रखे गए हजारों टन चावल मूसलाधार बारिश के कारण खराब हो गए। यह अफसोसनाक घटना सरकारी स्तर पर और ठेकेदार के स्तर पर भी एक बड़ी अव्यवस्था की तरफ इशारा करती है। भारतीय खाद्य निगम को अवश्य ही इस बड़े नुकसान का संज्ञान लेकर कठोर प्रशासनिक कदम उठाने चाहिए।

यह माना जा रहा है कि यह चावल अंत्योदय और पात्र लाभार्थियों को वितरण किया जाना था, जिस पर एक बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। अगर सरकारी तंत्र और ठेकेदारों की लापरवाही के कारण गरीबों को खाने की सामग्री भी समय पर न मिले तो इसकी गंभीरता को ध्यान में रख कर एक निष्पक्ष जांच का होना बेहद जरूरी है। इतना ही नहीं मोहबा गल्ला मंडी में भी मटर चना मूंगफली आदि खाद्य सामग्री को भी भारी नुकसान पहुंचने की खबर है, जिसकी जिम्मेदारी संबंधित मंडी प्रशासन की है। हजारों टन खाद्यान्न सामग्री का खराब होना और गरीबों के लिए खाद्यान्न की कमी का होना देश का एक बड़ा नुकसान है।


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