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- शांति और विकास के लिए
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संवाद एक सतत प्रक्रिया है, इसका होना और जारी रहना ही अपने आप में सफलता है। जम्मू-कश्मीर में शांति और विकास की पहल को आगे बढ़ाने के लिए नई दिल्ली में हुई बातचीत स्वागतयोग्य है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद खास तौर पर घाटी में जो तल्खी दिखी, उसका समाधान संवाद से ही संभव है। घाटी के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य दिग्गज मंत्रियों, नेताओं की बातचीत पर देश ही नहीं, दुनिया की भी निगाह है। बहुत दिनों से यह मांग उठ रही थी कि केंद्र सरकार को कश्मीरी नेताओं से बातचीत करनी चाहिए। इस मांग के प्रति केंद्र ने उदारता दिखाई है और प्रधानमंत्री की इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के आठ राजनीतिक दलों के करीब 14 नेता शामिल हुए हैं। इनमें से ज्यादातर नेता वे हैं, जिन्हें अनुच्छेद 370 हटाए जाने के दौरान नजरबंद कर दिया गया था। 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35-ए हटाए जाने के बाद निस्संदेह यह एक बड़ी सकारात्मक राष्ट्रीय घटना है।
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