सम्पादकीय

आस्था या अराजकता

Subhi
21 Dec 2021 2:23 AM GMT
आस्था या अराजकता
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दुनिया के सभी धर्मों का दावा रहा है कि उनकी मूल संवेदना मानवता में बसती है और वह अपने अनुयायियों सहित अन्य मत में आस्था रखने वालों को किसी दायरे में रख कर नहीं देखते।

दुनिया के सभी धर्मों का दावा रहा है कि उनकी मूल संवेदना मानवता में बसती है और वह अपने अनुयायियों सहित अन्य मत में आस्था रखने वालों को किसी दायरे में रख कर नहीं देखते। यों भी मानवता की संवेदना जब विस्तार पाती है तो किसी की मदद करने वाला व्यक्ति उसकी धार्मिक पहचान नहीं देखता है। लेकिन विडंबना यह है कि कई बार ऐसी घटनाएं देखने में आती हैं, जिसमें न केवल इस संवेदना को ताक पर रख दिया जाता है, बल्कि उसे धर्म का आचरण मानना भी दुविधा का मामला हो जाता है।

पंजाब में धार्मिक बेअदबी के आरोप में लगातार दो दिनों में दो लोगों की हत्या से एक बार फिर यह सवाल उठा है कि कोई भी धर्म किस तरह के व्यवहारों को अवांछित मानता है और उसे किस हद तक बर्दाश्त करने की इजाजत देता है। दोनों घटनाओं में मुख्य आरोप यही सामने आया कि मारे गए व्यक्ति ने धार्मिक चिह्नों या प्रतीकों का अपमान करने की कोशिश की, इसलिए वहां मौजूद लोगों का धैर्य जवाब दे गया। हालांकि कपूरथला की घटना के बारे में खुद पुलिस ने बेअदबी किए जाने से इनकार किया है, लेकिन वहां मौजूद लोगों का मुख्य आरोप यही है।हो सकता है कि किसी धर्म से जुड़े लोगों की आस्था अपने धार्मिक प्रतीकों को लेकर इतनी संवेदनशील हो कि वह उसके प्रति कोई भी अवांछित व्यवहार बर्दाश्त नहीं कर पाए। लेकिन क्या यह भी सच नहीं है कि हर धर्म का पालन करने वाले तमाम लोग आखिर एक देश और उसके तहत निर्धारित कानून-व्यवस्था के दायरे में होते हैं? धार्मिक आस्था के खिलाफ किसी बर्ताव के लिए अगर कोई कानूनी प्रावधान मौजूद है, तो क्या यह उचित नहीं है कि धार्मिक प्रतीकों के खिलाफ बेअदबी करने वाले व्यक्ति को उसी कसौटी पर रखा जाए? यों एक सामान्य और होश में रहने वाला व्यक्ति जानबूझ कर इस तरह का बर्ताव करने की कोशिश आमतौर पर नहीं करता है।
कई बार इस तरह की हरकत करने वाले की मानसिक स्थिति गड़बड़ हो सकती है। ऐसी स्थिति में उसके गलत बर्ताव को देखने-समझने की कोशिश किसी धर्म के मूल-तत्त्व यानी मानवता के मुताबिक ही होगी। लेकिन अक्सर ऐसे आरोप भी सामने आते हैं कि धार्मिक प्रतीकों को किसी साजिश की तहत अपमानित करके किसी समुदाय को भड़काने की कोशिश की जाती है। ऐसी घटना होने पर संबंधित धर्म के लोगों के लिए बेहद सावधानी बरतना जरूरी होता है।
पंजाब में बेअदबी की घटनाओं के संदर्भ में भी राज्य के कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक ने कहा कि यह सब बहुत संदिग्ध है। राज्य के मुख्यमंत्री ने भी कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए ऐसी घटनाओं में 'विरोधी' ताकतें शामिल हो सकती हैं, इसलिए उचित सावधानी बरती जाए; इन्हें खुफिया एजेंसियां बेनकाब करेंगी। संभव है कि ऐसी घटनाओं के पीछे कुछ असामाजिक तत्त्वों का हाथ हो या फिर ऐसी घटनाएं तात्कालिक आवेश या उत्पात का नतीजा हों, लेकिन अगर ये जानबूझ कर की गई हैं तो इन्हें अनुचित ही कहा जाएगा।
सरकार की यह जवाबदेही है कि वह इसे महज चुनावी संदर्भ में देखने के बजाय ऐसे मामलों को गंभीरता से ले। इसके अलावा, ऐसी हरकतों के बाद किसी भी धर्म से जुड़े लोगों को हिंसक होने के बजाय सोच-समझ कर प्रतिक्रिया करनी चाहिए। कोई भी धर्म हिंसा के बजाय मानवता को ही अपना मुख्य मूल्य मानता है। धार्मिक आस्था को अपमानित करने या बेअदबी के मामलों से निपटने के लिए कानूनी प्रावधान हैं। यह देश कानून-व्यवस्था के तहत ही चलता है। इसलिए बेअदबी की घटनाओं के संदर्भ में कानून को अपना काम करने देना चाहिए।

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