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
हाल ही में विश्व बैंक (वर्ल्ड बैंक) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के द्वारा प्रकाशित पॉलिसी रिसर्च पेपर्स में यह कहा गया है कि भारत में हाल ही के वर्षों में आर्थिक चुनौतियों के बीच सुरक्षित खाद्यान्न भंडारों से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से करोड़ों लोगों तक लगातार मुफ्त खाद्यान्न वितरण की सहज आपूर्ति के कारण गरीबी में कमी आई है। भारत में गरीबी में कमी आने संबंधी इन दोनों वैश्विक संगठनों के द्वारा प्रकाशित रिसर्च पेपर्स को इन दिनों पूरी दुनिया में गंभीरतापूर्वक पढ़ा जा रहा है। हाल ही में प्रकाशित विश्व बैंक के रिसर्च पेपर्स में कहा गया है कि देश में 2011 में अति गरीबी की दर 22.5 प्रतिशत थी, वह 2015 में 19.1 प्रतिशत पाई गई तथा 2019 में अति गरीबी की दर घटकर मात्र 10 प्रतिशत रह गई। यदि हम गरीबी में कमी आने संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण करें तो पाते हैं कि जहां 2011 से 2015 के बीच अति गरीबी की दर में 3.4 प्रतिशत की कमी आई, वहीं 2015 से 2019 के बीच अति गरीबी की दर में 9.1 प्रतिशत की गिरावट हुई, जो 2011-15 के मुकाबले 2.6 गुना अधिक है। इस रिसर्च पेपर्स के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल (2015-19) में ग्रामीण और शहरी दोनों ही गरीबी में 2011-15 के मुकाबले अधिक कमी आई। 2011 से 2015 के बीच ग्रामीण गरीबी दर में 4.4 प्रतिशत की गिरावट हुई, जबकि 2015-19 के बीच ग्रामीण गरीबी में 10.3 प्रतिशत की गिरावट रही। इसी तरह शहरी गरीबी में 2011-15 के बीच 1.3 प्रतिशत की कमी आई जबकि 2015-19 के बीच शहरी गरीबी में 6.6 प्रतिशत की गिरावट रही। विश्व बैंक के इस रिसर्च पेपर्स में वर्ष 2015 से 2019 के बीच गरीबी दर में गिरावट आने के कई महत्त्वपूर्ण कारण बताए गए हैं।
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