सम्पादकीय

मुठभेड़ का मोर्चा

Subhi
21 July 2022 4:57 AM GMT
मुठभेड़ का मोर्चा
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पंजाब में मशहूर गायक से अभिनेता और राजनेता बने सिद्धू मूसेवाला की हत्या में शामिल कई आरोपियों को तो गिरफ्तार कर लिया गया था, मगर दो अन्य मुख्य अपराधी फरार चल रहे थे।

Written by जनसत्ता: पंजाब में मशहूर गायक से अभिनेता और राजनेता बने सिद्धू मूसेवाला की हत्या में शामिल कई आरोपियों को तो गिरफ्तार कर लिया गया था, मगर दो अन्य मुख्य अपराधी फरार चल रहे थे। बुधवार को अटारी सीमा के पास एक गांव में खबर मिलने पर जब पुलिस ने धावा बोला तब कुछ अपराधियों के साथ उसकी मुठभेड़ हुई, जिसमें चार अपराधी निशानेबाज मारे गए। मुठभेड़ का अहम पहलू यह है कि मारे गए चार अपराधियों में दो वे हैं, जो मूसेवाला की हत्या में भी शामिल थे। इस घटना में तीन पुलिसकर्मी और तीन आम नागरिक घायल हो गए।

साथ ही एक पत्रकार को भी गोली लग गई। जाहिर है, प्रथम दृष्टया यह ऐसी घटना लगती है, जिसमें पुलिस की कुछ आपराधिक तत्त्वों से मुठभेड़ हुई और उसमें कुछ अपराधी मारे गए। लेकिन सिद्धू मूसेवाला की हत्या को लेकर समूचे पंजाब में और बाहर भी जैसी प्रतिक्रिया आई थी, उसके मद्देनजर यह घटना अपने में काफी महत्त्वपूर्ण है। माना जा रहा है कि मूसेवाला की हत्या एक सुनियोजित घटना थी और उसके तार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ गिरोहों से जुड़े हो सकते हैं। इसलिए हत्यारों की गिरफ्तारी कुछ अहम राज खोल सकते हैं।

हालांकि मूसेवाला पर हमला करने वालों में से कई गिरफ्तार हो चुके हैं और इस मामले की तह तक पहुंचने में पुलिस को मदद मिल सकती है, मगर संभव है कि फरार अपराधियों के पास भी कुछ ऐसी जानकारी रही हो, जिससे इस घटना के अन्य पहलुओं का खुलासा होता। इसके बावजूद यह कहा जा सकता है कि फरार अपराधियों तक पहुंचने में पुलिस को कामयाबी मिली। खबरों के मुताबिक, घेरे जाने के बाद अपराधियों को समर्पण करने को कहा गया था, मगर उन्होंने गोलीबारी शुरू कर दी थी। लिहाजा पुलिस के पास जवाबी कार्रवाई करने के अलावा शायद कोई चारा नहीं बचा था।

इस वाकये के बाद भी संभव है कि पुलिस को मूसेवाला की हत्या की घटना के पीछे की योजना का पूरा ब्योरा सामने लाने में कामयाबी मिल जाए, मगर ऐसी घटनाएं इस बात का भी संकेत हैं कि क्या पंजाब में स्थानीय स्तर के अपराधियों और जानलेवा हथियारों का जाल फिर से फैल रहा है। यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि मूसेवाला की हत्या की जिम्मेदारी कनाडा में बैठे अपराधी गोल्डी बराड़ ने ली थी और वह एक अन्य अपराधी लारेंस बिश्नोई गिरोह का करीबी था।

जाहिर है, पंजाब के कुछ आपराधिक गिरोहों का जाल संभवत: कनाडा या अन्य देशों में बैठे बड़े अपराधियों तक भी फैला है या फिर वे अंतरराष्ट्रीय स्तर के अपराधी समूहों के साथ मिल कर काम करते हैं। निश्चित तौर पर पंजाब पुलिस के लिए यह ज्यादा बड़ी चुनौती है, बनिस्बत इसके कि वह स्थानीय स्तर पर हुई किसी आपराधिक घटना की पड़ताल करके खुलासा करती है। यों भी पंजाब के अतीत को देखते हुए सरकार और पुलिस के लिए अतिरिक्त सतर्कता बरतना जरूरी है।

एक दौर में पंजाब आतंकवाद की आग में झुलस रहा था और वहां से आज एक सहज लोकतंत्र के दौर तक आने में उसे काफी जद्दोजहद करनी पड़ी। मगर पिछले कुछ दशकों के दौरान पंजाब में शराब या सेहत के अलावा अपराध के मोर्चे पर जो कुछ जटिल समस्याएं खड़ी हुई हैं, वह पंजाब के विकास के लिए एक बड़ी बाधा है। पंजाब की नई आम आदमी पार्टी की सरकार ने समस्याओं से छुटकारा दिलाने का वादा जरूर किया था, लेकिन इसके लिए बढ़-चढ़ कर दावे करने से ज्यादा जरूरत राजनीतिक इच्छाशक्ति और ईमानदारी की है।


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