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- क्रिसमस से लोहड़ी तक
विंटर कर्निवाल में पुन: महानाटी ने हिमाचल की सांस्कृतिक पलकें खोल दीं। 'माहणू बोला शोभले उझी-मनाली रे, पाणी बोला ओकती यारा ओ' के सामूहिक स्पंदन में छह सौ महिलाओं ने दृश्य और परिदृश्य का केवल मनोरंजन नहीं किया, बल्कि हिमाचल का सांस्कृतिक नेतृत्व भी किया। इन दिनों विंटर कार्निवाल के हर दरवाजे पर पर्यटन के साथ जुड़ता हिमाचल का प्रवेश हो रहा है, तो इस कैनवास को बड़ा करना होगा। वर्षांत पर्यटन से नए वर्ष के शुभारंभ को जोड़ते हुए अगर हम योजना बनाएं तो सर्द हवाओं में भी आर्थिकी की गर्माहट आएगी। विंटर कार्निवाल के जरिए पर्यटन निवेश की मनाली में सुध ले पाएगा या कोविड काल में गिरा ग्रॉफ बंद होटलों के दरवाजे खोल पाएगा। दरअसल हिमाचल में पर्यटन को नई परिभाषा चाहिए ताकि सैलानियों का कौतुक बना रहे। इसके लिए संदर्भ, साक्ष्य और सिलसिले चुनने पड़ेंगे। वर्षांत पर्यटन को लोहड़ी के हुजूम तक खड़ा करने का प्रयास करें तो तत्तापानी का खिचड़ी समारोह और गरली-परागपुर के अंगीठे ही नहीं दिखाई देंगे, बल्कि कांगड़ा-बैजनाथ मंदिरों का घृत मंडल भी इसके लिए योगदान करेगा।
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