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सम्पादकीय
लोन एप से ठगी: डरने या घबराने के बजाय निडर होकर इनका सामना करें
Rounak Dey
23 May 2022 1:45 AM GMT

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इन्हें पुलिस में शिकायत करने के बावजूद पकड़ना आसान नहीं होता है। इसलिए सावधानी ही बचाब है।
मोबाइल लोन एप से आप बिना कर्ज लिए भी कर्जदार हो सकते हैं। यह पढ़ने व सुनने में भले अजीब लग सकता है, लेकिन आज ऐसा हो रहा है। साइबर अपराधी ठगने के लिए फोन कॉल्स या एसएमएस द्वारा लोगों को बिना कर्ज लिए ही कर्जदार बताकर उनसे पैसों की वसूली कर रहे हैं। ऐसी ब्लैकमेलिंग अक्सर छोटी राशि (2,000 से 5,000 रुपये) के लिए की जा रही है, ताकि आर्थिक रूप से कमजोर लोग पुलिस में शिकायत न करें। स्वयं को लोन रिकवरी एजेंट बताने वाले ये ठग लोगों को धमकी देते हैं कि आपने हमसे कर्ज लिया है और अगर दो-तीन दिनों में पैसे नहीं लौटाए, तो आपकी आपत्तिजनक तस्वीरें वायरल कर दी जाएंगी। सबूत के तौर पर वे मोर्फ्ड तस्वीरें और वीडियो भेजते हैं।
कई बार ये ठग धमकी देते हैं कि अगर लोन की राशि जमा नहीं करोगे, तो तुम्हारा सिविल स्कोर खराब हो जाएगा, तुम्हें किसी भी बैंक या वित्तीय संस्थान से कभी लोन नहीं मिल पाएगा आदि। वे आपके घर या ऑफिस का पता एवं आपकी निजी जानकारियां बताते हैं, जिसके चलते लोग उनकी बातों पर भरोसा कर लेते हैं। कुछ लोग डरकर उन्हें पैसे दे देते हैं। मोबाइल लोन एप के जरिये ठगी को बढ़ावा देने का काम सोशल मीडिया भी कर रहा है। आज लोग सोशल मीडिया पर निजी पलों की तस्वीरें साझा करते हैं, प्रोफाइल लॉक न होने के कारण उन्हें हर कोई देख सकता है और उनका बेजा इस्तेमाल कर सकता है। कोरोना काल में मोबाइल एप से तुरंत लोन लेने का चलन बढ़ा है और इस वजह से बड़ी संख्या में लोग ठगी के शिकार हो रहे हैं। रिजर्व बैंक बार-बार लोगों को सतर्क रहने की सलाह देता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अभी देश भर में 1,100 मोबाइल एप्स मौजूद हैं, जो लोगों को तुरंत कर्ज देते हैं। इनमें 600 मोबाइल लोन एप्स गैर कानूनी हैं और लगभग 80 मोबाइल लोन एप्स गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध हैं।
केंद्रीय बैंक ने साफ कहा है कि लोग मोबाइल एप से लोन लेने के समय बेहद सतर्क रहें। यूजर बैंक अकाउंट की जानकारी, डेबिट-क्रेडिट कार्ड का पिन नंबर किसी से शेयर नहीं करें। प्रोसेसिंग फीस के रूप में यदि ज्यादा पैसे मांगे जा रहे हैं, तो कर्ज कदापि न लें। जिस मोबाइल एप से आप लोन के लिए आवेदन कर रहे हैं, उसकी रेटिंग जरूर देख लें, उसका रिव्यू भी पढ़ लें, यह भी पता कर लें कि वह कानूनी है या नहीं। आधार नंबर, पैन कार्ड के एवज में लोन देने वाले एप से लोन नहीं लें। साथ ही, निजी जानकारी मांगने वाले मोबाइल एप से भी लोन लेने से परहेज करें। उसी मोबाइल एप्स से लोन लें, जो मान्यता प्राप्त बैंक या गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) से संबद्ध हों।
यदि कोई आपत्तिजनक तस्वीर वायरल करने की धमकी दे रहा है, तो तुरंत पुलिस के साइबर सेल में शिकायत करें। ऑनलाइन ठगी करने वाले अपराधी मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने में दक्ष होते हैं। लेकिन डरने या घबराने के बजाय निडर होकर इनका सामना करें। अनजान नंबर से आए एसएमएस या व्हाट्सएप में दी गई लिंक पर क्लिक नहीं करें, क्योंकि इससे मोबाइल हैक हो सकता है। कोई भी मोबाइल एप इंस्टाल करते समय अनेक तरह की मंजूरी मांगी जाती है, वह दिए बना एप इंस्टाल नहीं होता। लेकिन लोग बिना कुछ सोचे ये सारी मंजूरी दे देते हैं, जिससे ठगी करने वालों की तस्वीरों, वीडियो तक पहुंच आसान हो जाती है। इन्हीं की मदद से साइबर अपराध को अंजाम दिया जाता है। अपराधी पहले फर्जी बेवसाइट का लिंक भेजते हैं, लिंक पर क्लिक करने पर अगला पेज खुलता है, जिसमें खाता संख्या या कार्ड नंबर, पासवर्ड, ओटीपी आदि डालने का विकल्प होता है। सबमिट बटन पर क्लिक करते पैसे बैंक खाते से निकल जाते हैं। देखा जाए तो मोबाइल एप से लोन लेना सूदखोर महाजन या साहूकार से कर्ज लेने से ज्यादा खतरनाक है। अधिकांश मोबाइल चीन निर्मित होते हैं, जिनका सर्वर भारत से बाहर होता है। इसलिए अधिकांश ठग विदेश से ठगी का कारोबार करते हैं। इन्हें पुलिस में शिकायत करने के बावजूद पकड़ना आसान नहीं होता है। इसलिए सावधानी ही बचाब है।
सोर्स: अमर उजाला
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