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भाजपा के चक्रव्यूह के सामने कांग्रेस के समाधान और सत्ता की सौगात के सामने विपक्ष का इम्तिहान जिस तीव्रता से शुरू हुआ है
सोर्स- divyahimachal
भाजपा के चक्रव्यूह के सामने कांग्रेस के समाधान और सत्ता की सौगात के सामने विपक्ष का इम्तिहान जिस तीव्रता से शुरू हुआ है, उसके चलते 'रिवाज बदलेगा' के कई गूढ़ अर्थ सामने आएंगे। भाजपा की सबसे प्राथमिक शक्ति उसकी 'वोट मशीन' है, जिसे बार-बार प्रदर्शित किया जाता है। हिमाचल में राजनीतिक रेखाएं जिस तरह गहरी हो रही हंै, उसके चलते त्रिदेव सम्मेलन के सामने कांग्रेस के प्रदेश सह प्रभारी संजय दत्त का कांगड़ा दौरा कई अफवाहों और आशंकाओं को निरस्त करता हुआ दिखाई देता है। यह 'रिवाज बदलने' की चुनौती के समक्ष कांग्रेस का नया प्रण है, जिसे कम से कम कांगड़ा के प्रयोग में सहमति और सौहार्द की दृष्टि मिल रही है। राजनीति अब दिखाने के कला कौशल में अपने-अपने घर की चार दीवारी ऊंची कर रही है। ऐसे में घूम फिर कर सारा अंकगणित जिलों की चर्चा में समाहित होेने लगा है या चार संसदीय क्षेत्रों से आलिंगन करता हुआ दिखाई देता है। कांग्रेस ने कांगड़ा, हमीरपुर व मंडी संसदीय क्षेत्र मापते हुए नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह तथा प्रदेश सह प्रभारी संजय दत्त के हवाले से खुद को संबोधित किया, तो मंडी की पिच पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अंगद का पांव जमा कर बता दिया कि यह किला उनकी अमानत में कितना सुदृढ़ और लोकप्रिय हो चुका है।
मंडी में प्रदेश का दूसरा विश्वविद्यालय अगर करवट ले चुका है, तो जिला से मुख्यमंत्री होने के सरोकार अब गूंज रहे हैं। मुख्यमंत्री के विकास का मॉडल यहां परिपूर्ण ही नहीं, बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र की यादों और विरासत से कहीं आगे निकलने के लिए अपने रेखांकित उद्देश्यों पर चूना डालता हुआ दिखाई देता है। सत्ता की रूपरेखा में मंडी का वर्तमाप कांग्रेस के अतीत की सत्ता से कांगड़ा में अगर मुकाबिल होता है, तो मुद्दे, मसले, गवाह और समर्थक भी सामने आएंगे। कांग्रेस इसलिए कांगड़ा में बड़ी पारी ढूंढ रही है, तो भाजपा मंडी में सत्ता का प्रभावशाली अक्स मजबूत कर रही है। क्या जैसा हम देख रहे हैं, वैसा ही होगा या आने वाले दिनों की हवाओं में सरकार अपना नशा भर देगी। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में जगत प्रकाश नड्डा व अनुराग ठाकुर की अपनी-अपनी संगत अगर मुकम्मल होती है, तो भाजपा की किश्तियां भाखड़ा बांध से लेकर ब्यास नदी की धाराओं तक तैरेंगी, वरना यहां भी फिलहाल बात तो विकास के मॉडल पर ही होगी। फोरलेन, न्यूरेल और एम्स की खिड़कियों से क्षितिज को देखने की तमन्ना में भाजपा को अपने नेताओं का स्मरण होगा, लेकिन गोविंद सागर के तो अपने स्थायी दर्द हैं जो विस्थापन के मसले को डूबने नहीं देते। इसी तरह हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में विपक्ष की रगड़ की मुख्य ज्वाला धारण किए हुए मुकेश अग्निहोत्री से सत्ता का संवाद अगर उलझता है, तो इस पथ पर चिह्न और प्रतीक कांगे्रस की खबर बदल देते हैं यानी चर्चाओं में आने की क्षमता में नेता प्रतिपक्ष अपनी पार्टी का माथा ऊंचा करते हैं।
इसी दौड़ में पार्टी की बागडोर संभाल रही प्रतिभा सिंह के वक्तव्यों का पीछा करती भाजपा किसी आसान आसन की छूट नहीं दे रही। शब्दों के चयन, विषयों की गंभीरता, राज्य की तस्वीर बनाने की स्पष्टता और वीरभद्र सिंह के जादू को फिर से कायम करने की कसौटी में, सांसद प्रतिभा सिंह को अपनी ही ठोकरों से बचना तथा पुराने रास्तों के पत्थरों तक को सलीके से बनाए रखने की चुनौती रहेगी। कांगेस इस समय खुद को सबसे अधिक देख रही है। यह आत्माविलोकन और आत्मविश्लेषण की दृष्टि से सही है, लेकिन चुनाव के संबोधन हर पल की तैयारी में हैं। यह सोशल मीडिया पर नजर रखने से मुख्य मीडिया की खबर बनने तक आवश्यक हैं। ऐसे में कांगड़ा में खबर बनती कांग्रेस अगर सभी नेताओं को सुर्खियों में ले आती है, तो यह अद्भुत कौशल, सामर्थ्य व आत्मविश्वास होगा। यही खबर भाजपा को सचेत कर चुकी होगी क्यों आगामी सत्ता की पदचाप करता यह जिला अपने भीतर से कई गढ़े मुर्दे निकालेगा और कहीं यही से 'क्षेत्रवाद' की संवेदना में सुर्खियां बनती गईं, तो सत्ता से सवाल पूछने का हक विपक्ष को मिल जाएगा। ऐसे में कांगड़ा के कुरुक्षेत्र में अगर नेता एकजुटता से उतर गए और विपक्ष की भूमिका में कांग्रेस वर्तमान सत्ता से पूछने में सफल होती है, तो कम से कम देश की सियासी आंधियांे से कहीं भिन्न हिमाचल की हवाएं साबित हो सकती हैं।

Rani Sahu
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