सम्पादकीय

गडकरी की नई 'स्क्रैप नीति'

Gulabi
20 March 2021 1:37 PM GMT
गडकरी की नई स्क्रैप नीति
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नितिन गडकरी

इस वास्तविकता से बहुत कम लोग ही असहमत हो सकते हैं कि केन्द्रीय सड़क व परिवहन मन्त्री श्री नितिन गडकरी मोदी मन्त्रिमंडल के नवरत्नों में से सबसे ज्यादा जगमगाते रत्न हैं। वह अपनी नीतिगत दूरदर्शिता के लिए राजनीति में पक्की पहचान बना चुके हैं। राजनीतिज्ञ का काम राजनीति को जमीन पर कलात्मक रूप में उतारने का होता है। इस कार्य में भविष्य की चुनौतियों का निपटारा करना उसके लक्ष्य पर इस प्रकार रहता है कि भावी पीढि़यों का जीवन सुगम बने। श्री गडकरी ने लोकसभा में जिस 'मोटर वाहन स्क्रैप नीति' की घोषणा की है वह इसी तथ्य का ही प्रतीक है। इसमें आने वाली पीढि़यों के साथ ही वर्तमान पीढ़ी को भी सुरक्षा का वातावरण देने व पर्यावरण को आधिकारिक प्रदूषण मुक्त रखने की नीयत समाहित है। श्री गडकरी ऐसे सड़क परिवहन मन्त्री कहलायेंगे जिनके नेतृत्व में देश में सर्वाधिक राजमार्गों का निर्माण हो रहा है और अधिक से अधिक शहरों को आपस में त्वरित मार्गों से जोड़ा जा रहा है।

वह दिल्ली से देहरादून की दूरी केवल दो घंटे में तय करने की योजना पर आगे बढ़ रहे हैं तो वहीं मुम्बई से पुणे तक की दूरी उन्होंने आधे समय में ही पूरी करने की योजना को लागू कर डाला है। मगर यह भी देखना है कि जल मार्गों के निर्माण के वादे और उनकी घोषणाओं का हश्र क्या होता है? जहां तक पुराने मोटर वाहनों को सड़कों से दूर रखने का सवाल है तो उन्होंने इस बारे में विस्तृत खाका खींचते हुए आम जनता को इस प्रकार राहत देने का वादा किया है कि लोग अपने 20 साल पुराने वाहन बेच कर नये वाहन खरीदने के लिए प्रेरित हो सकें।


श्री गडकरी प्रयोगवादी मन्त्री भी हैं जो लगातार बेहतरी के लिए प्रयोग करना जरूरी समझते हैं। उन्होंने अपने चुनाव क्षेत्र नागपुर में बिजली से चलने वाली बस चला कर पूरे देश में इसका प्रचलन बढ़ाया और आज हालात यह हैं कि प. बंगाल का कोलकाता शहर इस क्षेत्र में दुनिया के छह बड़े शहरों में से एक है। वह जब नया मोटर वाहन कानून लाये तो कई राज्यों ने इसका विरोध भी किया परन्तु उनकी मंशा साफ थी कि भारत में सड़कों पर यातायात सुरक्षित व नियन्त्रित तरीके से हो और सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या कम से कम हो। वाहन चालकों में आदमी की जान की कीमत का महत्व इस तरह बने कि वह 'स्व नियन्त्रण' को सुरक्षाचक्र की भांति ले। जहां तक पुराने मोटर वाहनों को सड़कों से दूर करने और इन्हें कबाड़ या स्क्रैप में तब्दील करने की नीति का सवाल है तो श्री गडकरी ने साफ कर दिया है कि 15 साल पुराने वाणिज्यिक व 20 साल पुराने निजी वाहनों को अब सड़क पर तभी चलाया जा सकेगा जब वे 'फिटनेस सर्टिफिकेट' (चालन दक्षता प्रमाणपत्र) ले लेंगे ।

नये नियमों के तहत इस प्रमाणपत्र को प्राप्त करने की फीस बीस गुना अधिक तक हो सकती है। इसका मतलब यही निकलता है कि श्री गडकरी पुराने वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट लेने के लिए प्रेरित करने के बजाय उन्हें स्क्रैप में तब्दील करने को प्रेरित करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने ऐसा नीति घोषित की है जिससे पुराने वाहनों के मालिक नये वाहन खरीदने को स्वतः प्रेरित होंगे।
मसलन अपने पुराने वाहन को स्क्रैप में तब्दील कराने का सबूत हासिल करने वाले व्यक्ति को नया वाहन पांच प्रतिशत कम दाम पर कम्पनी से ही मिलेगा। (इसके लिए गडकरी मोटर कम्पनियों से बात कर रहे हैं) और बैंकों से वित्तीय मदद के रास्ते खुले रहेंगे। उम्मीद की जा रही है कि अपने पुराने वाहनों को स्क्रैप में तब्दील करने वाले वाहन मालिकों को बैंक और अधिक सुगमता से कर्ज देंगे। इसके साथ ही राज्य सरकारों से परिवहन मन्त्री बात कर रहे हैं कि वे स्क्रैप सबूत रखने वाले वाहन मालिकों को सड़क कर (रोड टैक्स) में 25 प्रतिशत की छूट दें और पंजीकरण फीस भी माफ कर दें।

श्री गडकरी ने नये वाहनों की खरीद पर जीएसटी की दरें भी कम करने की अपील की है। ये सब फैसले श्री गडकरी इसीलिए ले रहे हैं जिससे भविष्य में वायु प्रदूषण कम से कम हो सके और पेट्रोल ईंधन खर्च भी किफायती हो सके। इसके लिए पूरे देश में वाहनों को कबाड़ में तब्दील करने वाले समन्वित केन्द्र स्थापित किये जायेंगे। ऐसा पहला केन्द्र गुजरात के 'अलंग' में बनेगा जो पहले से ही पुराने पानी के जहाजों को कबाड़ में तब्दील करने का एक केन्द्र है। इस नीति की शुरूआत श्री गडकरी सबसे पहले सरकार द्वारा प्रयोग किये जा रहे वाहनों से ही करेंगे जिससे निजी क्षेत्र के लोग प्रेरणा ले सकें। फिलहाल विभिन्न सरकारी विभागों के पास दो लाख 37 हजार ऐसा वाहन हैं जो 15 साल पुराने हैं।
अप्रैल 2022 से इनका कबाड़ीकरण शुरू हो जायेगा और इनके स्थान पर नये वाहन खरीदे जायेंगे। इस नई नीति से एक तरफ मोटर वाहन उद्योग में कम से कम दस हजार करोड़ रुपए का नया निवेश होगा, वहीं साथ में 35 हजार के लगभग लोगों को रोजगार मिलेगा। परन्तु 2015 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 'नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल' ने फैसला देकर कहा था कि दिल्ली व आसपास के क्षेत्रों में दस साल से पुराने डीजल वाहन और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहन निश्चित तिथि के बाद नहीं चलेंगे। अब श्री गडकरी नये नियम लेकर आये हैं । ये नियम संसद बना रही है अतः देश की सर्वोच्च संस्था द्वारा बनाये गये नियम पुराने नियमों को पार कर जायेंगे या नहीं, यह देखने वाली बात होगी। श्री गडकरी नयी स्क्रैप नीति नये मोटर वाहन कानून के घेरे में लाये हैं और यह कानून पूरे देश में लागू हो चुका है तो नई स्क्रैप नीति भी पूरे देश मे लागू होनी चाहिए। सामान्य तर्क यही कहता है।


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