सम्पादकीय

महंगी पड़ेगी मुफ्त बिजली

Triveni
20 July 2021 3:03 AM GMT
महंगी पड़ेगी मुफ्त बिजली
x
अरविंद केजरीवाल का दिल्ली में 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त देने का वादा कारगर साबित हुआ।

अरविंद केजरीवाल का दिल्ली में 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त देने का वादा कारगर साबित हुआ। इससे वे तीन बार चुनाव जीत चुके हैं। तो जाहिर है, वे इसे कहीं भी चुनाव जीतने का रामबाण समझते हैँ। जिस किसी राज्य में उनकी पार्टी चुनाव लड़ने का एलान करती है, वहां उसका पहला वादा यही होता है। इससे बने दबाव के बीच बाकी पार्टियां भी उससे भी आगे बढ़-चढ़ कर ऐसे वादे करने को मजबूर हो गई हैँ। इस तरह मुफ्त बिजली लगभग सभी पार्टियों का वादा बन गया है। लेकिन ये जो मुफ्त बिजली है, वह दूरगामी रूप से सबको बहुत महंगी पड़ने वाली है।

सवाल है कि सरकारों की प्राथमिकता क्या होनी चाहिए? सबको मुफ्त बिजली देना या अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देना और बिजली की तारों को भूमिगत करना? लेकिन चूंकि सारा राजस्व मुफ्त बिजली में चला जा रहा है, तो बाकी काम पिछड़ रहे हैँ। अच्छी बिजली सप्लाई के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने पर इसका असर पड़ रहा है। दिल्ली पर गौर कीजिए। ये सवाल पूछा जाना चाहिए कि दिल्ली के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए अरविंद केजरीवाल की सरकार ने क्या कदम उठाए हैं? देश की राजधानी होने के बावजूद आज दिल्ली गंदी यमुना और जहरीली हवा के लिए भी चर्चित है। अब केजरीवाल की पार्टी ने उत्तराखंड के लिए भी मुफ्त बिजली का वादा कर दिया है।
उत्तराखंड की 20 से ज्यादा छोटी और विशाल बांध परियोजनाओं से पर्याप्त बिजली बनती है। वह बिजली सरप्लस राज्य है। इसलिए वहां मुफ्त बिजली देना कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन वह भी राज्य सरकार के राजकोष की सेहत की कीमत पर होगा। उसका असर आम विकास पर पड़ेगा। आने वाले महीनों में उत्तराखंड, गुजरात, पंजाब और गोवा में चुनाव हैं। केजरीवाल की पार्टी उन राज्यों अपनी जड़ें जमाना चाहती है। इसमें कोई बुराई नहीं है। लेकिन किसी पार्टी का एकमात्र एजेंडा मुफ्त बिजली हो जाए, तो यह जरूर समस्याग्रस्त बात है। दरअसल, ये सवाल तमाम दलों से पूछा जाना चाहिए कि मुफ्त बिजली से राजस्व का जो नुकसान होगा, उसकी भरपाई वे कैसे करेंगे? क्या वे यह वादा करने की स्थिति में हैं कि इस नुकसान के बावजूद वे संबंधित राज्य के विकास को प्रभावित नहीं होने देंगे? कहीं ऐसा तो नहीं होगा कि बिजली को मुफ्त बांटने से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए कई और सरकारी स्कूल बंद होंगे या सरकारी अस्पतालों में नए स्टाफ की भर्ती नहीं होगी?


Next Story