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- एफएटीएफ की आंखों में...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यदि आतंकियों को पालने-पोसने वाला कोई देश अचानक उनके खिलाफ कार्रवाई करना शुरू कर दे और वहां की सुस्त अदालतें उन्हें सजा सुनाने लगें तो उसके इरादों पर संदेह होना स्वाभाविक है। इस पर यकीन करना कठिन है कि पाकिस्तान ने सचमुच आतंकियों पर लगाम लगाने का मन बना लिया है और हाफिज सईद, जकीउर रहमान लखवी के बाद एक अन्य आतंकी सरगना मसूद अजहर को जेल भेजने की तैयारी उसके नेक इरादों का परिचायक है। ऐसे किसी नतीजे पर बिल्कुल भी नहीं पहुंचा जा सकता, क्योंकि वह तो अंतररराष्ट्रीय समुदाय और विशेष रूप से आतंकी फंडिंग पर निगाह रखने वाली संस्था एफएटीएफ की आंखों में धूल झोंकने के इरादे से यह सब कर रहा है। इसकी पुष्टि इससे होती है कि हाफिज सईद एवं जकीउर रहमान लखवी को आतंकवाद के गंभीर मामलों और खासकर भारत में आतंकी हमले कराने के आरोप में जेल नहीं भेजा गया। इन दोनों को आतंकियों की फंडिंग करने के आरोप में सजा सुनाई गई है। यही काम मसूद अजहर के मामले में किया जाए तो हैरानी नहीं। यह वही खूंखार आतंकी है, जिसने भारत में कई बड़े आतंकी हमले कराए हैं और जिस पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की पाबंदी लगने में इसलिए देर हुई, क्योंकि चीन ने अपनी अंतरराष्ट्रीय साख की अनदेखी कर उसकी ढाल बनना पसंद किया था। एक तथ्य यह भी है कि भारत ने जब-जब उसके खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही, पाकिस्तान से यही जवाब मिला कि वह तो उसके यहां है ही नहीं।