- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- सबको मुफ्त टीका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिलहाल देश के सबसे प्रभावी वक्ता और कम्युनिकेटर हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है। वह अपनी इस शक्ति का इस्तेमाल अनेक उद्देश्यों के लिए करते हैं, इसलिए जब भी वह देश को सीधे संबोधित करते हैं, तब सबको यह उत्सुकता और कुछ व्यग्रता भी होती है कि आखिर इस बार प्रधानमंत्री क्या कहने वाले हैं? वैसे भी, वह संभवत: देश को सबसे ज्यादा बार सीधे संबोधित करने वाले प्रधानमंत्री हैं। उनका कल का संबोधन मुख्यत: दो नीतिगत घोषणाओं के लिए था, और इस मौके का एक और इस्तेमाल उन्होंने कोरोना से लड़ने की सरकार की रणनीति व टीकाकरण अभियान के क्रियान्वयन की आलोचना का जवाब देने के लिए किया। सरकार की कोरोना नियंत्रण और वैक्सीन नीति की कई वजहों से, खासकर दूसरी लहर के मद्देनजर आलोचना होती रही है और एक महत्वपूर्ण मामले में अब सरकार ने सही निर्णय लिया है। केंद्र सरकार ने यह तय किया है कि अब वैक्सीन निर्माताओं से 75 प्रतिशत वैक्सीन वह खुद ही खरीदेगी, यानी राज्यों के हिस्से की वैक्सीन खरीदने की जिम्मेदारी भी अब केंद्र सरकार की होगी। सिर्फ निजी अस्पताल ही अपना 25 प्रतिशत कोटा वैक्सीन निर्माताओं से सीधे खरीदेंगे और हर टीके पर डेढ़ सौ रुपये का सेवा-शुल्क ले सकते हैं। जब केंद्र सरकार ने पहले अपनी वैक्सीनेशन पॉलिसी घोषित की थी, जिसमें राज्यों को 25 प्रतिशत वैक्सीन सीधे खरीदनी थी, तभी यह बात सामने आई थी कि इससे राज्यों की मुसीबत बढ़ जाएगी। एक तो राज्यों को केंद्र के मुकाबले दोगुनी कीमत चुकानी थी और दूसरे, अलग-अलग राज्य को कितनी वैक्सीन मिल पाएगी, इसे लेकर भी अनिश्चय था। राज्यों पर 45 साल से कम उम्र के सभी नागरिकों को वैक्सीन लगाने की जिम्मेदार उठानी थी और दूसरी लहर के मद्देनजर लोगों में वैक्सीन लगाने की जो जल्दबाजी थी, उस वजह से कई राज्यों में वैक्सीन की कमी होने लगी। ऐसे में, कई राज्यों ने अंतरराष्ट्रीय बाजार से सीधे वैक्सीन खरीदने की कोशिश भी की, पर वे इसलिए नाकाम रहे कि वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां राज्यों से सीधे लेन-देन करने को तैयार न थीं। तभी से कई जानकार और राज्य सरकारें भी कहती आ रही थीं कि वैक्सीन खरीदने का काम केंद्र सरकार को ही करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार की टीकाकरण-नीति पर सवाल खड़े किए थे। अब सरकार ने यह फैसला करके अच्छा कदम उठाया है। इसके बाद दो बातें महत्वपूर्ण हैं- पहली, वैक्सीन वितरण की एक पारदर्शी और न्यायपूर्ण व्यवस्था तैयार करना और वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ाने का युद्ध-स्तर पर प्रयास। प्रधानमंत्री के संबोधन में दूसरी बड़ी घोषणा गरीबों को मुफ्त राशन मुहैया कराने की योजना को नवंबर तक बढ़ाना है। यह भी अच्छा कदम है, क्योंकि अर्थव्यवस्था की स्थिति को देखते हुए अभी गरीबों के लिए रोजी-रोटी का ठीक-ठाक इंतजाम होने में वक्त लग जाएगा। अगर दो वक्त की रोटी का इंतजाम निश्चित हो, तो अन्य समस्याओं से लड़ने की शक्ति मिलती है। इसके साथ ही केंद्र सरकार को गरीबों को सीधे नकदी देने की योजनाओं पर भी जल्दी से विचार करना चाहिए। कोरोना की दूसरी लहर के उतार के साथ अब आर्थिक गतिविधियां धीरे-धीरे शुरू हो रही हैं, अगर लोगों के हाथों में पैसा होगा, तो निस्संदेह आर्थिक गतिविधियों को तेजी मिलेगी।
क्रेडिट बाय लाइव हिंदुस्तान
