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हरियाणा सरकार के पिछले बजट के लक्ष्यों पर जहां कोरोना संकट की छाया दिखी, वहीं आगामी बजट में कोरोना संकट काल में उपजी चुनौतियों से मुकाबला करने की चिंता नजर आई है। शुक्रवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने वित्तमंत्री के रूप में अपना दूसरा बजट पेश किया। उन्होंने प्रदेश के विकास को गति देना ही बजट का लक्ष्य बताया। दरअसल, कोरोना संकट तथा लॉकडाउन से उपजी चुनौतियों के मुकाबले को बजट में प्राथमिकता दी गई है।
इस बार सरकार ने 1,55,645 करोड़ रुपये का बजट पेश किया, जो बीते साल के मुकाबले तेरह फीसदी अधिक है। इस बजट का एक-चौथाई हिस्सा पूंजीगत व्यय तथा तीन-चौथाई भाग राजस्व व्यय होगा। आगामी वित्तीय वर्ष में राजकोषीय घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 3.83 फीसदी रहने का अनुमान है। केंद्र सरकार के नये कृषि सुधारों के देशव्यापी विरोध के बीच स्वाभाविक रूप से सरकार के बजट के केंद्र में जहां किसान व कृषि रही है, वहीं स्वास्थ्य व शिक्षा उसकी प्राथमिकता बन गई है।
इन क्षेत्रों को मजबूत बनाने के लिये जहां बजट बढ़ाया गया है वहीं मुकाबले के लिये नई रणनीति बनायी गई है। जाहिरा तौर पर कोरोना संकट, बेरोजगारी व महंगाई के दौर में किसी नये कर लगाने का अच्छा संदेश नहीं जाता, सो सरकार ने बजट में कोई नया कर लगाया भी नहीं। कोरोना संकट के चलते राज्य में प्रति व्यक्ति आय का घटना स्वाभाविक रूप से सरकार की चिंता में शामिल है। दरअसल, लॉकडाउन के दौरान प्रतिबंध के चलते राज्य के राजस्व को बारह हजार करोड़ का नुकसान हुआ है। देश में कोरोना संकट में बड़ा सामाजिक संत्रास देखने को मिला है, तभी बजट में समाज कल्याण के लिये भी पहल की गई है, जिसके अंतर्गत वृद्धावस्था पेंशन में 250 रुपये की वृद्धि, अनुसूचित जति के लोगों को दी जाने वाली कानूनी सहायता को दुगना करने तथा अंत्योदय उत्थान अभियान चलाने का भी निर्णय किया गया।