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- भ्रष्टाचार के पांव
Written by जनसत्ता: पंजाब में महज दो महीने पहले बनी 'आप' यानी आम आदमी पार्टी की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री के भ्रष्टाचार में लिप्त होने की खबर बताती है कि राजनीतिक दलों की ओर से जनता को दिया गया भरोसा और उस पर अमल में जमीन-आसमान का फर्क होता है। हालांकि आम आदमी पार्टी यह कह सकती है कि मामले के संज्ञान में आते ही उसने मंत्री के खिलाफ तुरंत बर्खास्तगी की कार्रवाई की और भ्रष्टाचार के आरोप में अब उनकी गिरफ्तारी भी हो चुकी है।
लेकिन इससे दावे और हकीकत की कसौटी को लेकर उसके रुख पर सवाल जरूर उठे हैं। जो पार्टी भ्रष्टाचार के खिलाफ राजनीतिक शुचिता के मुद्दे को ही अपनी पहचान बताती रही है, उसके बीच ऐसे लोगों ने किस तरह अपनी जगह बनाई जो बेहिचक कमीशनखोरी में लिप्त रहे हों। गौरतलब है कि पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री विजय सिंगला ने अपने विभाग की निविदाओं और खरीद में कथित तौर पर एक फीसद कमीशन की मांग की थी। लेकिन इसकी खबर किसी तरह मुख्यमंत्री भगवंत मान तक पहुंच गई और उन्होंने सिंगला के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
पंजाब सरकार की ओर से इस मामले में तुरंत कार्रवाई को सराहनीय कहा जा सकता है। दरअसल, अब तक ऐसे मामलों में आमतौर पर यही होता रहा है कि आरोपों के बाद कानूनी प्रक्रिया के नाम पर कार्रवाई को लंबे समय तक टाला जाता रहा है और अघोषित तौर पर आरोपी को राहत दी जाती है। इस लिहाज से देखें तो राज्य में आम आदमी पार्टी की सरकार ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर यह संदेश देने की कोशिश की है कि भ्रष्टाचार के मामले में वह किसी को नहीं बख्शेगी, भले वह मंत्री पद पर बैठा व्यक्ति हो।
ऐसी कार्रवाई से जनता के बीच यह उम्मीद जगती है कि सरकार एक ऐसी जटिल समस्या से लड़ रही है, जो अमूमन सभी नागरिकों के जीवन को किसी न किसी रूप में बुरी तरह प्रभावित करती है। लेकिन यह सवाल बना रहेगा कि आखिर वह कौन-सी मजबूरी है कि भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के नाम पर ही खड़ी हुई और इसके खिलाफ लड़ने का दावा करने वाली पार्टी के बीच भी भ्रष्ट लोग मौजूद हैं! पार्टी की ओर से चुनावों में उम्मीदवार और जीत जाने के बाद मंत्री बनाते हुए पार्टी को ऐसे व्यक्ति की फितरत की पहचान और पड़ताल करना जरूरी क्यों नहीं लगा? एक मंत्री पर कार्रवाई के अलावा भी पंजाब में आम आदमी पार्टी के बाकी विधायकों की छवि कैसी है और उनका रिकार्ड क्या रहा है!
पंजाब इलेक्शन वाच और एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म्स के ताजा आंकड़ों के मुताबिक राज्य की नई निर्वाचित विधानसभा में कुल एक सौ सत्रह विधायकों में से पचास फीसद यानी अट्ठावन आपराधिक पृष्ठभूमि से आते हैं। इनमें हत्या, अपहरण, बलात्कार और जानलेवा हमला करने जैसे गंभीर अपराधों के आरोप हैं। आम आदमी पार्टी अगर इस दायरे में नहीं होती तब वह अन्य दलों पर अंगुली उठा सकती थी। मगर हकीकत यह है कि पंजाब विधानसभा में दागी विधायकों में सबसे ज्यादा संख्या में इसी के सदस्य हैं।
बाकी दल भी इससे अछूते नहीं हैं, मगर आंकड़ों के मुताबिक 'आप' के बानबे विधायकों में से बावन यानी सत्तावन फीसद आपराधिक रिकार्ड वाले हैं। सवाल है कि इस तथ्य के समांतर क्या आम आदमी पार्टी यह कहने की स्थिति में है कि वह राजनीति में बाकी दलों से अलग पैमाने पर उम्मीदवारों का चुनाव करती है? बेशक पंजाब में स्वास्थ्य मंत्री पर कार्रवाई करके 'आप' ने इस मुद्दे पर सख्त होने का परिचय दिया है, मगर उसे अपनी पार्टी के बाकी दागी विधायकों को लेकर भी अपना स्पष्ट रुख पेश करना चाहिए।