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सम्पादकीय
Free Trade Agreement: निर्यात बढ़ाने में मददगार होंगे मुक्त व्यापार समझौते
Gulabi Jagat
5 May 2022 12:00 PM GMT

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निर्यात बढ़ाने में मददगार
जयंतीलाल भंडारी। यूरोपीय देशों की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बर्लिन में कहा कि कोविड महामारी के बाद भारत तेज आर्थिक वृद्धि के साथ वैश्विक रिकवरी का महत्वपूर्ण स्तंभ बन रहा है। भारत ने हाल में संयुक्त अरब अमीरात और आस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) को मूर्त रूप दिया है। अब भारत ब्रिटेन और उसके अलावा यूरोपीय संघ के साथ भी एफटीए वार्ता में त्वरित प्रगति के लिए प्रतिबद्ध है। इसका मतलब है कि वैश्विक व्यापार और कारोबार के लिए भारत के दरवाजे तेजी से खुल रहे हैं।
भारत और यूएई के बीच हुआ एफटीए एक मई से लागू हो गया है। इस एफटीए से भारत और यूएई के बीच वस्तुओं का कारोबार पांच साल में दोगुना बढ़ाकर सौ अरब डालर किए जाने का लक्ष्य रखा गया है, जो इस समय करीब 60 अरब डालर है। इसके साथ ही सेवाओं का व्यापार 15 अरब डालर से अधिक की ऊंचाई पर पहुंचने की उम्मीद है। इस समय यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साङोदार है और अमेरिका के बाद दूसरा बड़ा निर्यात केंद्र है।
पिछले माह भारत-आस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते पर भी एक आभासी समारोह में हस्ताक्षर किए गए। दोनों देशों के बीच इसे लेकर दस साल से बातचीत जारी थी। भारत-आस्ट्रेलिया एफटीए लागू होने के बाद आस्ट्रेलिया को भारत का करीब 96 प्रतिशत निर्यात और भारत को आस्ट्रेलिया का करीब 85 प्रतिशत निर्यात शुल्क मुक्ति के साथ किया जा सकेगा। ध्यान रहे कि पड़ोसी बांग्लादेश का आस्ट्रेलिया के साथ पहले से एफटीए है और उसे बेहद कम विकसित देश होने के कारण पांच प्रतिशत का लाभ मिलता है। यह भारत को नहीं मिलता था। अब नए समझौते से भारत को हो रहे इस नुकसान को कम करने में मदद मिलेगी और भारत प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाकर आस्ट्रेलिया में निर्यात बढ़ा सकेगा।
भारत ने आस्ट्रेलिया के लिए जिन वस्तुओं पर शून्य शुल्क की पेशकश की है, उनमें मुख्य रूप से कोयला, खनिज आदि शामिल हैं। भारत और आस्ट्रेलिया के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते से दोनों देशों के बीच मौजूदा द्विपक्षीय व्यापार को 27 अरब डालर से बढ़ाकर अगले पांच वर्षो में 50 अरब डालर तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। गत अप्रैल में ही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन की दो दिवसीय भारत यात्र के मौके पर दोनों देशों के बीच विगत जनवरी माह से शुरू हुई एफटीए वार्ता की समीक्षा की गई। इस समीक्षा में दीपावली तक एफटीए के एक अंतरिम समझौते को पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस दिशा में तेजी से प्रगति हो रही है।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री जानसन ने कहा कि ब्रेक्सिट (यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के बाहर निकलने की प्रक्रिया) के बाद ब्रिटेन भारत के साथ औद्योगिक एवं आर्थिक रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने पर ज्यादा जोर दे रहा है और इसके लिए वह ज्यादा भारतीय पेशेवरों को ब्रिटेन में काम करने के लिए वीजा भी देने को तैयार है। 2021 के आंकड़े बताते हैं कि ब्रिटिश सरकार ने प्रशिक्षित पेशेवरों को जितने वीजा दिए, उनमें से 40 प्रतिशत भारतीयों को दिए। भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए के अंतरिम समझौते से दोनों देशों के बीच व्यापार में शामिल 60-65 प्रतिशत वस्तुओं के आयात शुल्क को उदार किया जाएगा, जबकि अंतिम समझौते के बाद 90 प्रतिशत से ज्यादा सामान के लिए उदार आयात शुल्क सुनिश्चित हो जाएंगे। इससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2030 तक दोगुना होकर 100 अरब डालर पहुंच सकता है।
भारत द्वारा यूएई और आस्ट्रेलिया के साथ एफटीए को मूर्त रूप दिए जाने के बाद अब यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, कनाडा, खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के छह देशों, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और इजरायल के साथ एफटीए के लिए जारी प्रगतिपूर्ण वार्ता राहत की बात हैं। ये ऐसे देश हैं, जिनके साथ एफटीए भारत के लिए अधिक लाभप्रद है। ये देश भारत के विशेष उत्पादों के लिए अपने बाजार खोलने को उत्सुक हैं। इससे भारतीय वस्तुओं और सेवाओं की पहुंच दुनिया के एक बहुत बड़े बाजार तक हो सकेगी।
ज्ञातव्य है कि भारत ने अपने कारोबारी हितों के चलते नवंबर 2020 को अस्तित्व में आए दुनिया के सबसे बड़े ट्रेड समझौते रीजनल कांप्रिहेंसिव इकोनामिक पार्टनरशिप (आरसेप) में शामिल होना उचित नहीं समझा था। भारत ने आरसेप से दूरी बनाने के बाद एफटीए की डगर पर आगे बढ़ने की जो नीति अपनाई, उसके अच्छे नतीजे सामने आते दिख रहे हैं। इसमें कोई दो मत नहीं कि हाल के वषों में विश्व व्यापार संगठन के तहत विश्व व्यापार वार्ताओं में जितनी उलझनें खड़ी हुई हैं, उतनी ही तेजी से विभिन्न देशों के बीच एफटीए बढ़ते गए हैं। एफटीए असल में ऐसे समझौते हैं, जिनमें दो या दो से ज्यादा देश वस्तुओं एवं सेवाओं के आयात-निर्यात पर सीमा शुल्क, नियामक कानून, सब्सिडी और कोटा आदि संबंधी प्रविधानों में एक-दूसरे को तरजीह देने पर सहमत होते हैं। भारत ने ऐसे ही लाभ हासिल करने के लिए एफटीए की तरफ तेजी से कदम बढ़ाए हैं।
एफटीए देश के वैश्विक व्यापार को बढ़ाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे और इससे चालू वित्त वर्ष 2022-23 में वस्तु निर्यात करीब 500 अरब डालर और सेवा निर्यात करीब 300 अरब डालर की रिकार्ड ऊंचाई पर दिखाई दे सकेंगे। एफटीए भारत को पांच लाख करोड़ डालर की इकोनामी बनाने के लक्ष्य को हासिल करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। यही कारण है कि आर्थिक नीति प्रतिष्ठान इन समझौतों पर गंभीरता से आगे बढ़ रहा है।
(लेखक अर्थशास्त्री हैं)

Gulabi Jagat
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