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- हिमाचल की फाइल से
भाजपा ने उत्तराखंड का सिंहासन जिस तरह फिर से निरूपित किया है, उससे हिमाचल की एक पुरानी फाइल खुल गई है। इसमें दो राय नहीं कि भाजपा अपनी कार्रवाइयों से कहीं हैरानी, तो कहीं चमत्कार पैदा करती है। इसी संदर्भ में उत्तराखंड के पराजित मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जिस तरह पुनर्स्थापित करते हुए मुख्यमंत्री बनाया जा रहा है, उससे हिमाचल के एक हिस्से में बेचैनी के साथ-साथ क्षुब्ध तर्क भी पैदा हो रहे हैं। जाहिर है सुजानपुर सीट से पिछले चुनाव में भाजपा नहीं हारी थी, एक मुख्यमंत्री भी हारा था। एक ऐसा नेता भी हारा था जिसने भाजपा और शांता कुमार की परंपराओं से हटकर सत्ता का एकदम नया चेहरा और राजनीति की दृष्टि बदली थी। इस हार के मायने यकायक नहीं बदले, बल्कि इस संत्रास में भाजपा की कई भुजाएं भी बदल गईं। इसका यह अर्थ भी नहीं कि अकेले प्रेम कुमार धूमल ही हारे थे। इससे पूर्व वीरभद्र सिंह व शांता कुमार भी गोता खा चुके हैं। हर हार के अपने कारण और जीत का अपना जश्न होता है, लिहाजा जयराम ठाकुर के उदय के अपने समीकरण व भाजपा का प्रश्रय रहा है। यही प्रश्रय आज अगर उत्तराखंड के हारे हुए मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के गले में पुष्पमाला डाल सकता है, तो सवालों के दायरे में धूमल के प्रशंसक अब अपनी ही पार्टी से कुछ मूल व नैतिक प्रश्न पूछ रहे हैं।