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![किसानों का रुख किसानों का रुख](https://jantaserishta.com/h-upload/2021/09/28/1320171-5.webp)
किसानों के दस घंटे के भारत बंद से साफ हो गया कि किसान अभी भी एकजुट हैं और मांगें पूरी होने तक पीछे नहीं हटने वाले। इस एकजुटता ने इन अफवाहों पर भी विराम लगा दिया कि किसान संगठनों में फूट पड़ने लगी है। बंद का ज्यादा असर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में दिखा। ऐसा इसलिए भी रहा कि यही राज्य मुख्यरूप से किसान आंदोलन का केंद्र बने हुए हैं। हालांकि महाराष्ट्र सहित दक्षिणी राज्यों से भी बंद कामयाब रहने की खबरें हैं। बंद की वजह से कई जगहों पर चक्काजाम, रेलें और यातायात बाधित होने से जनजीवन पर असर पड़ना स्वाभाविक था। देखा जाए तो जिस शांतिपूर्ण और अहिंसक तरीके से बंद निपट गया, वह भी कम बात नहीं है। इससे किसानों ने एक बार फिर यह संदेश दिया है कि वे अपनी जायज मांगों को लेकर अहिसंक तरीके से आंदोलन जारी रखेंगे। किसानों के बंद को अब राजनीतिक दलों का समर्थन भी मिला है। जाहिर है, किसान आंदोलन अब सिर्फ किसान संगठनों तक ही सीमित नहीं रह गया है, राजनीतिक दल भी उनके साथ हैं।