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- गडकरी का 'वैक्सीन'...
केन्द्रीय भूतल परिवहन मन्त्री श्री नितिन गडकरी की गिनती उन राजनीतिज्ञों में होती है जो सच को स्वीकार करने में कोई झिझक महसूस नहीं करते हैं और सत्य बोलने में भी कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाते हैं। उन्हें सत्ता और विपक्ष दोनों ही तरफ रहने का अच्छा अनुभव भी है अतः वह लोकतन्त्र की उस धारा में पक्का यकीन रखते हैं जो केवल लोक हित या जन कल्याण को राजनीति का लक्ष्य निर्धारित करती है। प्रजातन्त्र में इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई राजनेता सत्ता में है या विपक्ष में बैठा हुआ है बल्कि फर्क इस बात से पड़ता है कि उसकी दृष्टि लोक कल्याण की किस सीमा तक जाकर अटकती है। संसदीय प्रणाली में बेशक सरकार बहुमत प्राप्त राजनीतिक दल की होती है मगर इसमें सक्रिय हिस्सेदारी विपक्षी खेमों में बैठे हुए राजनीतिक दलों की भी होती है। इतना ही नहीं सत्ताधारी दल के भीतर भी कभी-कभी मत-भिन्नता पाये जाने पर लोकतान्त्रिक शासन सबको समाहित करके जनता की सरकार का स्वरूप लेता है। इसकी असली वजह जन-पीड़ा या जनता की समस्याओं के समाधान हेतु विभिन्न पक्षों या समूहों अथवा व्यक्तियों द्वारा दिये गये सुझाव होते हैं जिनकी व्यावहारिकता को शासकीय कसौटी पर कस कर सरकार स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए स्वतन्त्र होती है। इस मामले में किसी समस्या की गंभीरता के विशेष मायने होते हैं।