सम्पादकीय

बेखौफ अपराधी

Subhi
29 July 2022 4:50 AM GMT
बेखौफ अपराधी
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कर्नाटक में एक स्थानीय भाजपा नेता की हत्या की घटना से फिर यही रेखांकित हुआ है कि अगर समय रहते आपराधिक तत्त्वों पर लगाम लगाने में सरकार और पुलिस नाकाम रहती है

Written by जनसत्ता; कर्नाटक में एक स्थानीय भाजपा नेता की हत्या की घटना से फिर यही रेखांकित हुआ है कि अगर समय रहते आपराधिक तत्त्वों पर लगाम लगाने में सरकार और पुलिस नाकाम रहती है तो उसके क्या नतीजे हो सकते हैं। गौरतलब है कि मंगलवार की शाम को दक्षिण कन्नड़ जिले के बेल्लारे में भाजपा युवा मोर्चा के जिला सचिव प्रवीण नेत्तारू शाम को जब दुकान बंद कर अपने घर की ओर लौट रहे थे, तब कुछ मोटरसाइकिल सवारों ने उन पर धारदार हथियारों से हमला कर दिया और उनकी जान ले ली।

हत्या की इस घटना को जिस तरह अंजाम दिया गया, उससे साफ है कि इसके लिए पूरी तैयारी गई थी और इसके पीछे गहरी साजिश है। फिलहाल पुलिस ने हत्या में संलिप्तता के शक के आधार पर दक्षिण कन्नड़ जिले से ही दो युवकों को गिरफ्तार किया और इसके अलावा इक्कीस संदिग्धों से पूछताछ की है। मगर अब तक इस हत्या को अंजाम देने वाले मुख्य आरोपियों का पकड़ में नहीं आना और इसमें कुछ खास संगठनों का हाथ होने की आशंका ने एक नई चिंता पैदा कर दी है।

दरअसल, प्रवीण नेत्तारू की हत्या के बाद स्थानीय लोगों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने पीएफआइ जैसे कुछ अतिवादी माने जाने वाले संगठनों का हाथ बताया और कहा कि पुलिस और सरकार इनके खिलाफ जल्दी कार्रवाई करे। हालांकि अब तक हत्या की मुख्य वजह के बारे में कोई अंतिम निष्कर्ष सामने नहीं आया है, मगर पुलिस को शक है कि यह घटना बीते हफ्ते बेल्लारे में एक मजदूर की हत्या का बदला हो सकती है। यह आशंका भी जताई जा रही है कि प्रवीण नेत्तारू ने कुछ समय पहले बर्बरता से मारे गए कन्हैयालाल को लेकर सोशल मीडिया पर अपनी राय जाहिर की थी और इसी से पीएफआइ सहित कुछ अन्य कट्टर संगठन नाराज थे।

यह संदेह इसलिए भी है कि हत्या की यह वारदात जिस इलाके में हुई है, वहां से केरल की सीमा ज्यादा दूर नहीं है। ऐसे आरोप सामने आते रहे हैं कि पीएफआइ और इस तरह के अन्य संगठनों को केरल में ही अपनी जमीन मजबूत करने का मौका मिला है और ऐसे तत्त्वों पर लगाम लगाने के मामले में वहां की सरकार ने पर्याप्त सावधानी नहीं बरती है। नतीजा अब इस रूप में सामने आ रहा है कि उन संगठनों की गतिविधियों का दायरा फैल रहा है। लेकिन चूंकि इन संगठनों की करतूतों को लेकर पहले भी चिंता जताई जाती रही है, इसलिए कर्नाटक में इनके विस्तार को लेकर चौकसी बरतना राज्य सरकार और पुलिस की भी जिम्मेदारी है।

यह बेवजह नहीं है कि प्रवीण नेत्तारू की हत्या के बाद स्थानीय स्तर पर लोगों और संगठनों के बीच अपने ही पक्ष के नेताओं के खिलाफ आक्रोश देखा गया और बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं। यों कर्नाटक में भाजपा के किसी नेता की यह पहली घटना नहीं है। बीते जून में भी कर्नाटक के चिकमंगलुर के शहरी इकाई के पार्टी महासचिव रहे एक नेता मोहम्मद अनवर की हत्या कुछ अज्ञात हमलावरों ने कर दी थी। उस घटना के पीछे भी कट्टरपंथी तत्त्वों का हाथ होने के आरोप लगाए गए थे। पिछले कुछ समय से मुख्यधारा में भी चल रही बहसों या राजनीतिक मुद्दों पर प्रतिक्रिया के विभिन्न स्तरों के लिहाज से देखें तो भाजपा नेता की हत्या एक गंभीर चिंताजनक हालात का संकेत देती है। जाहिर है, अतिवादी या कट्टरता में विश्वास रखने वाले संगठनों पर लगाम लगाने को लेकर राज्य सरकार को पूरी सजगता बरतने की जरूरत इसलिए भी है कि ऐसी घटनाएं कहीं घात-प्रतिघात के एक जटिल सिलसिले का रूप न ले ले।

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