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- रुपए में लेन-देन से...
यकीनन इस समय यूक्रेन संकट की आपदा के बीच भारत के लिए दुनिया के विभिन्न देशों में व्यापार-कारोबार और निर्यात बढ़ाने के दो तरह के अभूतपूर्व मौके निर्मित हुए हैं। एक, 11 जुलाई को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के द्वारा भारत और अन्य देशों के बीच व्यापारिक सौदों का निपटान रुपए में किए जाने संबंधी महत्त्वपूर्ण निर्णय से जहां डॉलर संकट का सामना कर रहे रूस, संयुक्त अरब अमीरात, इंडोनेशिया, श्रीलंका, ईरान, एशिया और अफ्रीका सहित कई छोटे-छोटे देशों के साथ भारत का विदेश व्यापार तेजी से बढ़ेगा, वहीं भारतीय रुपया मजबूत होगा, भारत का व्यापार घाटा कम होगा और विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ेगा। दो, इस समय जब दुनिया रूस और अमेरिकी-यूरोपीय कैम्प में बंटती हुई दिखाई दे रही है, तब भारत दोनों ही कैम्पों के विभिन्न देशों में विदेश व्यापार बढ़ाने की संभावनाओं को मुठ्ठियों में लेने के लिए तेजी से आगे भी बढ़ रहा है। उल्लेखनीय है कि इस समय यूक्रेन पर हमले के मद्देनजर पश्चिमी देशों के द्वारा रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों के कारण अमेरिकी, यूरोपीय और जापानी कंपनियों सहित कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के द्वारा रूस में अपना कारोबार बंद कर दिया गया है। ऐसे में भारतीय कंपनियों के लिए रूस में तमाम मौके दिख रहे हैं। रूस में भारत की उपभोक्ता कंपनियों से लेकर दवा निर्माण कंपनियों के द्वारा तेजी से अपना कामकाज बढ़ाया जा रहा है। भारतीय कंपनियां मौजूदा रूसी बाजार का एक बड़ा हिस्सा अपनी मुठ्ठियों में लेने के लिए सुनियोजित रूप से आगे बढ़ रही हैं। भारत के निर्यातकों के द्वारा भी रूस की सरकारी कंपनियों को विभिन्न उत्पादों के निर्यात बढ़ाए जा रहे है। ऐसे में रूस के साथ रुपए में लेनदेन भारत के लिए अत्यधिक लाभप्रद है। वस्तुत: अब दुनियाभर में तेजी से बदलती हुई यह धारणा भी लाभप्रद है कि भारत गुणवत्तापूर्ण और किफायती उत्पादों के निर्यात के लिहाज से एक बढिय़ा प्लेटफॉर्म है। कोविड-19 के कारण दुनियाभर में चीन के प्रति बढ़ती नकारात्मकता के बीच भारत ने कोरोना से लड़ाई में सबके प्रति सहयोगपूर्ण रवैया अपना कर पूरी दुनिया में अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाई है।
By: divyahimachal