सम्पादकीय

गरीबी से लड़ाई कामयाब

Subhi
19 Oct 2022 6:16 AM GMT
गरीबी से लड़ाई कामयाब
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संयुक्त राष्ट्र की ओर से आई एक ताजा रिपोर्ट बताती है कि भारत में 2005-06 से लेकर 2019-21 तक की 15 वर्षों की अवधि में 41.5 करोड़ लोगों को गरीबी से उबार लिया गया है।

नवभारत टाइम्स; संयुक्त राष्ट्र की ओर से आई एक ताजा रिपोर्ट बताती है कि भारत में 2005-06 से लेकर 2019-21 तक की 15 वर्षों की अवधि में 41.5 करोड़ लोगों को गरीबी से उबार लिया गया है। किसी भी पैमाने पर यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। जैसा कि सोमवार को जारी इस मल्टी डाइमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स (एमपीआई) रिपोर्ट में भी कहा गया है कि इस उपलब्धि का वैश्विक स्तर पर तत्काल यह फायदा हुआ है कि इसने सस्टेनेबल डिवेलपमेंट गोल्स (एसडीजी) की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सार्थकता बढ़ा दी है। हाल के वर्षों में कोरोना, युद्ध, जलवायु परिवर्तन जैसे तमाम कारकों से उपजे हालात को देखते हुए इन लक्ष्यों को हासिल करना नामुमकिन नहीं तो बेहद मुश्किल जरूर लगने लगा था। ऐसे में इस उपलब्धि ने अचानक जैसे सबके मन में आशा का संचार कर दिया है। अब कहा जा रहा है कि ज्यादा नहीं तो गरीबी में रह रहे लोगों की संख्या 2030 तक आधा करने का लक्ष्य तो हासिल किया ही जा सकता है। भारत इस लिहाज से पूरी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण केस स्टडी था। लेकिन वैश्विक संदेश से अलग राष्ट्रीय स्तर पर भी इस रिपोर्ट से उजागर हुए तथ्य बेहद महत्वपूर्ण हैं और इनमें आगे के लिए कई उपयोगी सबक निहित हैं। हालांकि इस तरह की स्टडी राजनीतिक नजरिए से नहीं की जाती और यही इसकी खासियत भी है, लेकिन फिर भी मौजूदा संदर्भ में यह देखना उपयोगी हो सकता है कि करीब डेढ़ दशकों की इस अवधि में यूपीए और एनडीए दोनों की सरकारें रही हैं।

आपसी विवादों और कार्यशैली के अंतर के बावजूद दोनों ही सरकारों के कार्यकाल में गरीबी उन्मूलन के प्रयास अलग-अलग स्तरों पर जारी रहे और उनके प्रभाव भी नजर आए। रिपोर्ट के मुताबिक 2005-06 से 2015-16 के बीच करीब 27.5 करोड़ लोग गरीबी से निकले तो 2015-16 से 2019-21 की महामारी पूर्व की अवधि में 14 करोड़ लोग इससे बाहर आए। सबसे चमत्कारिक स्थिति तो बिहार जैसे गरीब माने जाने वाले राज्य की है। वहां 2005-06 में गरीबी का जो प्रतिशत 77.4 था वह 2015-16 में घटकर 52.4 फीसदी पर आया और 2019-21 में 34.7 फीसदी पर आ गया। खास बात यह कि इस स्टडी में दुनिया भर में गरीबी को अभावों के संदर्भ में समझने की कोशिश हुई और पाया गया कि ज्यादातर मामलों में चार कमियां सबसे ज्यादा प्रभावित करती है। वे हैं - भोजन, रसोई ईंधन, शौचालय और आवास। इस लिहाज से सरकार की बहुचर्चित योजनाओं पर एक नजर डालने से भी स्पष्ट हो जाता है कि हमारी नीतियों की दिशा सही है। लेकिन फिर भी आगे की चुनौतियां आसान नहीं हैं। करीब 23 करोड़ लोग अभी भी गरीबी में पड़े हैं। ऐसे बच्चों की संख्या 9.7 करोड़ है, जो इस स्टडी में शामिल 111 देशों में से किसी भी दूसरे देश की कुल गरीब आबादी से भी ज्यादा है।


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