सम्पादकीय

रहाणे-पुजारा की शानदार डगर में कुछ सपने अधूरे रहने का डर

Gulabi
6 Dec 2021 4:56 PM GMT
रहाणे-पुजारा की शानदार डगर में कुछ सपने अधूरे रहने का डर
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अगर भारतीय कोच राहुल द्रविड़ को नई पीढ़ी के सिर्फ दो बल्लेबाज़ों ने अपना हीरो माना होगा और उनकी तरह ही बल्लेबाज़ी करने की हसरत रखी होगी
अगर भारतीय कोच राहुल द्रविड़ को नई पीढ़ी के सिर्फ दो बल्लेबाज़ों ने अपना हीरो माना होगा और उनकी तरह ही बल्लेबाज़ी करने की हसरत रखी होगी, तो आप निश्चित तौर पर अंजिक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा का नाम लेंगे. ये दोनों बल्लेबाज तो क्या कोई भी भारतीय क्रिकेट में शायद द्रविड़ जैसी कामयाबी के करीब भी ना पहुंच पाए, लेकिन जिस नाजुक लम्हों में रहाणे और पुजारा को अगर एक कोच से सबसे ज़्यादा उम्मीद है तो उस वक्त वो शख्स उनके साथ खड़ा दिख रहा है. लेकिन, ऐसा कब तक मुमकिन होगा, ये बेहद अहम सवाल है.
आखिरकार अजिंक्य रहाणे को अपने घरेलू मैदान मुंबई के वानखेडे स्टेडियम में टेस्ट मैच खेलने का मौका नहीं ही मिला. अब तक रहाणे ने अपने करियर में 79 टेस्ट मैच खेले हैं, लेकिन इसे अजीब इत्तेफाक ही कहा जा सकता है कि उन्हें एक भी मैच मुंबई में खेलने का मौका नहीं मिला. लेकिन, जिस तरह के संघर्ष के दौर से रहाणे गुजर रहे हैं, उससे तो यही लगता है कि शायद अब मुंबई में टेस्ट मैच खेलने का उनका सपना बस एक अधूरा सपना ही रह जाए, क्योंकि अगले एक साल में भारत को दक्षिण अफ्रीका के दौरे के बाद सिर्फ फरवरी-मार्च 2022 में श्रीलंका के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की सीरीज ही खेलनी है. 2016 में आखिरी लम्हों में वो चोट के चलते नहीं खेल पाए थे और इस बार भी टीम मैनेजमेंट ने चोट लगने के चलते ही उन्हें प्लेइंग इलेवन में शामिल नहीं करने का तर्क दिया है.
आखिर रहाणे को अफ्रीका दौरे पर क्यों लेकर जाएंगे द्रविड़?
ये बात कहां और कैसे छिप सकती है कि पिछले कुछ सालों में रहाणे का बल्ला अपनी पहचान खोता जा रहा है. इस साल रहाणे का टेस्ट औसत 20 से भी कम है, इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में तो 6 पारियों में उनका औसत 20 से कम (18) रहा था. 33 साल के रहाणे को यूं तो कभी भी भारत में रन बनाने के लिए ख़ास माना गया और कमज़ोर रिकॉर्ड के बावजूद उन्हें लगातार मौक़े मिलते रहे तो इसकी वजह थी विदेशी पिचों पर उनका असाधारण रिकॉर्ड.
2013 में अपने पहले विदेशी दौरे यानि साउथ अफ्रीका में एक ऐसी शुरुआत हुई कि रहाणे इसके बाद 17 टेस्ट लगातार विदेशी पिचों पर ही खेले. और क्या जमकर खेले. ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूज़ीलैंड और श्रीलंका में यादगार शतक लगाने के अलावा साउथ अफ्रीका और बांग्लादेश में भी रहाणे शतक बनाने के बेहद करीब पहुंचे. यही वजह रही है कि तमाम आलोचनाओं के बावजूद कोच राहुल द्रविड़ उन्हें साउथ अफ्रीका दौरे पर ले जाना चाहते हैं.
रहाणे को भारत में फिर टेस्ट खेलने का मौका नहीं मिले..
अगर रहाणे का विदेशी ज़मीं पर रिकॉर्ड भारत की ही तरह साधारण होता तो उनका करियर 50 टेस्ट का मुंह भी नहीं देखता. भारत की पिचों पर जिन 40 भारतीय बल्लेबाज़ों ने 35 से ज़्यादा का औसत रखा है, उसमें रहाणे 39वें नंबर पर हैं. हैरान करने वाले आंकड़े इतना कहने के लिए काफी हैं कि रहाणे को कभी भी उनके भारत में खेल से नहीं देखना चाहिए.
अच्छी बात है कि हर कोच और कप्तान ने अतीत में रहाणे की इस कमी को देखने के समय उनकी विदेश में खूबी को नजरअंदाज नहीं किया. लेकिन, अब तय हो चुका है कि रहाणे को भारत में फिर से एक और टेस्ट मैच खेलने का मौका नहीं मिले, अगर वो अफ्रीकी दौरे पर एकदम से ही जबरदस्‍त खेल ना दिखा डालें.
पुजारा की भी कहानी रहाणे से ही मिलती-जुलती!
रहाणे की ही तरह पुजारा को भी नई पीढ़ी में टेस्ट क्रिकेट में एक भरोसेमंद खिलाड़ी माना जाता रहा है. लेकिन, जहां रहाणे ने अपनी साख विदेशी पिचों पर बनायी वहीं पुजारा ने भारतीय पिचों पर अपना औसत हमेशा 50 से ऊपर बनाये रखा. इसके चलते जब जब पुजारा विदेश में संघर्ष करते नज़र आते तो उनके शानदार घरेलू रिकॉर्ड के चलते उनके समर्थक उनका बचाव बेहतर औसत की दलील देकर कर जाते.
ऑस्ट्रेलिया में पहली बार ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज जीतने के दौरान पुजारा ने खूब रन बटोरे. और उस सीरीज के कमाल ने पुजारा के करियर में विदेशी ज़मीं पर उठने वाले सवालों को हमेशा के लिए खत्‍म कर दिया. लेकिन, 2020 में अगर पुजारा का टेस्ट औसत 20 के करीब रहा तो इस साल 30 के करीब.
जो बल्लेबाज़ ना तो सफेद गेंद की क्रिकेट में खेलता है औऱ ना ही आईपीएल के किसी मैच में दिखता है उसके लिए टेस्ट क्रिकेट जो कि उसका अस्तित्च की इकलौती पहचान है, वहां जूझते दिखना आलोचकों की चीखने का मौक़ा देता है. ऐसे में 33 साल के पुजारा जो अपने 100वें टेस्ट की तरफ आगे बढ़ते दिख रहे हैं उनके लिए अब हर मैच एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है.
100 टेस्ट क्लब में शामिल होना एक अधूरा ख़्वाब ही रह जाए..
साउथ अफ्रीका में अगर वो तीनों मैच खेलते है तो वो 95 टेस्ट खेल लेंगे और श्रीलंका के खिलाफ फिर दोनों टेस्ट में खेलते हैं तो यह संख्या 97 हो जाएगी. उसके बाद के 3 मैचों के लिए पुजारा का सफर उनके करियर की सबसे बड़ी मुश्किल साबित हो सकता है. क्योंकि इसके बाद भारत का टेस्ट मैच इंग्लैंड में सिर्फ 1 मैच के लिए होगा. इस साल की 5 मैचों की सीरीज का आखिरी मैच पूरा करने के लिए.
ऐसे में किसी तरह से शायद 98 तक पहुंच भी जाएं, लेकिन इस दौरान अगर उन्होंने पुराने वाले पुजारा को नहीं तलाशा तो बस जिस तरह से रहाणे का मुंबई में टेस्ट खेलने का सपना हमेशा के लिए अधूरा रह सकता है, ठीक उसी तरह से पुजारा के टेस्ट करियर की एक बड़ी हसरत यानि 100 टेस्ट के क्लब में शामिल होना भी शायद एक अधूरा ख़्वाब ही रह जाए.

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
विमल कुमार
न्यूज़18 इंडिया के पूर्व स्पोर्ट्स एडिटर विमल कुमार करीब 2 दशक से खेल पत्रकारिता में हैं. Social media(Twitter,Facebook,Instagram) पर @Vimalwa के तौर पर सक्रिय रहने वाले विमल 4 क्रिकेट वर्ल्ड कप और रियो ओलंपिक्स भी कवर कर चुके हैं.
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