सम्पादकीय

हास्यास्पद कार्रवाई

Gulabi
22 Oct 2020 3:29 AM GMT
हास्यास्पद कार्रवाई
x
यह घटना जितनी दर्दनाक है, उसके बाद के घटनाक्रम उतने ही हास्यास्पद हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यह घटना जितनी दर्दनाक है, उसके बाद के घटनाक्रम उतने ही हास्यास्पद हैं। असम के लमडिंग रिजर्व फॉरेस्ट में 27 सितंबर को मालगाड़ी की टक्कर से 35 साल की एक हथिनी और उसके नन्हे बच्चे की मौत हो गई। जाहिर है, संबंधित वन अधिकारियों द्वारा वन्य-जीव (संरक्षण) कानून 1972 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया और एक विभागीय जांच टीम गठित की गई। उधर रेल विभाग ने अपनी प्राथमिक जांच के बाद मालगाड़ी के पायलट और सहायक को निलंबित कर दिया। लेकिन 20 अक्तूबर को वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने आंतरिक जांच-निष्कर्षों के आधार उस डीजल इंजन को जब्त कर लिया, जिससे कटकर हथिनी और उसके बच्चे की मौत हुई थी। शायद पहली बार एक रेल इंजन को किसी इंसान की आपराधिक लापरवाही का दंड भुगतना पड़ा है। यह पूरा घटनाक्रम हमारी कानूनी प्रक्रिया पर एक गंभीर व्यंग्य है।

यह कोई पहली घटना नहीं है, और हम दावा भी नहीं कर सकते कि आखिरी होगी। यथार्थवादी नजरिए के कारण ही नहीं, ऐसा इसलिए भी कि जिस यांत्रिक तरीके से हमारे अधिकारी कानून लागू करते हैं और कार्रवाई की प्रक्रिया पूरी कर अपने दायित्व से मुक्त हो लेते हैं, उससे हालात में बेहतरी की गुंजाइश नहीं बनती। क्या यह बताने की जरूरत होनी चाहिए कि इंसानों के खिलाफ हुए अपराधों की जांच व सुनवाई में ही वे बेहद संवेदनहीन रवैया अपनाते हैं? ऐसे कितने ही उदाहरण गिनाए जा सकते हैं, जब अपराध या जुर्म जैसे शब्द से नावाकिफ मासूम बच्चों को मुकदमों में नामजद कर दिया गया। फिर ऐसे तंत्र और समाज से हाथियों या अन्य संरक्षित जीवों के प्रति संवेदनशील नजरिया अपनाने की अपेक्षा भी कैसे कोई करे? सरकार ने खुद इसी साल राज्यसभा में बताया था कि साल 2014 से 2019 के बीच देश में 510 हाथी मारे गए, बिजली करंट से, टे्रनों से कटकर या फिर शिकारियों, ग्रामीणों द्वारा विष देकर।

राजकीय अभयारण्यों या संरक्षित वन क्षेत्रों से गुजरने वाले रेल-मार्गों के बारे में पहले से ही कायदे-कानून हैं कि उनकी सीमा में गाड़ियों की रफ्तार कितनी होनी चाहिए। बावजूद इसके ऐसी घटनाएं हर कुछ अंतराल पर मीडिया में सुर्खियां बटोरती रहती हैं। लमडिंग रिजर्व फॉरेस्ट के अधिकारियों का दावा है कि रेलवे से यह लिखित अनुरोध काफी पहले किया जा चुका है कि इस वन क्षेत्र में गाड़ियों की गति 30 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक नहीं होनी चाहिए। इंजन जब्त करने की उनकी कार्रवाई से संकेत मिलता है कि तय गति-सीमा का उल्लंघन हुआ था। लेकिन इंजन जब्त करके वन विभाग क्या संदेश देना चाहता है? वह कोई निजी वाहन है, जिसे कानूनी प्रक्रिया पूरी होने तक किसी थाने में सड़ने के लिए फेंक दिया जाए? हमारे देश में हर वर्ष कई रेल दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें काफी सारे नागरिकों की जान चली जाती है। उन तमाम रेल इंजनों का क्या किया जाए? बाबा साहब आंबेडकर ने कहा था, अगर लागू करने वाले लोग ही अच्छे न हों, तो एक अच्छा संविधान भी बुरा साबित होता है। दुर्भाग्य से, हमारे देश में कानून लागू करने वाले लोग अक्सर अक्षरों के पीछे की असली मंशा नहीं समझ पाते, इसीलिए हमारा तंत्र संवेदनशील नहीं बन पाता। हाथी कटते रहते हैं, मुकदमे चलते रहते हैं।

Next Story