सम्पादकीय

परिवार बोझ और काम की जिम्मेदारियों ने पुरुषों का वजन बढ़ा दिया, जिसकी वजह से वे नाउम्मीद हो चुके हैं?

Gulabi
10 March 2022 8:38 AM GMT
परिवार बोझ और काम की जिम्मेदारियों ने पुरुषों का वजन बढ़ा दिया, जिसकी वजह से वे नाउम्मीद हो चुके हैं?
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महिला दिवस पर ढेरों तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट की गईं
एन. रघुरामन का कॉलम:
महिला दिवस पर ढेरों तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट की गईं। आपने ध्यान दिया होगा कि महिलाएं जिन पुरुषों के साथ जीवन बिता रही हैं, उनमें अब बढ़ते वजन को लेकर हथियार डाल देने का भाव आ गया है। अगर आपको भरोसा नहीं और अगर आप 35 से 60 की उम्र के बीच हैं, तो अपने स्कूल के वाट्सएप ग्रुप में जाएं, आपको पता चल जाएगा मैं क्या कह रहा हूं। आप पाएंगे अधिकांश महिलाएं पतली बनी रहने के लिए मेहनत कर रही हैं, जबकि पुरुष अपने वजन को लेकर नाउम्मीद हो चुके हैं। मैंने यह बात अपने स्कूल ग्रुप से शेयर की, जहां मेरे साथी पुरुषों ने वजन बढ़ने के दो मुख्य कारणों में परिवार के बोझ और काम की जिम्मेदारियों का हवाला दिया।
मुझे अहसास हुआ हममें से अधिकांश लोग एक चक्र में फंस गए हैं। हम घर जाकर सोफे पर बैठ जाते हैं, चाय के साथ कुछ कुरकुरा खाते हैं और शायद शॉवर लेने के बाद, डिनर से पहले एक गिलास वाइन या बीयर लेते हैं। इससे उच्च कैलोरी वाली कंफर्ट ईटिंग को बढ़ावा मिलता है। इस चर्चा के बाद मैं समाधान खोजने लगा और एक रिसर्च पेपर तक पहुंचा।
इंग्लैंड की एंगलिया रस्किन यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ डर्बी ने 35 से 58 साल उम्र के पुरुषों से खानपान व डाइटिंग के अतीत पर सवाल किए। जब वजन घटाने संबंधी कार्यक्रम में शामिल पुरुषों को मनोवैज्ञानिक रणनीतियों से रूबरू कराया गया, ताकि वे भोजन के प्रति दृष्टिकोण व खराब विकल्पों के परिणामों पर पुनर्विचार कर सकें, तो उनका वजन कम होना शुरू हो गया।
मुझे याद है कैसे अनिल अंबानी कई दिनों तक चलने वाले कार्यक्रमों में एक हॉल के कोने में खड़े होकर विचारों में डूब जाते थे। जब उनसे पूछा जाता, तो कहते वे दिन के खाने की कैलोरी काउंट कर रहे थे और शाम में क्या खाना है, ये विचार कर रहे थे। क्या खाना है और क्या नहीं, इस निष्कर्ष तक पहुंचने में उन्हें दो-तीन मिनट लगते। बात वजन को लेकर सजगता की हो तो मेरे कॉर्पोरेट जीवन में अनिल अंबानी सबसे ऊपर हैं।
सूर्योदय से पहले मरीन ड्राइव पर आप उन्हें नियमित जॉगिंग करते देख सकते हैं। वे कितना दौड़ेंगे, यह ज्यादातर इस पर आधारित होता कि उन्होंने रात में क्या खाया। यही कारण है कि मुझे यह रिसर्च पेपर पसंद आया, जिसमें वजन कम करने को लेकर अपना दिमाग तैयार करने संबंधी टिप्स दिए गए हैं। ये सुझाव हैं...
हर दिन खाई हर चीज का हिसाब: रोज के खाने का हिसाब रखना थकाऊ लग सकता है पर शोधकर्ता मानते हैं कि चूंकि इससे कंट्रोल बेहतर होता है, इसलिए खुद की निगरानी चमत्कारिक है। शोध कहता है खाने का रिकॉर्ड रखने में सिर्फ 10 मिनट खर्च करने से इसका रिकॉर्ड नहीं रखने वालों की तुलना में 10% वजन कम हो जाता है।
आने वाले समय के बारे में सोचने का अभ्यास करें : आप जिसे संकल्प-शक्ति कहते हैं, उसे ही मनोवैज्ञानिक फ्यूचर थिंकिंग कहते हैं। इसका मतलब है हमारे मौजूदा व्यवहार के भविष्य में होने वाले परिणामों पर सोचना। इस तरह के अभ्यास से हम कैलोरी से भरपूर बुफे का सामना होने पर दूरगामी स्वास्थ्य लक्ष्यों के बारे में सोचने की क्षमता विकसित करते हैं और क्षमता से ज्यादा नहीं खा बैठते हैं।
वही फूड उसी समय पर : यूएस नेशनल वेट कंट्रोल रजिस्ट्री के आंकड़े बताते हैं वेट लॉस बरकरार रखने वाले लोग दूसरे विकल्प होने के बावजूद वीक व वीकेंड पर वही खाना खाते हैं। कई लोगों का वजन धीरे-धीरे ही कम होता है क्योंकि वे असंयमित रूप से खाते हैं।
फंडा यह है कि जीवन के मध्यकाल में वजन कम करने का रहस्य कुछ संज्ञानात्मक तरकीबों और कुछ शारीरिक व्यायामों के उपयोग में छुपा है।
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