सम्पादकीय

जिंदगी का बहता सोता

Subhi
13 Aug 2022 5:34 AM GMT
जिंदगी का बहता सोता
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हमारे आसपास हरदम जज्बात और जुनून की ताकत होती है। क्या आपने कभी इसे अपने आसपास महसूस किया है? क्या आपने कभी महसूस नहीं किया कि आपमें अकूत ऊर्जा है? जिस क्षण आप अपनी इस ताकत को पहचान लेंगे उसी क्षण आप जीवन के अगले पायदान पर पहुंच जाएंगे।

स्वरांगी साने: हमारे आसपास हरदम जज्बात और जुनून की ताकत होती है। क्या आपने कभी इसे अपने आसपास महसूस किया है? क्या आपने कभी महसूस नहीं किया कि आपमें अकूत ऊर्जा है? जिस क्षण आप अपनी इस ताकत को पहचान लेंगे उसी क्षण आप जीवन के अगले पायदान पर पहुंच जाएंगे। तब आपके जीवन में संक्रमण का दौर आएगा। आपने महसूस किया होगा कि जीवन में कोई ताकत आपकी हर समय रक्षा कर रही होती है। कभी-कभी आप इसे अविश्वसनीय मानते हैं, लेकिन आपको अपने पूर्वाभासों और अपनी अनुभूतियों पर भरोसा करना सीखना होगा।

फिर आप वह ताकत खुद बन जाते हैं, जो रक्षक होती है। अपने भीतर के योद्धा को जगाइए। आपको जीवन संग्राम में जीतने के विलक्षण उपाय खुद-ब-खुद अपने भीतर से आते महसूस होने लगेंगे। आपकी यात्रा जितनी भीतर की ओर होगी, उतना आपको अपने जीवन का लक्ष्य भी पता चलने लगेगा।

दो मित्र लिफ्ट में फंस गए। उन्हें लगा कि उनकी मौत सुनिश्चित है। वे याद करने लगे कि वे जीवन में क्या नहीं कर पाए, क्या करना रह गया। वे अफसोस कर ही रहे थे कि लिफ्ट फिर से शुरू हो गई और उस माले तक भी पहुंच गई, जहां उन्हें उतरना था। लिफ्ट से बाहर आने पर पहले मित्र ने दूसरे से पूछा कि घर जाकर उसकी क्या करने की योजना है। दूसरे मित्र ने कहा, वह टीवी देखेगा। फिर उसने पहले मित्र से पूछा कि वह क्या करने वाला है, तो उसने भी यही जवाब दिया कि घर जाकर वह आराम से टीवी देखेगा।

हमें जीवन में बहुत कुछ करना होता है, लेकिन हम समय रहते उसे नहीं कर पाते। लगता है कि बहुत समय है, तो समय गंवाना शुरू कर देते हैं। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे श्मशान घाट पर जीवन की निरर्थकता पर बात करने वाले वहां से लौटते ही फिर निरर्थक कामों में लग जाते हैं। आपके जीवन में जो भी अच्छा हो रहा है, उसके प्रति आभार मानिए। जितनी आपको जिंदगी की जरूरत है, जिंदगी को भी आपकी उतनी ही जरूरत है।

किसी बात का भय हो तो उसे निकाल फेंकिए और अपनी ताकत को पहचानिए। जिन अनुभवों से आप गुजर रहे हैं, वे इसलिए आपको महसूस हो रहे हैं, क्योंकि आप मनुष्य हैं। अपनी मनुष्यता में विश्वास रखिए। प्यार, निष्ठा, समर्पण जगाइए। अगर हर काम आप इस तरह करने लगेंगे तो आपको अलग से ध्यान-साधना करने की आवश्यकता नहीं होगी।

सोते समय अपने पास डायरी और कलम रख कर सोइए। सोते समय जो विचार, जो सवाल मन में आ रहा है, उसे लिख कर छोड़ दीजिए। इस उम्मीद में कि दूसरे दिन आपको उसका हल जरूर मिल जाएगा। हो सकता है आपको अगले दिन उसका हल न मिले, लेकिन इससे आपको अपना दिल खोल पाने में मदद मिलेगी। अपने जीवन के नए अध्याय को जज्बे और जुनून से भर दीजिए।

किसी पहेली के सारे टुकड़े एक साथ रख कर उसे हल करने की कोशिश की जाती है न, वैसा ही जीवन के साथ भी करके देखिए। इसी समय विश्वास कीजिए कि आप जीवन के इन्हीं छोटे-बड़े टुकड़ों-अनुभवों से सीखने वाले हैं। जिनसे आपको उलझन होती थी, उन्हें ही सही स्थान पर रख कर सुलझाना शुरू कीजिए। 'अप्प दीपो भव' के मायने समझने की उसी क्षण से शुरुआत हो जाएगी।

आपके जीवन के दुख केवल यह बताते हैं कि आपकी नींव कमजोर और अस्थिर है। उस नींव को मजबूत कीजिए या फिर से नई बुनियाद रखिए। कोई बड़ी इमारत बनाने के लिए अधिक सशक्त नींव की जरूरत होती है। नींव मजबूत हो जाने के बाद अपने जीवन में आए बदलाव का अनुभव कीजिएगा। संक्रमण के उस क्षण से आपको गुज़रना है, जहां पुरानी कमजोर नींव की जगह नई नींव रखनी है।

उसके बाद आपको केवल आगे की दिशा में ही बढ़ना है। आपको अपने जीवन के उन क्षेत्रों को देखना है, जहां आप ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। जिन पहलुओं को आप अधिक सशक्त एवं सकारात्मक बनाना चाहते हैं। वे पहलू जो न केवल आपके सहयोगी बनें, बल्कि आपको आगे की ओर भी ले जाएं। आप दुनिया में कैसे संचार करते हैं और दुनिया से कैसे संचार करते हुए निकल जाते हैं, यह सब आप कितने संक्रमणों से गुजरे उस पर निर्भर करता है।

पुरानी सीमित कल्पनाओं का जामा फेंक दीजिए। जो चीजें, व्यक्ति, परिस्थिति आपको पीछे खींच रहे हैं, उन्हें पूरी ताकत से उखाड़ फेंकिए। उसके बाद एक-एक ईंट रख कर सीमेंट-गारे से एक-एक कदम सोच-समझ कर रखते हुए आगे बढ़ना शुरू कर दीजिए। यह आप में आए बदलाव का पुरस्कार होगा, उसे स्वीकार कीजिए और आगे बढ़ते रहिए।

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