सम्पादकीय

संघर्ष में सबसे बड़ा सहारा परिवार ही है, यहीं आपकी सबसे बड़ी ताकत है

Rani Sahu
16 Sep 2021 4:32 PM GMT
संघर्ष में सबसे बड़ा सहारा परिवार ही है, यहीं आपकी सबसे बड़ी ताकत है
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महामारी के बाद इतना तो तय हो चुका है कि लगभग हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में अभावग्रस्त हो गया है

पं. विजयशंकर मेहता। महामारी के बाद इतना तो तय हो चुका है कि लगभग हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में अभावग्रस्त हो गया है। किसी को धन का अभाव है, किसी को सुविधाओं का, तो किसी को खुशियों का। इस अभाव की पूर्ति के लिए यदि किसी से कुछ मांगना पड़े, तब क्या करें? वैसे लिखा तो गया है कि 'आब गई आदर गया, नैनन गया सनेही।

ये तीनों तब ही गए, जबहि कहा कछु देही।' जैसे ही कोई किसी से कुछ मांगता है, उसी समय आबरू, आदर और आंखों से प्रेम चला जाता है। ऐसे में इस संभावना को अपने परिवार में टटोलें। इस समय परिवार ही हम सबकी सबसे बड़ी ताकत है। बाहर का वातावरण अपने ढंग से चलता है। फिर हमारे यहां सिस्टम में तो एक और बीमारी है भ्रष्टाचार। जब बाहर की दुनिया में अपना अभाव मिटाने जाएंगे तो आपकी मुलाकात इस बीमारी से जरूर होगी।
उसका निपटारा आपको अपने स्तर पर करना है, लेकिन इन सबसे निपटने के लिए जो ताकत चाहिए, वह मिलेगी परिवार से। तो इस समय परिवार में बिल्कुल झगड़ा न करें, एक-दूसरे की आलोचना न करें। मुफलिसी का भी शुक्रिया अदा किया जा सकता है कि उसने संघर्ष सिखाया। संघर्ष में सहारा परिवार ही है। किसी अभाव से थक न जाएं। किसी से कुछ मांगना भी पड़े तो इस बात की सावधानी रखिएगा कि देने वाला कौन है।


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