सम्पादकीय

युद्ध की आंच: पोषण आहार संकट से जूझ रहे हैं अमेरिकी बच्चे, कई देशों में भुखमरी जैसे हालात

Gulabi Jagat
20 May 2022 1:58 PM GMT
युद्ध की आंच: पोषण आहार संकट से जूझ रहे हैं अमेरिकी बच्चे, कई देशों में भुखमरी जैसे हालात
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विश्व की सबसे ताकतवर सैन्य और आर्थिक शक्ति कहे जाने वाले अमेरिका के शिशु पोषण आहार संकट से जूझ रहे
सतीश एलिया।
विश्व की सबसे ताकतवर सैन्य और आर्थिक शक्ति कहे जाने वाले अमेरिका के शिशु पोषण आहार संकट से जूझ रहे हैं। अमेरिका के 43 राज्यों के सुपर मार्केट्स में बेबी फ़ार्मूला वाले सेक्शन खाली पड़े हैं, सरकार के अब तक के तमाम प्रयासों के बावजूद 40 फीसदी बेबी फार्मूला प्रोडक्टस आउट आफ स्टाक हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को बुधवार को डिफेन्स प्रोडक्शन एक्ट बेबी फार्मूला पर लागू करना पड़ा, यानी देश की सुरक्षा के लिए जरूरी उत्पाद की श्रेणी में बेबी फार्मूला उत्पादों को शामिल किया गया है। इसके साथ ही उसे जहाँ उपलब्ध हो विदेशों से तुरंत मंगाने का प्रावधान भी करना पड़ा। यानी इस संकट ने इस मामले में 'युद्ध जैसै' हालात बना दिए हैं।
अमेरिका 17 हजार बच्चे ऐसे हैं जो फेनाइलकेटोन्यूरिया (जिसे PKU कहा जाता है) से पीड़ित हैं, जिन्हें 70 फीसदी पोषण बेबी फार्मूला सप्लीमेंट से ही मिलता है। अगर यह न मिले तो वे स्थायी ब्रेन डैमैज का शिकार हो सकते हैं।
अमेरिका में बाकी शिशु और छोटे बच्चे भी मुख्यत: पोषण आहार के लिए बेबी फूड प्रोडक्टस पर निर्भर हैं। लेकिन एक तरफ ये अमेरिकी बच्चे हैं जिनकी चिंता अमेरिकी सरकार युद्ध स्तर पर कर रही है, और करनी भी चाहिए और दूसरी तरफ वे दुनिया के वे 61 देश हैं जिनकी 180 करोड़ आबादी भुखमरी से बावस्ता है, इसके पीछे सबसे बड़ा कारण सतत युद्ध या गृह युद्ध हैं।
बेबी फार्मूला सप्लीमेंट बनाने के लिए सामग्री की कमी
दुनिया के लगभग हर तरह के युद्ध में सबसे बड़े हथियार उत्पादक अमेरिका की प्रत्यक्ष या परोक्ष भूमिका होती है। अमेरिका में बेबी फार्मूला सप्लीमेंट प्रोडक्टस बनाने वालों के संगठन ग्लोबल न्यूट्रीशन के प्रेसीडेंट पैट्रिक स्लाय ने कहा है कि इन उत्पादों को बनाने में कई चीजें लगती हैं, यह एक काम्लेक्स प्रोडक्ट है। इसमें सनफ्लावर आइल भी शामिल है, जिसका दुनिया का 40 फीसदी उत्पादन अकेला यूक्रेन करता है।
यूक्रेन- रूस जंग ने पूरी दुनिया में इस आयल का भी भीषण संकट खड़ा कर दिया है। यानी जिस युद्ध को अमेरिका लगातार हवा दे रहा है, उसका साइड इफेक्ट अमेरिका के बेबी फूड उत्पादन तक पर हो रहा है। खाद्यान्न संकट तो इस युद्ध की वजह से पूरी दुनिया में विकराल हो ही रहा है।
भुखमरी दुनिया में एक बड़े युद्ध हथियार की तरह इस्तेमाल हो रहा है।
वर्ष 2015 के बाद दुनिया में भुखमरी पीड़ित देशों की संख्या बढती ही जा रही है। वर्ष 2016 में दुनिया की 81.50 करोड़ आबादी भुखमरी पीड़ित थी, इसमें से 60 फीसदी आबादी की इस दुर्दशा की वजह युद्ध या गृहयुद्ध थी। साउथ सूडान, सीरिया, यमन तक दर्जनो देशों की जनता भुखमरी के युद्ध की शिकार है।
संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद ने पहली बार 24 मई 2018 को सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव में यह माना कि खाद्य असुरक्षा और भुखमरी को युद्ध पैंतरे की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रस्ताव में स्वीकार किया गया कि नागरिकों की भूख को युद्ध का हथियार बनाने को युद्ध अपराध माना जाएगा। खाद्यान्न भंडारों, बाजारों और वितरण व्यवस्था को युद्ध के समय भी बनाए रखा जाएगा।
कई देशों में बिगड़ते जा रहे हैं हालात
वर्तमान में हम देख रहे हैं कि युद्ध ग्रस्त यूक्रेन का अनाज भंडार समुद्र तटों पर रुसी सेना के हमलों से घिरा है और रुस का अनाज भंडार यूरोपियन यूनियन के प्रतिबंधों के ताले में है, नतीजतन दुनिया के भुखमरी पीड़ित देश और गहरी भुखमरी के मुंह में जाने को मजबूर है। सूडान, सीरिया, और अन्य कई देशों के बच्चे कंकाल हो रहे हैं, उनकी चिंता अमेरिकी बच्चों की तरह करने वाला कोई नहीं।
नाटो और अमेरिका यूक्रेन को हथियार देकर मदद कर रहे हैं। युद्ध जारी रहा तो यूक्रेन की आलू, सब्जी की सप्लाई का अगला सीजन भी खत्म हो जाएगा, रूस की खाद सप्लाई न होने से यूरोप, एशिया और अन्य महाद्वीपों के दर्जनों देशों की खेती बुरी तरह प्रभावित होगी, यानी संकट पूरी दुनिया के सामने है।
लड़ने वाले, लडाने वाले और तमाशा देखने वाले किसी को भी इसका खामियाजा भुगतने से निजात नहीं हैं। दुनिया सही मायने में ग्लोबल विलेज बन चुकी है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के दुष्प्रभाव
अमेरिका में बेबी फॉर्मूला संकट की शुरुआत तो पिछले साल नवंबर से ही हो गई थी लेकिन हाल में यह स्थिति विकराल हो गई है। हालत यह है कि देश के कई स्टोर्स में बेबी फॉर्मूला का स्टॉक खत्म हो गया है। कई कंपनियों ने इसे खरीदने की लिमिट भी लगा दी है।
दूध तक के लिए तरस रहे हैं बच्चे
दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी अमेरिका में आजकल बच्चों को भरपेट दूध नसीब नहीं हो रहा है। एक साल से कम उम्र के बच्चे को फॉर्मूला मिल्क पिलाया जाता है। जब किसी समस्या की वजह से मां की ब्रेस्ट में दूध नहीं बन पाता या मां स्तनपान नहीं करवा पाती है, तो शिशु को फॉर्मूला मिल्क पिलाया जाता है। लेकिन अमेरिका में इसकी भारी कमी हो गई है। कई बड़ी कंपनियों ने इसकी बिक्री सीमित कर दी है।
हाल के दिनों में कंपनियों ने फॉर्मूला मिल्क कैन खरीदने के सीमा तय कर दी है। यानी कस्टमर तय सीमा से ज्यादा कैन नहीं खरीद सकते हैं। टॉप ब्रांड बनाने वाली कंपनी एबॉट (Abbott) ने फरवरी में अपने फॉर्मूला मिल्क प्रोडक्ट्स को वापस बुला लिया है। इसमें बैक्टीरिया मिलने के बाद कंपनी ने यह कदम उठाया था। साथ ही इसे बनाने वाली फैक्ट्री को भी बंद कर दिया गया था। इससे देश में फॉर्मूला मिल्क का संकट बढ़ गया।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक बाइडेन सरकार पर जल्दी से जल्दी इस मुद्दे को सुलझाने के लिए दबाव बढ़ रहा है। कई रिपब्लिकन सांसदों ने इसे राष्ट्रीय संकट बताते हुए सरकार से इस पर ध्यान देने की अपील की है।
डेमोक्रेटिक रिप्रजेंटेटिव रोसा डीलॉरो ने भी इस मुद्दे पर फूड एंड ड्रग एडिमिनिस्ट्रेशन के सुस्त रवैये की आलोचना की है। कई प्रांत गरीब महिलाओं और बच्चों को बेबी फॉर्मूला देने के प्रोग्राम चला रहे हैं और एबॉट इसमें मुख्य सप्लायर है।
कंपनी का कहना है कि वह मिशिगन में बंद पड़ी अपनी फैक्ट्री को फिर से चालू कराने के लिए रेग्युलेटर्स के साथ काम कर रही है। साथ ही आयरलैंड में कंपनी के प्लांट से अतिरिक्त खेप मंगाई जा रही है।
कंपनी का फॉर्मूला मिल्क लेने के बाद चार बच्चों के बीमार होने की खबर आई थी। इनमें से दो बच्चों की मौत हो गई थी। अभी इस मामले की जांच चल रही है।
बुरे दौर से गुजर रही है दुनिया
अमेरिका के 11 हजार स्टोर्स पर नजर रखने वाली रिसर्च फर्म Datasembly के मुताबिक देश में फॉर्मूला मिल्क की कमी पिछले साल से हो होने लगी थी। सप्लाई चेन की बाधा और दूसरे कई कारणों से ऐसा हुआ। पिछले महीने स्थिति और विकराल हो गई जब लोगों ने इसे स्टॉक करना शुरू कर दिया था।
24 अप्रैल को एवरेज आउट ऑफ स्टॉक रेट उछलकर 40 फीसदी पहुंच गया जो कुछ हफ्ते पहले 30 फीसदी था। नवंबर में यह 11 फीसदी था।
देश के 26 प्रांतों में आउट ऑफ स्टॉक रेट 40 फीसदी से अधिक है जबकि तीन हफ्ते पहले यह संख्या सात थी। देश की बड़ी फार्मेसी चेन Walgreens ने एक बयान में कहा कि बढ़ती मांग और सप्लायर की कई चुनौतियों के कारण देशभर में बेबी फॉर्मूला पर काफी दबाव है।
हम ग्राहकों की मांग को पूरा करने के लिए अपने सप्लायर पार्टनर्स के साथ दिनरात काम पर जुटे हैं। Walgreens के स्टोर्स पर केवल तीन कैन फॉर्मूला मिल्क खरीदा जा सकता है। कई दूसरे रिटेलर्स ने भी यह लिमिट लगाई है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए जनता से रिश्ता उत्तरदायी नहीं है।
Gulabi Jagat

Gulabi Jagat

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