सम्पादकीय

खाद्य संकट का हल

Rani Sahu
17 Sep 2022 7:29 AM GMT
खाद्य संकट का हल
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सोर्स- अमृत विचार
दुनिया कोविड महामारी से उबर रही है लेकिन ऊर्जा और खाद्य संकट का सामना कर रही है। यूक्रेन संघर्ष और कोरोना की वजह से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में दिक्कतें आई हैं। दुनिया की लगभग आधी आबादी चावल और गेहूं पर निर्भर है। युद्ध से पहले तक यूक्रेन और रूस मिलकर पूरे विश्व में गेहूं की लगभग एक तिहाई मांग को पूरा करते थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में कहा कि खाद्य समस्या का एक संभावित समाधान मिलेट्स (बाजरे) की खेती और उपभोग को बढ़ावा देना है। मिलेट्स एक ऐसा सुपरफूड है जो न सिर्फ एससीओ देशों में, बल्कि विश्व के कई भागों में हजारों सालों से उगाया जा रहा है और खाद्य संकट से निपटने के लिए एक पारंपरिक, पोषक और कम लागत वाला विकल्प है।
वास्तव में अब समय आ गया है कि चावल और गेहूं जैसे लोकप्रिय अनाज के विकल्पों की तलाश की जाए। बाजरा इस अनाज का एक विकल्प हो सकता है। बाजरा काफी पौष्टिक होता है, किसी भी तरह की जलवायु में पैदा किया जा सकता है, इसके उत्पादन में समय कम लगता है और यह कार्बन का भी कम उत्सर्जन करता है। बाजरे में पर्याप्त मात्रा में आयरन, फाइबर और कुछ विटामिन होते हैं। इसलिए इसे 'पोषक अनाज' भी कहा जाता है।
दुनिया के 130 से ज्यादा देशों में इसका उत्पादन होता है। इसके बावजूद अफ्रीका और एशिया के महज नौ करोड़ लोग ही मुख्य भोजन के रूप में इसका इस्तेमाल करते हैं। इसे लोगों की नजर में लाने की जरूरत है। हालांकि, वर्ष 2023 को संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में घोषित किया गया है। इसे अक्सर गरीबों का भोजन माना जाता है। ऐसे में इस अनाज को लेकर लोगों की धारणा बदल सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह अच्छी बात होगी। धान की खेती के विपरीत बाजरे की खेती में बहुत कम या ना के बराबर ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन होता है। मौजूदा स्थिति यह है कि एशिया और अफ्रीका में बाजरे का जितना उत्पादन किया जा रहा है वह स्थानीय मांगों को भी पूरा नहीं कर सकता है। इसलिए बाजरे की खेती बढ़ाने का मतलब है कि इसके प्रसंस्करण के साधनों में भी वृद्धि करनी होगी। अगर बाजरे की खेती को बढ़ावा देना है तो देश की सरकारों को हस्तक्षेप करना होगा। सब्सिडी और सरकारी स्तर पर खरीद सुनिश्चित करके बाजरे की खेती को आसानी से बढ़ाया जा सकता है।
Rani Sahu

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