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- कंगाली में मछली...
होरी पंचम के खेत अबके फिर ज्यों बाढ़ की भेंट चढ़े तो उसने तनिक दिमाग लगा तय किया कि क्यों न इन तालाब बने खेतों में मछली पालन कर इनकम बढा़ई जाए, आपदा को अवसर में ही नहीं, सुनहरे अवसर में बदला जाए। इसका फायदा यह भी रहेगा कि वह सरकार के साथ भी चलेगा और इनकम भी हो जाएगी। मतलब, एक पंथ दो लाभ। यह सोच वह मछली बाबू के दफ्तर जा पहुंचा। उसे अपने ऑफिस में आया देख मछली खालन विभाग के हेड ने उससे पूछा, 'कौन? मत्स्य कन्या? 'नहीं साहेब, होरी पंचम! गांव लमही जिला कोई भी रख लो। 'तो मछली बाबू को क्यों डिस्टर्ब किया दोपहर में? अब क्या चाहते हो? 'साहेब! गाय पाल कर इनकम तो न बढ़ी, पर अब मछली पाल कर इनकम बढ़ाना चाहता हूं। 'गुड! वैरी गुड! आदमी की साइड की इनकम भी होनी चाहिए। वेतन से तो अखराजात पूरे ही नहीं होते। तो…। 'तो साहब! वैसे भी बाढ़ ने खेतों का खेतों से तालाब बना दिया है। सो सोच रहा हूं जब तक खेतों का पानी उतरे, क्यों न तब तक मछली की खेती ही कर ली जाए। मछलियों से इनकम के लिए क्या करना होगा साहेब? 'करना क्या! हमसे मछलियों का बीज ले जाओ और पांच महीने में ही हमारी तरह हाथ पर हाथ धरे इनकम दस गुणा पाओ। 'पर बीज असली ही होगा न मछली साहेब? होरी पंचम ने मछली बाबू के आगे सवाल खड़ा किया तो मछली बाबू यों उछलते बोले ज्यों पानी से बाहर मछली निकालने पर उछलती है, 'क्या मतलब तुम्हारा?