- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- किसान आंदोलन: आशा
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कल किसान नेताओं और मंत्रियों के सार्थक संवाद से यह आशा बंधी है कि इस बार का गणतंत्र-दिवस, गनतंत्र दिवस में कदापि नहीं बदलेगा। यों भी हमारे किसानों ने अपने अहिंसक आंदोलन से दुनिया के सामने बेहतरीन मिसाल पेश की है। उन्होंने सरकार से वार्ता के लगभग दर्जन भर दौर चलाकर यह संदेश भी दे दिया है कि वे दुनिया के कूटनीतिज्ञों-जितने समझदार और धैर्यवान हैं।
उन्होंने अपने अनवरत संवाद के दम पर आखिरकार सरकार को झुका ही लिया है। सरकार आखिरकार मान गई है कि वह एक-डेढ़ साल तक इन कृषि-कानूनों को ताक पर रख देगी और एक संयुक्त समिति के तहत इन पर सार्थक विचार-विमर्श करवाएगी। उसने बिना कहे ही यह मान लिया कि उसने सर्वोच्च न्यायालय के कंधे पर से जो छर्रे छोड़े थे, वे फुस्स हो गए हैं। अदालत ने चार विशेषज्ञों की समिति घोषित करके जबर्दस्ती ही अपनी दाल पतली करवाई। अब वह अपनी इज्जत बचाने में जुटी हुई है।