सम्पादकीय

पचास साल का सफर

Gulabi
20 Dec 2021 5:15 AM GMT
पचास साल का सफर
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बांग्लादेश की आजादी की 50वीं सालगिरह के मौके पर स्वाभाविक रूप से इस अवधि में इस देश की सफलताओं की तरफ ध्यान गया
पिछले तीन दशकों में बांग्लादेश ने जो राह चुनी, उसका नतीजा है कि कोरोना महामारी से पहले तक अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से फल-फूल रही थी। उसकी सालाना आर्थिक वृद्धि दर आठ फीसदी थी। महामारी की मार झेलने के बावजूद बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर लौट रही है।
बांग्लादेश की आजादी की 50वीं सालगिरह के मौके पर स्वाभाविक रूप से इस अवधि में इस देश की सफलताओं की तरफ ध्यान गया। आजादी के बाद पहले 20 वर्ष बांग्लादेश ने अंदरूनी उथल-पुथल के बीच गुजारे। लेकिन पिछले तीन दशकों में उसने जो राह चुनी, उसका नतीजा है कि कोरोना वायरस महामारी से पहले तक बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से फल-फूल रही थी। उसकी सालाना आर्थिक वृद्धि दर आठ फीसदी थी। महामारी की मार झेलने के बावजूद बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर लौट रही है। बांग्लादेश की आबादी आज करीब 16.7 करोड़ है। इस पूरी आबादी का पेट भरने लायक अनाज वह खुद उगाता है। यानी इस मामले मे वह आत्म निर्भर है। यहां जच्चा-बच्चा मृत्युदर में भी खासी कमी आई है। 2015 में बांग्लादेश ने निम्न-मध्यम आय वाले देश का दर्जा हासिल कर लिया था। अब यह संयुक्त राष्ट्र की 'सबसे कम विकसित देशों' की सूची से निकलने की राह पर है। देश के 98 फीसदी बच्चे प्राइमरी शिक्षा हासिल कर रहे हैं। माध्यमिक स्कूलों में लड़कों की तुलना में लड़कियां ज़्यादा है।
ये सारे संकेतक मानव विकास के पैमाने पर हासिल हुई उपलब्धियों के गवाह हैँ। बीते कुछ वर्षों में इस मुस्लिम-बहुल राष्ट्र ने लड़कियों और महिलाओं की जिदगियों को बेहतर बनाने में भारी निवेश किया है। बच्चों के कुपोषण और प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य के मुद्दे पर भी इसने प्रगति की है। लड़कियों की पढ़ाई के हालात बेहतर होने से बांग्लादेश के सामाजिक-आर्थिक ढांचे का कायापलट हुआ है। लड़कियों और महिलाओं को पढ़ने के लिए वजीफा देना अब वहां एक अहम बात है। अब महिलाएं पहले से ज्यादा मुखर हैं। बांग्लादेश 409 अरब डॉलर से ज्यादा की जीडीपी के साथ अभी दुनिया की 37वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। एक अनुमान के मुताबिक 2030 तक इसकी अर्थव्यवस्था दोगुनी हो सकती है। साल 1971 में अस्तित्व में आते समय बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से खेती पर निर्भर थी। लेकिन बीते दशकों में ये संरचना बदली है। अब यहां अर्थव्यवस्था में उद्योग और सेवाओं की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। जीडीपी में खेती की हिस्सेदारी गिरकर महज 13 फीसदी रह गई है। खेती से इतर नौकरियों के अवसरों ने भी आर्थिक विकास को रफ्तार दी है। इन बातों का यह मतलब नहीं कि बांग्लादेश में समस्याएं नहीं हैँ। लेकिन उसकी जो दिशा है, वह उसके बेहतर भविष्य का भरोसा बंधाने वाली है।
नया इण्डिया
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