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- बेनकाब होता किसान...
कोरोना काल ने देश की वास्तविकता और राजनीति के बीच एक बड़े विरोधाभास को बेपर्दा किया है। इस विरोधाभास में एक तरफ देश का किसान है तो दूसरी तरफ किसानों के नाम पर चलाया जा रहा आंदोलन। महामारी और लॉकडाउन के बीच यह आशंका व्यक्त की जा रही थी कि कोरोना का असर देश की कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है, लेकिन किसानों ने आश्चर्यपूर्ण ढंग से आशंकाओं को दरकिनार करके अनाज का रिकॉर्ड उत्पादन किया और सरकार ने भी रिकॉर्ड खरीदी की। कोरोना की दूसरी लहर के बीच अपेक्षा की जा रही थी कि किसानों और गांवों की चिंता करते हुए किसान आंदोलन कुछ दिन भीड़ से दूर हटेगा, लेकिन इसके विपरीत सड़कों पर सियासत जारी है। किसान नेताओं ने महामारी और लॉकडाउन के बीच ही 26 मई को आंदोलन के छह महीने पूरे होने पर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा कर दी है। यह प्रदर्शन ऐसे समय होगा, जब सभी सरकारें गांवों में संक्रमण को विकराल होने से रोकने में लगी हैं।