सम्पादकीय

फंगस ने बढ़ाई चुनौती

Gulabi
20 May 2021 4:57 PM GMT
फंगस ने बढ़ाई चुनौती
x
फंगस ने बढ़ाई चुनौती

केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि 'ब्लैक फंगस' को वे महामारी कानून के तहत अधिसूचित करें और एक-एक मामले की रिपोर्ट की जाए। केंद्र ने आम जनता के लिए कोविड संबंधी जो दिशा-निर्देश जारी किए हैं, उनमें कहा गया है कि कोविड संक्रमण हवा में दस मीटर तक फैल सकता है। इससे बचने के लिए डबल मास्क लगाना चाहिए और बंद जगहों पर ताजा हवा के इंतजाम किए जाने चाहिए। धीरे-धीरे वैज्ञानिक इस बात को मानने लगे हैं कि कोविड के फैलने को लेकर जो समझ पहले थी, उसमें सुधार की जरूरत है। शुरुआत में माना गया था कि कोरोना वायरस हवा में दूर तक नहीं फैलता और मरीज के छींकने या खांसने से जो छोटी-छोटी बूंदें गिरती हैं, उन्हीं से यह बीमारी फैलती है। यह भी माना जा रहा था कि ऐसी बूंदें किसी सतह पर पड़ी रहें, तो वे संक्रमण के फैलने का जरिया बन सकती हैं। इसीलिए शुरू में एक मीटर की दूरी बरतने का निर्देश जारी किया गया था और सतहों को न छूने और उनको कीटाणुरहित करने पर जोर था।

यह कोई विचित्र बात नहीं है। हवा से किसी वायरस या बैक्टीरिया के नमूने एकत्र करना और उनके खतरों का मूल्यांकन बहुत मुश्किल होता है। टीबी और खसरा जैसी बीमारियों के साथ भी यही हुआ था। लंबे दौर तक यह माना गया था कि ये बीमारियां हवा से नहीं, सिर्फ बूंदों से फैलती हैं, बाद में यह आकलन गलत साबित हुआ। कोरोना वायरस के बारे में भी ऐसे असंदिग्ध तथ्य नहीं मिले हैं, जिनसे ठीक-ठीक बताया जा सके कि कोरोना हवा में कितनी दूर तक फैलता है और उसका खतरा कितनी देर तक रहता है, लेकिन अब यह लगभग आम सहमति है कि कोविड का संक्रमण मुख्यत: हवा से होता है, सतहों को छूने से होने वाले संक्रमण की मात्रा बहुत कम है, इसलिए बार-बार उनको साफ करने की कोई खास जरूरत नहीं है। एक और खास बात जो उभरकर आई है, वह है ताजा हवा की जरूरत। पाया गया है कि बंद कमरों में या ऐसी जगहों पर, जहां हवा के आने-जाने का इंतजाम नहीं है, कोरोना का वायरस देर तक रह सकता है। इसलिए जहां एयर कंडिशनिंग जरूरी भी है, वहां बार-बार ताजा हवा के आने का इंतजाम जरूरी है। कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि खुली जगहों पर कोविड संक्रमण के प्रसार की आशंका कई गुना कम हो जाती है। कुछ वैज्ञानिकों का जोर है कि जैसे 19वीं सदी में साफ पानी पर जोर दिया गया था और उससे कई बीमारियों पर नियंत्रण हो गया, वैसे ही अब यदि हवा की गुणवत्ता को मुद्दा बनाया जाए, तो बहुत सारी बीमारियों से मुक्ति मिल सकती है। कोविड ने बीमारियों के फैलने में हवा के महत्व को फिर रेखांकित किया है। दस मीटर यानी काफी बडे़ कमरे में कोरोना हवा के जरिए फैल सकता है। यह दस मीटर भी कोई पत्थर की लकीर नहीं है। इससे सिर्फ यही पता चलता है कि काफी दूर तक कोरोना का वायरस हवा में जा सकता है और इसी नजरिए से बचाव के उपाय करने होंगे। वैक्सीनेशन से बचाव को पाने में अभी वक्त लगेगा और वह भी शत-प्रतिशत नहीं होगा। इसलिए बचाव के असली उपाय वही सावधानियां हैं, जिनके पालन में लोग लापरवाही कर जाते हैं। मास्क का सही इस्तेमाल, शारीरिक दूरी का ख्याल और खुली हवा का इंतजाम जैसे तरीके अभी सबसे कारगर बचाव हैं। ब्लैक फंगस ने वैसे भी चुनौती बढ़ा दी है।

क्रेडिट बाय लाइव हिंदुस्तान

Next Story