सम्पादकीय

तेजी से बढ़ती असमानता

Gulabi
16 Sep 2021 5:48 PM GMT
तेजी से बढ़ती असमानता
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नैशनल सैंपल सर्वे द्वारा करवाए गए ऑल इंडिया डेट एंड इन्वेस्टमेंट सर्वे 2019 की रिपोर्ट ने एक बार फिर देश में लगातार बढ़ती

नैशनल सैंपल सर्वे द्वारा करवाए गए ऑल इंडिया डेट एंड इन्वेस्टमेंट सर्वे 2019 की रिपोर्ट ने एक बार फिर देश में लगातार बढ़ती गैर-बराबरी की ओर ध्यान खींचा है। रिपोर्ट के मुताबिक, देश की कुल संपत्ति का आधे से अधिक हिस्सा ऊपर की दस फीसदी आबादी के हाथों में सिमट गया है। निचले हिस्से की 50 फीसदी आबादी के पास महज दस फीसदी संपत्ति है। गांवों के मुकाबले शहरों में यह विभाजन और तीखा नजर आता है। जहां ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे अमीर दस फीसदी लोगों के पास 50.8 फीसदी संपत्ति है वहीं शहरी क्षेत्रों में यह 55.7 प्रतिशत पाया गया है।

इस विस्तृत सर्वे रिपोर्ट के अलग-अलग कई महत्वपूर्ण पहलू हैं, जिन पर बारीकी से विचार होना चाहिए, लेकिन एक तथ्य स्पष्ट है कि विकास की प्रक्रिया जिन इलाकों में ज्यादा तेज रही, वहां असमानता का अनुपात भी ज्यादा है। इस तथ्य के अपने गहरे निहितार्थ भले हों, लेकिन यह अपने आप में कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी समय-समय पर आने वाली अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों में यह तथ्य उजागर होता रहा है कि भारत में विकास की गति तेज होने के बाद भी पिछले ढाई-तीन दशकों में विषमता में तेज बढ़ोतरी हुई है।
क्रेडिट सुईस की ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट 2018 में तो कहा गया था कि देश की सबसे अमीर एक फीसदी आबादी के पास 51.5 फीसदी संपत्ति इकट्ठा हो गई है। ऐसी अलग-अलग रिपोर्टों में प्रतिशत का थोड़ा-बहुत अंतर कभी-कभार दिखता है तो उसकी एक वजह यह होती है कि उनमें संपत्ति की गणना के पैमाने अलग-अलग होते हैं। लेकिन इस तथ्य की पुष्टि इन तमाम रिपोर्टों से होती है कि भारतीय समाज में विषमता सुरसा के मुंह की तरह लगातार बढ़ती जा रही है।
वैसे यह रुझान अपने देश तक सीमित नहीं है। किसी भी समाज में अगर तेजी से समृद्धि आती है तो यह संभावना रहती है कि शुरू में संपत्ति आबादी के कुछ खास हिस्सों के हाथों में आए, जिससे विषमता बढ़ी हुई दिखने लगे। अपेक्षा यह रहती है कि बाद के दौर में यह धीरे-धीरे समाज के अन्य तबकों तक पहुंच कर उनके जीवन स्तर को भी ऊंचा करेगी। इसी बिंदु पर योजनाओं की भूमिका अहम हो जाती है। इस बात का ध्यान रखना होता है कि अपनी स्वाभाविक गति में यह समृद्धि समाज के अन्य तबकों तक पहुंच रही है या नहीं। अगर नहीं पहुंचती है तो यह देखना होता है कि उसकी गति को बाधित करने वाले कारक कौन से हैं और उन्हें दूर करने के क्या इंतजाम हो सकते हैं। एनएसएस के ताजा आंकड़े बताते हैं कि अपने देश में सरकार को ऐसे इंतजामों पर खास ध्यान देने की जरूरत है।
क्रेडिट बाय NBT
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