सम्पादकीय

दिसंबर 27 की कोख से

Rani Sahu
23 Dec 2021 7:15 PM GMT
दिसंबर 27 की कोख से
x
अंकतालिका में खड़ी हिमाचल सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशस्ति पत्र का इंतजार। दिसंबर 27 की कोख में जन्म लेते उद्गार और प्रधानमंत्री की रैली की शरण में भाजपा की सियासत का सूरमा कौन-कौन बनेगा

अंकतालिका में खड़ी हिमाचल सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशस्ति पत्र का इंतजार। दिसंबर 27 की कोख में जन्म लेते उद्गार और प्रधानमंत्री की रैली की शरण में भाजपा की सियासत का सूरमा कौन-कौन बनेगा, यह अब राजनीतिक ग्राउंड ब्रेकिंग का भी प्रदर्शन है। चार साल की खूबियों में भविष्य की अभिलाषा को परिमार्जित करती मंडी की महरौली में वातावरण पैदा करने के मंसूबे शीर्षासन कर रहे हैं। विश्लेषण यह भी होगा कि इन सालों में हम कहां पहंुचे, जबकि बताया यह जाएगा कि हम बहुत आगे जाएंगे। आगामी चुनावों की तैयारी में मंडी तक पहुंच रहीं हवाएं उस बारूद की तरह भी हैं, जो विपक्ष में कांग्रेस के छक्के छुड़ाने का इरादा रखती हैं। दूसरी ओर लोकसभा के 2014 में हुए चुनाव की जो लहरें सुजानपुर की विशालकाय रैली में उठीं थीं, उसकी पड़ताल भी हो जाएगी। सुजानपुर रैली में हिमाचल से भाजपा का सबसे बड़ा वादा हुआ था। वहां आत्मनिर्भरता के कुंभ में डुबकी लगाती भोली जनता को बताया गया था कि केंद्र में मोदी की सरकार सपनों के कई जहाज उड़ाएगी और हिमाचली तरक्की पर छाई बर्फ पिघलेगी। इस बहाने मंडी रैली से सुजानपुर की हांक कितनी स्पष्ट सुनाई देती है या उन वादों का हिसाब अगर ईमानदारी से होता है, तो जनता अपने आशियाने में फिर राजनीतिक सपने बसा लेगी।

प्रदेश पिछले सात साल में कैसे चला, इसके कई उदाहरण वर्तमान जयराम सरकार दे सकती है। चार सालों का सफर कई ऐसी योजनाओं-परियोजनाओं से परिपूर्ण भी रहा जहां जयराम ठाकुर की सत्ता का फलक चौड़ा हुआ। वित्तीय पोषण के कई रास्तों पर केंद्र मेहरबान रहा, लेकिन अभी तक कोई आर्थिक पैकेज हासिल नहीं हुआ। खासतौर पर वर्षों से लंबित हिमाचल के अधिकारों पर सन्नाटा नहीं टूटा। विस्थापन का दर्द आज भी हिमाचल की आर्थिक बेडि़यों में फंसे तमाम बांध परियोजनाओं की हकीकत है, लेकिन इस जद्दोजहद को कोई देखने वाला नहीं मिला। दो सरकारों के सेतु पर डबल इंजन हिमाचल सरकार के चार सालों को यह बताना होगा कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा घोषित 69 नेशनल हाई-वे एवं फोरलेन परियोजनाओं की वास्तविकता क्या है। हवाई अड्डों के विस्तार से मंडी की हवाई पट्टी के अवतार तक केंद्र ने क्या किया। बेशक इस दौरान अटल टनल के दोनों छोर मिल गए और पर्यटन डेस्टिनेशन की यह तस्वीर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच गई, लेकिन इस योगदान में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का हिमाचल हितैषी होना हमें वर्षों बाद भी याद रहेगा। इसी तरह औद्योगिक पैकेज के जरिए बीबीएन का उदय उनकी देन रही है।
इसी तरह के नाते में हिमाचल वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी टुकर-टुकर देख रहा है। एक बड़े रेल पैकेज की उम्मीद में लेह-लद्दाख तक रेल विस्तार का खाका या ऊना रेल का रुख मोड़ते हुए आंतरिक हिमाचल का जुड़ना अगर संभव हो जाए, तो आर्थिक क्रांति आ जाएगी। कई केंद्रीय संस्थानों के चरण हिमाचल में पड़ें या सैन्य पृष्ठभूमि के इस प्रदेश को कोई आयुद्ध कारखाना मिले, तो प्रधानमंत्री से नजदीकियों का अक्स देखा जाएगा। वाटर ट्रांसपोर्ट नेटवर्क की बात होती रही है। कुछ रूट भी चिन्हित हुए, लेकिन कौल, गोविंदसागर तथा पौंग बांध में जल परिवहन सेवा शुरू नहीं हुई। हिमाचल के मुकाबले पूर्वोतर राज्यों या जम्मू-कश्मीर व लद्दाख की तरक्की में केंद्र का हिसाब, हमारे हिस्से की प्रताड़ना ही बना रहा। ऐसे में सुजानपुर के बाद नरेंद्र मोदी की मंडी सभा का अर्थ हिमाचल से एक ठोस रिश्तेदारी और पूर्व के वादों को निभाना भी है। जयराम सरकार के चार सालों में ऐसे कई पहलू होंगे जो पड्डल मैदान के हर कोने को भर देंगे, लेकिन अंतिम साल की यात्रा में केंद्र सरकार के इश्तिहार फिर देखे जाएंगे। आर्थिक संसाधनों से अति कमजोर, लेकिन नागरिक महत्त्वाकांक्षा, विकास की तीव्रता और केंद्रीय योजनाओं को कारगर बनाने में श्रेष्ठ साबित होते हिमाचल के लिए नरेंद्र मोदी का संबोधन, नए पैगाम, प्रश्रय और प्रोत्साहन की तरह होगा।

divyahimachal

Next Story