सम्पादकीय

रिश्तों का प्रवाह

Subhi
8 Sep 2022 4:32 AM GMT
रिश्तों का प्रवाह
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बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की इस बार की भारत यात्रा से दोनों देशों के बीच रिश्तों की गरमाहट और थोड़ी बढ़ गई है। इस बार भी दोनों देशों ने परस्पर सहयोग के लिए सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए।

Written by जनसत्ता: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की इस बार की भारत यात्रा से दोनों देशों के बीच रिश्तों की गरमाहट और थोड़ी बढ़ गई है। इस बार भी दोनों देशों ने परस्पर सहयोग के लिए सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए। उनमें सबसे महत्त्वपूर्ण है कुशियारा नदी के जल बंटवारे को लेकर हुआ समझौता। इससे दक्षिणी असम और सिलहट क्षेत्र के लोगों को काफी लाभ मिलेगा। दोनों देशों के बीच करीब चौवन नदियां प्रवाहित होती हैं, जिनके जल को लेकर विवाद उठते रहते हैं। कुशियारा नदी जल समझौते से उन नदियों के पानी के प्रबंधन को लेकर भी उम्मीद जगी है।

भारत ने करीब सैंतालीस साल पहले फरक्का नदी पर बांध बनाया, तो बांग्लादेश ने उसका कड़ा विरोध किया था, मगर पच्चीस साल पहले दोनों देशों के बीच तीस साल के लिए गंगा जल बंटवारे पर समझौता हुआ, तो वह विरोध समाप्त हो गया था। फिर भी गंगा में मिलने वाली नदियों के पानी को लेकर कभी-कभार विरोध के स्वर उठ जाते हैं। दरअसल, दो देशों या फिर दो राज्यों के बीच होकर गुजरने वाली नदियों के पानी को लेकर विवाद नए नहीं हैं, उनके पानी के उचित प्रबंधन की जरूरत होती है। इसके लिए अगर व्यावहारिक समझौते हों, तो जल-विवाद आसानी से हल किए जा सकते हैं। भारत-बांग्लादेश ने इस दिशा में एक उत्साहजनक कदम उठाया है।

हालांकि शेख हसीना इस समझौते के समय तीस्ता जल बंटवारे की लंबित मांग को रेखांकित करना नहीं भूलीं। करीब ग्यारह साल से वह समझौता लटका हुआ है। ग्यारह साल पहले तीस्ता जल बंटवारे पर दोनों देशों के बीच समझौता होना तय था, मगर ममता बनर्जी के तीखे विरोध की वजह से उस पर कदम नहीं बढ़ाया जा सकता था। दरअसल, नदियों के पानी को लेकर विवाद इसलिए पैदा होते हैं कि भारत समेत इसकी सीमा से लगे तमाम देशों की खेती-किसानी, पेयजल और कल-कारखानों आदि के लिए जल आपूर्ति काफी हद तक नदियों पर निर्भर है।

इसलिए जिन देशों से जो नदियां निकलती हैं, उन देशों के लोगों को लगता है कि उनकी जल संपदा दूसरे देशों को मुफ्त में क्यों मिले। मगर नदियों को रोकना संभव नहीं। उन पर बांध बना कर उनके पानी का विभिन्न रूप में उपयोग किया जाता है। हमारे देश का भी बहुत सारा पानी पाकिस्तान की ओर बह कर चला जाता है। भारत के कई इलाके गहरे जल संकट से जूझ रहे हैं, ऐसे में अगर बांग्लादेश का पानी यहां आता है, तो काफी सुविधा होगी।

इस समझौते के साथ दोनों देशों ने आतंकवाद से निपटने में सहयोग का संकल्प भी एक बार फिर से दोहराया है। हालांकि इसे लेकर दोनों देशों के बीच पहले से समझौते हैं। मगर बांग्लादेश में पूर्वोत्तर के आतंकवादियों, हरकत-उल-जिहाद-इस्लामी जैसे संगठनों के उपद्रवियों के पनाह लेने के आरोप लगते रहते हैं। ये संगठन वहां भारत-विरोधी गतिविधियों के लिए लोगों को उकसाते रहते हैं।

पिछले कुछ सालों में वहां हुए हिंसक आंदोलनों के चलते भारत की चिंता बढ़ गई थी। ऐसे में भारत ने विशेष रूप से इन गतिविधियों का उल्लेख किया। हालांकि दोनों देशों के बीच व्यापारिक गतिविधियां इतनी विस्तृत हैं कि अनेक मामलों में बांग्लादेश भारत पर निर्भर है। बांग्लादेशी वस्तुओं पर भारत ने सीमा शुल्क काफी कम रखा हुआ है, जिसके बदले उसने आतंकवादी गतिविधियों पर नजर रखने में सहयोग का वचन दिया है। ताजा समझौता उन रिश्तों को और मजबूत बनाएगा।

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