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- गणतंत्र दिवस पर दिल्ली...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दिल्ली पुलिस और सरकार का पता नहीं, लेकिन किसान नेताओं के अड़ियल रवैये और गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली निकालने की जिद को देखते हुए कोई भी यह समझ सकता था कि इस दिन देश की राजधानी अराजकता का शिकार हो सकती है। दुर्भाग्य से ऐसा ही हुआ। इसके संकेत उसी दिन मिल गए थे, जिस दिन किसान नेता राकेश टिकैत मीडिया वालों के सामने कह रहे थे, 'किसी के बाप की जागीर नहीं है गणतंत्र दिवस। गणतंत्र दिवस हिंदुस्तान का किसान मनाएगा। दुनिया की सबसे बड़ी परेड मनेगी। दिल्ली खबरदार, जो ट्रैक्टर को रोका। उसका इलाज कर देंगे, जो ट्रैक्टर को रोकेगा। उनके बक्कल उतार देंगे, जो ट्रैक्टर रोकेगा। कौन रोकेगा ट्रैक्टर को...।' यह धमकी वह पूरे ठसक के साथ दे रहे थे। इस धमकी भरे बयान का वीडियो खुद उनके नाम वाले हैंडल से ट्वीट किया गया, जिसमें लिखा था-सामने पहाड़ हो, सिंह की दहाड़ हो। जिन्हेंं यह समझ न आया हो कि इलाज कर देंगे, बक्कल उतार देंगे का क्या मतलब होता है, उन्हेंं गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली की सड़कों पर अराजकता के नंगे नाच से अवश्य समझ आ गया होगा कि राकेश टिकैत क्या कहना और करना चाह रहे थे? वास्तव में यह पहले दिन से तय था कि किसान आंदोलन का उद्देश्य किसानों की समस्याओं को इंगित करना और उन्हेंं सुलझाना नहीं, बल्कि मोदी सरकार को नीचा दिखाना है। किसान नेता केवल इसमें ही सफल नहीं हुए। उन्होंने देश को भी नीचा दिखाया और वह भी गणतंत्र दिवस के दिन ठीक उस समय जब देश 26 जनवरी पर आयोजित विभिन्न कार्यक्रम देख ही रहा था।