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आदित्य चोपड़ा| दुनिया के सात बड़े विकसित व औद्योगीकृत राष्ट्रों ब्रिटेन, जर्मनी, इटली , फ्रांस, जापान, कनाडा व अमेरिका के 'समूह-सात' ने पूरे विश्व में खुले या उदार समाज की वकालत करते हुए जिस तरह अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता को विश्व मन्त्र बनाने का आह्वान करते हुए इसे प्रजातन्त्र की ऐसी संरक्षक शक्ति की संज्ञा दी है जिससे लोग बिना किसी डर व दबाव के अपना जीवन व्यतीत कर सकें। यह वैचारिक स्वतन्त्रता आज की बदलती दुनिया में ऑनलाइन (इंटरनेट के माध्यमों से) व दूसरे माध्यमों (ऑफलाइन) में भी होनी चाहिए। समूह ने इस आशय का संयुक्त घोषणापत्र जारी करके आगाहा किया है कि जानबूझ कर जब कुछ फायदों के लिए इंटरनेट पर प्रतिबन्ध लगाया जाता है तो इससे अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता व लोकतन्त्र के लिए खतरा पैदा होता है। समूह के लन्दन में चल रहे सम्मेलन के अंतिम दिन जब इस आशाय का प्रस्ताव पारित किया गया तो उसमें मुख्य वक्ता भारत के प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी थे जिन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये इसे सम्बोधित किया।