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कितनों के लिए दाल रोटी मुश्किल पर इनके लिए महंगाई गई तेल लेने
देश में महंगाई (Inflation) अपने चरम पर है. पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) के साथ-साथ तमाम अन्य चीजों की भी कीमतें आसमान छू रही हैं. खाद्य तेल से लेकर दलहन-तिलहन तक बाजार में ऊंची कीमत पर बिक रहे हैं. खाद्य तेल के दाम तो बीते एक वर्ष में 45 फ़ीसदी से ज्यादा बढ़े हैं. बढ़ती महंगाई के चलते बहुत से लोगों की दाल रोटी भी मुश्किल हो गई है. पर आपको यह जानकर हैरानी होगी कि रोजमर्रा की जरूरत वाले सामान की बिक्री भयंकर महंगाई में भी बढ़ गई है. और इतनी बढ़ी है कि 2019 के पहले तिमाही के आंकड़े पार करने वाली है.
रोजमर्रा की जरूरतों के सामान में महंगाई आसमान छू रही है
पेट्रोल-डीजल रोजमर्रा की जरूरतों में सबसे बड़ी चीज हैं, इसकी कीमत इस वक्त आसमान छू रही है. वहीं दूध, खाने वाले तेल, साबुन, क्रीम इत्यादि में भी महंगाई आसमान छू रही है. बीते 1 वर्ष में डव, लक्स और लाइफब्वॉय साबुनों की कीमतों में 16 से 27 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है. वहीं बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी एक खबर के मुताबिक डाबर ने भी अपने उत्पादों में 3 फ़ीसदी तक बढ़ोतरी की है.
जानकारों की मानें तो बीते 7 से 8 वर्षों में इस तरह महंगाई कभी नहीं बढ़ी. किसी भी उत्पाद को तैयार करने की लागत में इस वक्त लगभग 5 फ़ीसदी की कीमत ज्यादा लग रही है, इस वजह से जनता को भी सामान महंगा मिल रहा है. इतना ही नहीं रोज इस्तेमाल होने वाले दूध की कीमतों में भी तगड़ा इजाफा हुआ है अमूल दूध ने 2 रुपए प्रति लीटर तक दाम बढ़ा दिए हैं, जबकि मदर डेयरी ने भी अपनी कीमतों में इजाफा किया है.
नेस्ले इंडिया ने मैगी की कीमतों में बढ़ोतरी भले नहीं की लेकिन उसका वजन 10 ग्राम घटा दिया. पहले जो पैकेट 70 ग्राम का आता था अब 60 ग्राम का ही आने लगा है. टेलीविजन पैनल, कंप्रेशर मोटर आदि के दामों में भी खूब बढ़ोतरी देखी गई. टेलीविजन पैनल के दामों में तो 30 से 100 फ़ीसदी तक बढ़ोतरी हुई, इसकी वजह से टीवी अब 15 फ़ीसदी तक महंगा हो गया है. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के दामों में तकरीबन 7 फ़ीसदी तक बढ़ोतरी हुई है.
दाल रोटी मिलना हुआ मुश्किल
महंगाई का हाल यह हो गया है कि इस वक्त देश में गरीब तबके के लिए दाल रोटी का इंतजाम करना भी पहाड़ बन गया है. पिछले 1 साल में खाने के तेल की कीमतों में जितनी वृद्धि हुई है वह बीते 10 सालों के उच्चतम स्तर पर है. मई 2020 में 90 से 100 रुपए प्रति लीटर बिकने वाला खाने का तेल, इस वक्त 150 से 160 रुपए में बिक रहा है. बिना सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर की कीमतों में लगभग 26 रुपए की बढ़ोतरी हुई है और वहीं 1 साल पहले 90 से 95 रुपए किलो बिकने वाली अरहर की दाल इस वक्त 110 से 120 रुपए प्रति किलो बिक रही है. इसी तरह उड़द, मूंग, मसूर और चने की दाल की कीमतों में भी काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक जो उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में आवश्यक परिवर्तन को समय-समय पर मापता है उसके अनुसार, जून 2021 में लगातार दूसरे महीने महंगाई आरबीआई की 6 फ़ीसदी की ऊपरी सीमा पार कर गई. एनएसओ के अनुसार जून 2021 के लिए सीपीआई 6.26 फ़ीसदी रहा. जिसमें खाने-पीने के सामान में महंगाई की दर 5.58 फ़ीसदी, दालों में 10.1 फ़ीसदी, परिवहन में 11.56 फ़ीसदी, फलों में 11.82 फ़ीसदी रहा.
एफएमसीजी कंपनियों का मुनाफा चरम पर
मार्च 2020 में जब देशव्यापी लॉकडाउन लगा था, तो एफएमसीजी सेक्टर भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ था. क्योंकि ज्यादातर लोगों ने यह सोचकर अधिक से अधिक सामान अपने पास इकट्ठा कर लिया था कि आने वाले समय में उन्हें जरूरत का सामान नहीं मिलेगा. इस वजह से एफएमसीजी कंपनियों की बिक्री और मुनाफा काफी प्रभावित हुआ था. यहां यहां तक कि इस क्षेत्र का राजस्व घटकर 2019 के स्तर से नीचे आ गया था. हालांकि 2021 में ना सिर्फ इन कंपनियों की स्थिति ठीक हुई बल्कि इन्होंने लॉकडाउन से पहले के मुकाबले भी ज्यादा बेहतर व्यापार किया. मोतीलाल ओसवाल के मुताबिक अप्रैल-जून तिमाही में एफएमसीजी की 18 प्रमुख कंपनियों का कुल राजस्व 19 फ़ीसदी तक बढ़ा है.
बढ़ती महंगाई के बीच एफएमसीजी की कंपनियों (FMCG Companies) ने जमकर मुनाफा कमाया है. एफएमसीजी यानि वह कंपनियां जो रोजमर्रा की खपत का सामान बनाती हैं. आंकड़ों की माने तो जिस तरह से एफएमसीजी कंपनियां मुनाफा कमा रही हैं, वह जल्द ही महामारी से पहले के कारोबारी स्तर को पार कर सकती हैं. एफएमसीजी के क्षेत्र की 2 सबसे बड़ी कंपनियां हिंदुस्तान यूनिलीवर और आईटीसी का प्रदर्शन बताता है कि इन कंपनियों ने बिक्री में जोरदार वृद्धि दर्ज की है. जिसकी बदौलत इन्होंने 2019 की जून तिमाही के अपने राजस्व को पार करने में सफलता हासिल कर ली है. मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल से जून तिमाही के बीच 18 प्रमुख एमसीजी कंपनियों का कुल राजस्व 19 फ़ीसदी बढ़ा है जबकि उनके एबिटा 23 फ़ीसदी और टैक्स के बाद मुनाफा 25 फ़ीसदी बढ़ा है.
वही पॉम ऑयल की कीमत भी बीते 1 वर्ष में 49 फ़ीसदी से ज्यादा बढ़ गई है. इसकी वजह से पॉम ऑयल से बनने वाले तमाम प्रोडक्ट्स भी महंगे हो गए हैं. दरअसल जितने भी साबुन तेल क्रीम बनते हैं, उनमें पॉम ऑयल का इस्तेमाल होता है. ऐसे प्रोडक्ट ज्यादातर हिंदुस्तान यूनिलीवर, मैरिको, डाबर और नेस्ले जैसी कंपनियां बनाती हैं, जिन्होंने अपने उत्पादों की कीमतों में बड़ा इजाफा किया है. एडलवाइस रिसर्च के अनुसार अप्रैल से जून तक के समय में हिंदुस्तान यूनिलीवर ने अपने उत्पादों की कीमतों में लगभग 6 फ़ीसदी का इजाफा किया है. कीमतों में इजाफा के चलते भी मुनाफे में फायदा एक कारण हो सकता है, पर डिमांड भी बड़ी है ये बाजार के लिए एक उम्मीद जगाता है.