सम्पादकीय

क्रिसमस से लोहड़ी तक

Rani Sahu
4 Jan 2022 7:17 PM GMT
क्रिसमस से लोहड़ी तक
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विंटर कर्निवाल में पुन: महानाटी ने हिमाचल की सांस्कृतिक पलकें खोल दीं

विंटर कर्निवाल में पुन: महानाटी ने हिमाचल की सांस्कृतिक पलकें खोल दीं। 'माहणू बोला शोभले उझी-मनाली रे, पाणी बोला ओकती यारा ओ' के सामूहिक स्पंदन में छह सौ महिलाओं ने दृश्य और परिदृश्य का केवल मनोरंजन नहीं किया, बल्कि हिमाचल का सांस्कृतिक नेतृत्व भी किया। इन दिनों विंटर कार्निवाल के हर दरवाजे पर पर्यटन के साथ जुड़ता हिमाचल का प्रवेश हो रहा है, तो इस कैनवास को बड़ा करना होगा। वर्षांत पर्यटन से नए वर्ष के शुभारंभ को जोड़ते हुए अगर हम योजना बनाएं तो सर्द हवाओं में भी आर्थिकी की गर्माहट आएगी। विंटर कार्निवाल के जरिए पर्यटन निवेश की मनाली में सुध ले पाएगा या कोविड काल में गिरा ग्रॉफ बंद होटलों के दरवाजे खोल पाएगा। दरअसल हिमाचल में पर्यटन को नई परिभाषा चाहिए ताकि सैलानियों का कौतुक बना रहे। इसके लिए संदर्भ, साक्ष्य और सिलसिले चुनने पड़ेंगे। वर्षांत पर्यटन को लोहड़ी के हुजूम तक खड़ा करने का प्रयास करें तो तत्तापानी का खिचड़ी समारोह और गरली-परागपुर के अंगीठे ही नहीं दिखाई देंगे, बल्कि कांगड़ा-बैजनाथ मंदिरों का घृत मंडल भी इसके लिए योगदान करेगा।

इस तरह पंद्रह दिसंबर से 15 जनवरी को एक राज्य पर्यटन समारोह की खूबसूरती में रोड मैप तैयार किया जा सकता है। प्रवेश द्वारों से डेस्टिनेशन टूरिज्म तक स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनियों, फूड फेस्टिवल, एग्रोटूरिज्म, स्नोफेस्टिवल, वाटर स्पोट्र्स, एंग्लिंग, बर्ड वाचिंग, हिमालय उत्सव, लोक नाट्य व लोकगीत संगीत उत्सवों के आयोजन को एक साथ कई स्थानों पर शुरू किया जाए तो यह एक अनूठा सीजन होगा। हम चाहें तो अटल टनल में इस दौरान एक ही दिन में पहुंचे 7515 वाहनों के रिकार्ड को जश्र बना लें, लेकिन चुनौती यह है कि इन गाडिय़ों के पहिए आवारा या असंतुष्ट न हों। पूरे हिमाचल में पर्यटक आगमन के साथ कई नसीहतें हैं। यानी पर्यटक अब वाहन आगमन को चिन्हित करता है, तो मनोरंजन का यह दस्तूर अस्त-व्यस्त हो जाता है। ऐसे में अगर अटन टनल पहुंचने वाले 7515 वाहनों के रिकार्ड को दैनिक रूप से एक हजार तक सीमित किया जाए, तो यही आगमन अगले सात दिन की रौनक में तबदील हो जाएगा। मनाली का विंटर कार्निवाल जिन रास्तों से सैलानियों को आकर्षित करता है, क्या हम उसी तर्ज पर बिलासपुर से मंडी तक समानांतर फेस्टिवल नहीं जोड़ सकते।
दरअसल किसी भी डेस्टिनेशन का प्रवेश द्वार से जुडऩा आवश्यक है। यह निजी तौर पर हो रहा है, लोग भीड़ से विमुख शांति-विश्रांति चाहते हैं। इसलिए इस बार मकलोडगंज के होटल खाली रहे, जबकि साथ लगते इलाकों में होम स्टे या कैंपिंग साइट्स में सैलानियों ने मनोरंजन तलाशा। हमें याद रखना होगा कि अगर एक ही दिन में 7515 वाहन अटल टनल पहुंचेंगे, तो यह अजीब कशमकश होगी। ऐसे में या तो ट्रैफिक जाम से निकल कर पर्यटक हिमाचल से भाग जाएंगे या महंगे होटलों की सुविधाओं को भूल कर वह ग्रामीण पर्यटन के जरिए अपने बिगड़े मूड को सहलाएंगे। ग्रामीण विकास मंत्रालय को पर्यटन विभाग के साथ प्रमुख डेस्टिनेशन के साथ लगते इलाकों में विकास की ऐसी तहजीब पैदा करनी होगी, जो सैलानियों को सुकून दे सके। बहरहाल इस वक्त हम पैरवी करना चाहेंगे कि पर्यटक कैलेंडर बनाते समय एक बड़ा मानचित्र बनाया जाए ताकि पूरा हिमाचल कवर करने के लिए प्रवेश से डेस्टिनेशन तक आयोजन, आकर्षण, मनोरंजन सुविधाएं पैदा करते हुए अधिक समय के लिए सैलानी को रोका जा सके। पंद्रह दिसंबर से 15 जनवरी के पर्यटक सीजन में क्रिसमस से लोहड़ी पर्व को मनाते हुए जश्न में नव वर्ष आगमन, खिचड़ी पर्व के अलावा घृतमंडल समारोह को जोड़ते हुए व्यापक आकार दिया जा सकता है।

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