सम्पादकीय

जी-20 से बढ़ी डिजिटल अहमियत

Rani Sahu
17 Sep 2023 6:48 PM GMT
जी-20 से बढ़ी डिजिटल अहमियत
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यकीनन जी-20 शिखर सम्मेलन के ऐतिहासिक सफल आयोजन से जहां दुनिया में भारत की डिजिटल अहमियत मजबूत हुई है, वहीं भारत की नई डिजिटल पूंजी भारत की आर्थिक ताकत बनते हुए दिखाई दे रही है। अब भारत जी-20 देशों के साथ-साथ दुनिया के कई अन्य देशों के लिए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) विकसित करने की नई भूमिका में है। दुनिया के आठ देशों ने अपने यहां डीपीआई के विकास के लिए भारत से समझौते किए हैं। गौरतलब है कि जी-20 में भाग लेने भारत आए विदेशी राष्ट्र प्रमुखों और प्रतिनिधियों ने आयोजन स्थल भारत मंडपम में भारत की डिजिटल क्रांति और भारत की बढ़ती डिजिटल ताकत को देखा है। उन्होंने डिजिटल इंडिया के लिए भारत के आधार, डीजीलॉकर, ई-संजीवनी, दीक्षा, भाषिणि, ओएनडीसी जैसे महत्वपूर्ण कदमों, कोविन, उमंग, जनधन, ई-नाम, जीएसटी, फास्ट टैग और ऐसी ही कई गेम चेंजर पहलों, अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर देश की बदली हुई वित्तीय तस्वीर के साथ यूपीआई और भारत बिल पेमेंट के जरिए सीमा पार भी बिलों के भुगतान की अनूठी पहल को भी देखा है। साथ ही अनुभव किया है कि डिजिटल पूंजी को तेजी से बढ़ाने में भारत दुनिया में शीर्ष स्थान पर है। यह भी उल्लेखनीय है कि इसी वर्ष 2023 में जी-20 की अध्यक्षता के दौरान देश के कोने-कोने में करीब 60 शहरों में करीब 200 कार्य समूह की बैठकों में कोई 125 देशों के भारत आए एक लाख से अधिक विदेशी प्रतिनिधियों ने भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लाभों को नजदीक से देखा है। हाल ही में 9 सितंबर को वल्र्ड बैंक के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार द्वारा शुरू की गई डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर से भारत ने केवल 9 सालों में वित्तीय समावेशन के वे लक्ष्य हासिल कर लिए हैं जिसमें परम्परागत तरीके से सामान्य रूप से 50 साल लग जाते।
जनधन खाते (जे), आधार कार्ड (ए) और मोबाइल उपभोक्ता (एम) के तीन आयामी जैम से आम आदमी से लेकर सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था को असाधारण लाभ पहुंचा है। इसी प्रकार इन्फोसिस के सह संस्थापक और चेयरमैन नंदन नीलेकणी का भी कहना है कि भारत ने अपने अनोखे डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और नई डिजिटल पूंजी के सहारे पिछले 9 साल में वह कर दिखाया, जो पारंपरिक तरीके से काम करने में 47 साल लग जाते। वस्तुत: मूल रूप से हुआ यह है कि नए डिजिटल दौर में भारत ऑफलाइन, अनौपचारिक और कम उत्पादकता वाली सूक्ष्म अर्थव्यवस्था से हटकर ऑनलाइन, औपचारिक और अधिक उत्पादकता वाली व्यापक अर्थव्यवस्था की ओर तेजी से बढ़ा है। डिजिटल प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए भारत बैंकिंग क्षेत्र में सबसे कम सुविधाओं वाले देश से अब विश्व के सबसे ज्यादा वित्तीय रूप से समावेशी देश बनने में कामयाब हुआ है। जहां विश्व के अधिकांश देशों में डेटा का उपयोग कंपनियों द्वारा लोगों को माल बेचने और सरकार के विज्ञापन के लिए किया जाता है, वहीं भारत में ऐसा डिजिटल आर्किटेक्चर है जहां प्रत्येक व्यक्ति और प्रत्येक व्यवसाय डिजिटल फुटप्रिंट अपनी अनुकूलता से इस्तेमाल कर सकता है। उल्लेखनीय है कि देश में बढ़ती हुई डिजिटल पूंजी का आधार केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) है। इस योजना के नौ साल पूरे हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को बैंक अकाउंट की सुविधा मुहैया कराने के लिए इस योजना की शुरुआत की थी। इसका एक उद्देश्य उन लोगों तक सीधी पहुंच बनाना था, जो सरकारी योजनाओं के तहत लाभान्वित होते थे, लेकिन बैंक अकाउंट नहीं होने के कारण उन्हें दलालों या बिचौलियों के माध्यम से नकद भुगतान प्राप्त करना पड़ता था। पीएमजेडीवाई खाताधारकों को कई लाभ प्रदान करता है।
इसमें खाते में न्यूनतम राशि रखने की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा मुफ्त रुपे डेबिट कार्ड, दो लाख रुपये का दुर्घटना बीमा और 10000 रुपये तक की ओवरड्राफ्ट सुविधा जैसी सेवाएं इसमें शामिल हैं। जनधन योजना के जरिए आए बदलाव और डिजिटल परिवर्तन ने देश में वित्तीय समावेशन में क्रांति ला दी है। यह योजना दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहलों में से एक है। योजना के तहत बैंक खातों की संख्या मार्च 2015 में 14.72 करोड़ से बढक़र 16 अगस्त 2023 तक 50.09 करोड़ हो गई। कुल जमा राशि भी मार्च 2015 तक 15670 करोड़ रुपये से बढक़र अगस्त 2023 तक 2.03 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। यह भी महत्वपूर्ण है कि वर्ष 2014 से लेकर अब तक डीबीटी के जरिए 29 लाख करोड़ रुपये से अधिक राशि सीधे लाभान्वितों के बैंक खातों तक पहुंचाई गई है। पिछले नौ साल में डीबीटी स्कीम से 2.73 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत हुई है। 27 जुलाई 2023 तक किसान सम्मान निधि योजना के तहत 14 किस्तों में 11 करोड़ से अधिक किसानों के खातों में डीबीटी से सीधे करीब 2.59 लाख करोड़ रुपए से अधिक हस्तांतरित किए जा चुके हैं। यह अभियान दुनिया के लिए मिसाल बन गया है और इससे छोटे किसानों का वित्तीय सशक्तिकरण हो रहा है। डिजिटल पेमैंट के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल है और डिजिटल पेमैंट में भारत ने अमेरिका, यूके और जर्मनी जैसे बड़े देशों को पीछे कर दिया है। देश यूपीआई के जरिए लेन-देन का आंकड़ा अगस्त 2023 में 10 अरब को पार कर गया। इसका मूल्य 1518456 करोड़ रुपए से अधिक रहा है। इसके पहले जुलाई माह में यूपीआई लेन-देन की संख्या 9.96 अरब थी।
ये सब सेवाएं भारत में डिजिटल पूंजी के विकास और डिजिटल गवर्नेंस के एक नए युग की प्रतीक हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि देश में बढ़ती हुई डिजिटल पूंजी देश की नई पीढ़ी के रोजगार व करियर का नया आधार बन गई है। अमेजॉन वेब सर्विसेज इन कारपोरेशन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2025 तक डिजिटल स्किल्स से सुसज्जित युवाओं की मांग में नौ गुना वृद्धि होगी। अमेरिका के प्रसिद्ध मैकेंजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट के मुताबिक भारत में डिजिटल सेक्टर में 2025 तक 6.5 करोड़ नौकरियां निर्मित होंगी। ऐसे में डिजिटल स्किल्स वाली डिजिटल पूंजी को मुठ्ठी में लेकर भारत की नई पीढ़ी देश और दुनिया में इंडस्ट्री, बिजनेस, फायनेंस, इंश्योरेंस, बैंकिंग, मार्केटिंग, हेल्थ, मैन्यूफैक्चरिंग और मैनेजमेंट आदि क्षेत्रों के मौके तेजी से प्राप्त करते हुए दिखाई देगी। हम उम्मीद करें कि 9-10 सितंबर को जी-20 के शिखर सम्मेलन के दौरान दिल्ली में 29 सबसे बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्ष और दुनिया के 14 अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के प्रमुखों द्वारा जिस तरह भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की सराहना की गई है, उससे भारत के डिजिटल दौर को नई ताकत मिलेगी। हम उम्मीद करें कि देश का इलेक्ट्रानिक्स व आईटी मंत्रालय दुनिया के अधिक से अधिक देशों के साथ डीपीआई विकसित करने और दुनिया में छा जाने की ताकत रखने वाले भारत के प्रमुख डिजिटल उत्पाद यूपीआई, वन वल्र्ड, फिक्शनललेस क्रेडिट प्लेटफॉर्म, सेन्ट्रल बैंक डिजिटल करेंसी, रूपे आन दि गो और भारत बिल पेमेंट सिस्टम वाणिज्यिक लाभ प्राप्त करने हेतु रणनीतिक रूप से आगे बढ़ेगा। निश्चित रूप से इससे भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ-साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था भी लाभान्वित होगी।
डा. जयंती लाल भंडारी
विख्यात अर्थशास्त्री
By: divyahimachal
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