सम्पादकीय

परमाणु युद्ध की आशंका, रोकने की पहल हो

Subhi
28 Oct 2022 4:30 AM GMT
परमाणु युद्ध की आशंका, रोकने की पहल हो
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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन के यूक्रेन की ओर से ‘डर्टी बम’ (ऐसा बम जिसमें यूरेनियम जैसा रेडियोएक्टिव एलीमेंट हो) के इस्तेमाल की आशंका जताए जाने के बाद युद्ध के कहीं घातक दौर में प्रवेश करने का डर बढ़ गया है। यूक्रेन और उसके अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे सहयोगी देशों ने इस आरोप को बेतुका बताया है।

नवभारतटाइम्स: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन के यूक्रेन की ओर से 'डर्टी बम' (ऐसा बम जिसमें यूरेनियम जैसा रेडियोएक्टिव एलीमेंट हो) के इस्तेमाल की आशंका जताए जाने के बाद युद्ध के कहीं घातक दौर में प्रवेश करने का डर बढ़ गया है। यूक्रेन और उसके अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे सहयोगी देशों ने इस आरोप को बेतुका बताया है। पश्चिमी देश पहले भी कह चुके हैं कि रूस यूक्रेन के खिलाफ परमाणु हथियारों का प्रयोग करना चाहता है। इस बीच, भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू के बीच बुधवार को फोन पर बातचीत हुई। इसमें सिंह ने भारत का पुराना रुख दोहराया कि रूस और यूक्रेन दोनों को अपने झगड़े बातचीत के द्वारा जल्द से जल्द सुलझाने चाहिए, वहीं यह भी साफ किया कि परमाणु युद्ध हर कीमत पर टाला जाना चाहिए। बातचीत की पहल रूस की ओर से हुई थी।

ध्यान रहे कि नैटो देशों के साथ ही रूस भी परमाणु युद्धाभ्यास चला रहा है। दोनों पक्ष इसे संभावित परमाणु हमले से बचने की तैयारी बता रहे हैं। वैसे यह भी सच है कि न्यूक्लियर ड्रिल दोनों पक्षों की नियमित सालाना कवायद का हिस्सा है, लेकिन हालात की गंभीरता को देखते हुए यह अभी ज्यादा संवेदनशील हो गया है। पश्चिमी देश आशंका जता रहे हैं कि न्यूक्लियर ड्रिल की आड़ में रूस डर्टी बम का इस्तेमाल करते हुए इसका इल्जाम यूक्रेन पर लगाने की कोशिश कर सकता है ताकि उसे और बड़ी कार्रवाई का बहाना मिल जाए। डर्टी बम परमाणु बम जितने खतरनाक नहीं होते, लेकिन इसमें भी रेडियोएक्टिव पदार्थ होते हैं और सीमित क्षेत्र में ही सही पर काफी नुकसानदेह होते हैं।

बहरहाल, आज की तारीख में मुख्य चिंता डर्टी बम के इस्तेमाल से ज्यादा इस बात की है कि कहीं बात बिगड़ते हुए परमाणु युद्ध की ओर न चली जाए। यही वजह है कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सबसे ज्यादा जोर इसी बात पर दिया। जहां तक भारत की बात है तो उसने युद्ध को लेकर अपने रुख में कभी कोई नरमी नहीं आने दी। 10 अक्टूबर को जब रूस ने यूक्रेनी शहरों पर, खासकर नागरिक ठिकानों को निशाना बनाते हुए क्रूज मिसाइलें छोड़ीं तो भारत ने लड़ाई फैलने को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की थी। इससे पहले खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन से बातचीत में कहा था कि यह युद्ध का दौर नहीं है। लेकिन इन सबके बावजूद तथ्य यह है कि शांति स्थापना के अब तक के सभी प्रयास नाकाम रहे हैं। आज यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध की कीमत कमोबेश पूरी दुनिया चुका रही है। इसलिए युद्ध बंद करने की कोई राह जल्द से जल्द निकालने की कोशिशों को सभी संबद्ध पक्षों द्वारा पूरी गंभीरता से आगे बढ़ाए जाने की जरूरत है।

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