सम्पादकीय

भूले भटके लोग

Neha Dani
12 Feb 2021 2:07 AM GMT
भूले भटके लोग
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जमीनी सरहद पर दोनों तरफ कुछ गांव इतने आसपास बसे हैं कि मवेशी चराने गए

जनता से रिश्ता वेबडेसक | जमीनी सरहद पर दोनों तरफ कुछ गांव इतने आसपास बसे हैं कि मवेशी चराने गए चरवाहे कई बार अनजाने में सीमा लांघ जाते हैं, तो रात के अंधेरे में कोई मुसाफिर राह भटक कर दूसरे देश में पहुंच जाता है। इसी तरह समंदर में मछली पकड़ने गए मछुआरे अक्सर रात के अंधेरे में तय सीमा के पार पहुंच जाते हैं। स्वाभाविक ही वे सुरक्षाबलों की गिरफ्त में आ जाते हैं।

भारत और पाकिस्तान के बीच जिस तरह लगातार शक और नफरत के रिश्ते बने रहते हैं, सीमा पार गए भारतीय नागरिक जब उनके हत्थे चढ़ते हैं, तो उनका व्यवहार बहुत यातनादायी होता है। फिर उन्हें मुक्त कराने के लिए सरकार को खासी मशक्कत करनी पड़ती है। जब दोनों देशों के बीच रिश्ते कुछ बेहतर होते हैं, तो वहां की सरकार खुद असावधानीवश सीमा पार पहुंच गए मछुआरों, चरवाहों या सामान्य नागरिकों को रिहाई दे देती है, मगर जब रश्ते कड़वे होते हैं, तो इस तरह पकड़े गए लोगों के साथ भी अच्छा सलूक नहीं किया जाता है। उनके परिजन अपनी सरकार की ओर आस लगाए बैठे रहते हैं।
राज्यसभा में एक कांग्रेसी सांसद ने सरकार से अपील की कि कराची की जेलों में करीब चार सौ हिंदुस्तानी मछुआरे बंद हैं। वहां की सेना ने उनकी करीब ग्यारह सौ नौकाएं भी जब्त कर रखी हैं। उन्हें जल्द रिहा कराने का प्रयास किया जाना चाहिए। यों दो देशों के नागरिकों का गफलत में जल या थल सीमाएं पार कर जाना कोई नई बात नहीं है।
भारत के साथ जिन भी देशों की सामाएं मिलती हैं, वहां अक्सर ऐसा होता है। मगर सामान्य पूछताछ और दोनों देशों के सुरक्षाकर्मियों के बीच मामूली औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उन्हें छोड़ दिया जाता है, बशर्ते उन्होंने गलत इरादे से सीमा लांघने की कोशिश न की हो। पाकिस्तान के साथ चूंकि शुरू से भारत के रिश्ते अच्छे नहीं हैं, उससे ऐसी सदाशयता की उम्मीद नहीं की जाती।
बल्कि कई बार उसके सुरक्षाकर्मी जानबूझ कर, राजनयिक दबाव बनाने या फिर अपनी खीज मिटाने के लिए सीमा के आसपास गए भारतीय नागरिकों को पकड़ कर जेलों में बंद कर देते हैं। अक्सर उन्हें आतंकवादी, खुफिया एजेंट, तस्कर आदि करार देकर भारत के खिलाफ साजिश रचने का मामला भी बना देते हैं। कुछ बेगुनाह भारतीय नागरिक उसकी इस कुत्सित चालों के शिकार होकर जान भी गंवा चुके हैं। कुलभूषण जाधव जैसे कुछ लोगों को लंबी जटिल न्यायिक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।
हालांकि जहां भी दो देशों की सीमाएं इस तरह भ्रामक रूप से मिलती हैं, वहां सामान्य समझौता होता है कि गफलत में इधर से उधर पहुंच गए लोगों को बंदी नहीं बनाया जाएगा। मगर पाकिस्तान चूंकि भारत में आतंक फैलाने की नीयत से घुसपैठ कराता रहता है, उसके खिलाफ अनेक घटनाओं से जुड़े पुख्ता सबूत भी पेश किए जा चुके हैं, वह अक्सर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के सामने साबित करने का प्रयास करता रहता है कि आतंकवाद की साजिश वह नहीं, बल्कि उसके खिलाफ भारत करता रहता है।
हालांकि उसकी ऐसी लचर दलीलें काम नहीं आतीं, पर वह अपनी आदतों से बाज नहीं आता। मगर मछली पकड़ने गए और गलती से जल सीमा लांघ गए अपने नागरिकों को रिहा कराने का दायित्व भारत सरकार का बनता है। पाकिस्तान उनके साथ यातनापूर्ण व्यवहार करे या उन्हें किसी षड्यंत्रपूर्ण मामले में फंसाए, उन्हें मुक्त कराया ही जाना चाहिए।


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