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विगत पांच दशकों से मैं परिवार सहित मराठवाड़ा के नांदेड़ शहर की मिश्र.भाषा संस्कृति में जीवनयापन कर रहा हूं। मराठी मातृभाषा प्रभावयुक्त इस मराठी आंचल में राजभाषा हिंदी हमारी प्रधान बोली है क्योंकि घर में यही भाषा बोली जाती है। लेकिन घर की चौखट लांघते ही बाहर मराठी की स्वाभाविकता अपने आप प्रवाहित हो उठती है। एक लंबे अरसे से मराठी और हिंदी पत्रकारिता एवं साहित्य क्षेत्र में सेवारत होने के कारण यहां इस मराठी आंचल में पंजाबी, सिंधी, तेलगु, कन्नड़, राजस्थानी, गुजराती, उर्दू और दखनी (हैदराबादी) भाषाओं को भी सुनने का प्रतिदिन अवसर प्राप्त होता है। इस कारणवश हमारी हिंदी भाषा में दखनी, पंजाबी और अन्य भाषाओं के शब्दों का उपयोग सामान्य बात मानी जाती है। मराठवाड़ा का मूल निवासी दुनिया में कहीं भी चला जाए, अपनी मिश्रित तड़के वाली हिंदी भाषा के प्रयोग को लेकर वह आसानी से पहचान लिया जाता है कि बंदा कहां से आया है।