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- जी-20 का ‘जन्नत’

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By: divyahimachal
कश्मीर एक बार फिर ‘जन्नत’ सा लग रहा है। रात में भी रंगीन रोशनियों में सराबोर है। डल झील लहरा रही है मानो नृत्य की मुद्रा में हो! शिकारे सैलानियों से लबालब हैं। पर्यटन विभाग के मुताबिक, 26 लाख से अधिक पर्यटक कश्मीर आ चुके हैं। अनुमान है कि इस साल यह आंकड़ा 2 करोड़ को पार कर जाएगा। सामान्य हालात का यह साक्षात पक्ष है। कश्मीर का परिसंस्कार किया जा रहा है। जिस ‘लाल चौक’ इलाके में पाकिस्तान का फरमान चलता था और उसी का झंडा लहराता हुआ दिखता था। हड़ताल का आदेश-सा होता था, तो बाजार बंद करने पड़ते थे और मौत का सा सन्नाटा पसरा रहता था। आज ‘लाल चौक’ और इर्द-गिर्द के इलाकों में ‘तिरंगा’ लहरा रहा है। चारों ओर हलचल और गहमागहमी का माहौल है, क्योंकि कारोबार लगातार जारी है। निवेश भी आ रहा है। नई अपेक्षाएं और उम्मीदें हैं। पत्थरबाज नौजवान अब काम में जुट रहे हैं और राज्य का चौतरफा विकास देखने को लालायित हैं। कश्मीर का यह माहौल फिलहाल और अस्थायी नहीं है। अनुच्छेद 370 रद्द करने के बाद ऐसा अंतरराष्ट्रीय आयोजन किया गया है। जी-20 के 29 देशों के 61 प्रतिनिधियों ने कश्मीर बैठक में शिरकत की है। बैठक 24 मई तक जारी रहेगी। प्रतिनिधि पर्यटन, फिल्मों की शूटिंग, स्किल्स, गन्तव्य प्रबंधन, हरित पर्यटन आदि से जुड़े पहलुओं पर विमर्श कर रहे हैं। वैश्विक पर्यटन में कश्मीर भी एक आयाम होगा। जी-20 के भारतीय शेरपा अमिताभ कांत की टिप्पणी के व्यापक अर्थ हैं कि फिल्म निर्माण और रोमांस के लिए कश्मीर से बेहतर स्थान कोई और नहीं है। आतंकवाद के हत्यारे, अलगाववादी और तनावपूर्ण दौर के बाद जब कश्मीर का ‘जन्नत’ बहाल होता दिख रहा है, तो सुकून होता है और हमारी संप्रभुता की अखंडता भी सुनिश्चित होती है।
इस परिवर्तन का श्रेय जी-20 के आयोजन को भी दिया जाना चाहिए। भारत इस वर्ष जी-20 देशों की अध्यक्षता कर रहा है। सितंबर माह में ‘शिखर सम्मेलन’ आयोजित होगा, जिसमें इन देशों के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री भाग लेंगे। चीन ने श्रीनगर में जी-20 की बैठक का बहिष्कार किया है, क्योंकि चीन आज भी जम्मू-कश्मीर को ‘विवादित क्षेत्र’ मानता है। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, यह वैश्विक तौर पर स्पष्ट है। चीन ने पाकिस्तान का समर्थन करते हुए बहिष्कार का निर्णय लिया है। यदि वह शिरकत करता, तो उसकी अतिक्रमणवादी, एकतरफा नीतियों पर बैठक में सवाल किए जा सकते थे। पाकिस्तान का जी-20 से कोई लेना-देना नहीं है। वह न तो सदस्य है और न ही मेहमान की तरह उसे न्यौता दिया गया है। बहरहाल चीन के अलावा सऊदी अरब, तुर्किए और मिस्र ने भी अपने अधिकृत प्रतिनिधि नहीं भेजे हैं, लेकिन उन देशों की निजी कंपनियों, ट्रेवल एजेंट्स और टूर ऑपरेटर्स आदि ने शिरकत की है। यह इन देशों का दोगलापन है। दुनिया जानती है कि जब फरवरी में तुर्किए में महाविनाशकारी भूकंप आया था, तो भारत ने ‘ऑपरेशन दोस्त’ के जरिए उस देश की कितनी मदद की थी? कितनी जानें बचाई थीं? कितनों को भोजन, पानी, दूध मुहैया कराया गया था? सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा कारोबारी सहयोगी रहा है। फिर भी बहिष्कार समझ के परे है। मिस्र भी सदस्य नहीं, मेहमान देश है। इंडोनेशिया सरीखे इस्लामिक देशों ने भी शिरकत की है। जी-20 दुनिया का सबसे बड़ा, सम्पन्न, कारोबारी, समृद्ध और शक्तिशाली देशों का मंच है।

Rani Sahu
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