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- जी-7 का वैक्सीनेशन...
आदित्य चोपड़ा | भारत समेत तमाम बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को कोरोना के ग्रहण का शिकार होना पड़ा है। कोरोना का वायरस देशों की सीमाओं पर राष्ट्रीयताओं की परवाह नहीं करता। दूसरी लहर ने भारत में जो कहर ढाया है, वैसे अनुभव से अनेक देश गुजर चुके हैं। ऐसी स्थिति में फिर से महामारी की नई लहर की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता। सबसे ज्यादा चिंता गरीब और छोटे देशों की है, जहां के लोगों का टीकाकरण किया जाना बहुत जरूरी है। कोरोना वायरस पर विजय पाने का एक मात्र समाधान वैक्सीनेशन ही है। अगर विकसित देशों ने कोरोना की चेन को तोड़ने में सफलता पाई है लेकिन दूसरे देशों में कोरोना फैल रहा है तो इसका अर्थ यही है कि महामारी खत्म नहीं हुई है। वैश्वीकरण के दौर में हर छोटे-बड़े देश आपस में जुड़े हुए हैं। लोगों का आवागमन होता रहता है। आयात, निर्यात और निवेश के तार अन्तर्राष्ट्रीय बाजार से जुड़े हुए हैं और लॉकडाउन लम्बे अर्से तक लागू किया जाना सम्भव नहीं है। ऐसी स्थिति में पूरी दुनिया को आपस में सहयोग और समन्वय कायम कर महामारी से जंग लड़नी होगी। इस महामारी को हराने के लिए यह जरूरी है कि दुनिया के सबसे मजबूत और अमीर लोकतांत्रिक देश आगे आएं। इस दिशा में जी-7 देशों ने एक सकारात्मक पहल की है।