- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- फिजूल का विवाद
नवभारत टाइम्स; महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी अपने एक बयान को लेकर फिर से विवादों में हैं। उन्होंने देश की वित्तीय राजधानी के मुंबई के दर्जे और यहां रहने वाले गुजराती और राजस्थानी समुदायों के बारे में पिछले दिनों जो कुछ कहा, उस पर विपक्षी दल हमलावर हैं और सत्तारूढ़ दल उससे किनारा कर रहे हैं। हालांकि बाद में कोश्यारी ने इस बयान पर स्पष्टीकरण जारी किया। कहा कि उनका इरादा किसी समुदाय की भावनाओं को चोट पहुंचाने का नहीं था, लेकिन इस स्पष्टीकरण का कुछ खास मतलब नहीं बनता। यह समझे जाने की जरूरत है कि हर शहर और महानगर के विकसित होने की अपनी एक अलग और जटिल प्रकिया होती है। चेन्नै, कोलकाता, दिल्ली सब अलग-अलग तरह से बसे और विकसित हुए। ठीक इसी तरह मुंबई की भी अपनी एक विशिष्ट प्रक्रिया रही। बंबई स्टेट से गुजरात को अलग करके महाराष्ट्र राज्य बना, जिसका आधार मराठी भाषा को बनाया गया। इसके लिए संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन चला, जिसमें 106 लोगों की शहादत हुई। जाहिर है, भाषा का मसला महाराष्ट्र और खासकर मुंबई के लिहाज से काफी संवेदनशील है। इसके साथ ही यह भी याद रखने की जरूरत है कि मुंबई या शुरुआती दौर से बंबई न केवल फिल्म इंडस्ट्री का केंद्र बल्कि देश का एक प्रमुख औद्योगिक शहर भी रहा है।
स्वाभाविक ही देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग रोजी-रोटी की तलाश में यहां आकर बसते रहे। इन सभी समुदायों का योगदान रहा है मुंबई को विकसित करने में। लेकिन इसी वजह से विभिन्न समुदायों के बीच आपसी रिश्तों का संतुलन भी इस विकास की एक जरूरी शर्त रहा है। ऐसे में जाने या अनजाने एक समुदाय को दूसरे समुदायों के बरक्स खड़ा करने वाले बयान न केवल रिश्तों के इस बारीक संतुलन को बिगाड़ सकते हैं बल्कि इस महानगर, राज्य और देश के लिए भी नुकसानदेह साबित हो सकते हैं। फिर भी विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े नेता चुनावी राजनीति की जरूरतों के अनुरूप कभी-कभी ऐसे बयान देते हैं। लेकिन राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से ऐसे बयानों की अपेक्षा बिल्कुल नहीं की जाती। कोश्यारी का हालिया बयान दो वजहों से ज्यादा गंभीर है। एक तो यह कि वह पिछले तीन वर्षों से महाराष्ट्र के राज्यपाल पद पर हैं। दूसरे, यह कोई पहला मौका नहीं है जब राज्यपाल कोश्यारी के बयान को लेकर विवाद हुआ हो। इससे पहले भी वह ऐसे बयान दे चुके हैं, जिन्हें राजनीति प्रेरित या महाराष्ट्र के लोगों की भावनाओं का अपमान बताया गया। ध्यान रहे, मुंबई हो या देश का कोई भी अन्य महानगर, वे पहले से ही तमाम बड़ी समस्याओं और चुनौतियों से घिरे हैं जिनका इस बात से कोई लेना देना नहीं है कि किस समुदाय ने उसके विकास में कितना कम या ज्यादा योगदान किया। बेहतर होगा उन चुनौतियों से निपटने पर ध्यान दिया जाए।