सम्पादकीय

न्यायपूर्ण परिणाम

Gulabi
18 Jun 2021 3:59 PM GMT
न्यायपूर्ण परिणाम
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कोरोना के दौर में प्रत्यक्ष पढ़ाई और परीक्षा के अभाव में बच्चों को उत्तीर्ण करने का जो तरीका मंजूर हुआ है

कोरोना के दौर में प्रत्यक्ष पढ़ाई और परीक्षा के अभाव में बच्चों को उत्तीर्ण करने का जो तरीका मंजूर हुआ है, समग्रता में उसकी प्रशंसा की जानी चाहिए। परीक्षा परिणाम निकालने का यह फॉर्मूला भविष्य में भी हमारे काम आएगा। आशा के अनुरूप ही 12वीं कक्षा का परिणाम 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा में प्रदर्शन के आधार पर जारी किया जाएगा। केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में यह जानकारी दी और सुप्रीम कोर्ट ने इस तरीके को मान लिया। 10वीं और 11वीं के अंकों को 30-30 प्रतिशत वेटेज और 12वीं कक्षा में प्रदर्शन को 40 प्रतिशत वेटेज दिया जाएगा। यह तरीका तार्किक है, इसके आधार पर छात्रों का बहुत हद तक न्यायपूर्ण आकलन किया जा सकता है। वैसे यह बात सही है कि ज्यादातर छात्र फाइनल परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करने का इंतजार करते हैं। इस मामले में 10वीं की परीक्षा के परिणाम का महत्व कुछ ज्यादा हो सकता था, क्योंकि 10वीं की परीक्षा के प्रति ज्यादातर छात्रों में बहुत गंभीरता होती है। 10वीं की तुलना में 11वीं की परीक्षा का विशेष महत्व नहीं होता है। ज्यादातर छात्रों में यह प्रवृत्ति होती है कि वे फाइनल परीक्षा को गंभीरता से लेते हैं। अत: परिणाम निकालने का कोरोना-काल का यह सलीका छात्रों के लिए सबक होना चाहिए। जब प्रत्यक्ष कक्षाएं नहीं लगेंगी, जब प्रत्यक्ष परीक्षाएं नहीं होंगी, तब हर कक्षा और हर छोटी-बड़ी परीक्षा का महत्व बढ़ जाएगा। हर परीक्षा भविष्य पर असर डालेगी।

अब 31 जुलाई तक सीबीएसई द्वारा 12वीं के नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे और उसके बाद उच्च व व्यावसायिक शिक्षा संस्थानों में भी प्रवेश में तेजी आएगी। प्रतियोगी परीक्षाओं का क्रम तेज होगा, जिससे समग्र शिक्षा क्षेत्र में सक्रियता बढ़ेगी। एक खास बात यह भी है कि 10वीं के पांच में से श्रेष्ठ तीन विषयों के अंकों के आधार पर आकलन किया जाएगा। यह उदार फैसला पूरी तरह से छात्रों के अनुकूल है। सीबीएसई या सरकार से यही उम्मीद थी कि वह संकट के दौर में छात्रों के प्रति उदारता बरतेगी। आगे के समय में भी यह ध्यान रखना होगा कि ऐसे परिणाम से गुजरे छात्रों के प्रति नाइंसाफी न हो। एक जुमला इन दिनों चलन में आने लगा है 'कोरोना बैच'। इसके उपयोग या चलन से बचना चाहिए। जिन छात्रों को ऐसे परिणाम से गुजरना पड़ा, उनकी कोई गलती नहीं थी, अत: उनकी चिंता सरकार को आगे भी करनी पडे़गी। वैसे भी जो बच्चे परिणाम से संतुष्ट नहीं होंगे, उन्हें हालात सामान्य होने पर दोबारा परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा।
लगे हाथ अदालत ने यह साफ कर किया है कि परीक्षा रद्द करने के आदेश पर कोई सुनवाई नहीं होगी। यदि कोई परीक्षा देना चाहता है, तो आगे दे सकता है। प्रत्येक स्कूल को तीनों परीक्षाओं में छात्रों को मिले अंकों पर विचार करने के लिए एक परिणाम समिति बनानी पड़ेगी, जिसे सीबीएसई की मॉडरेशन कमेटी द्वारा जांचा जाएगा। उम्मीद है, सभी राज्यों की बोर्ड परीक्षाएं भी रद्द हो जाएंगी और सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंजूर फॉर्मूले के आधार पर ही उनसे संबद्ध छात्रों को परीक्षा परिणाम दे दिए जाएंगे। हालांकि, राज्य बोर्डों की परीक्षा रद्द करने के आग्रह वाली याचिका पर सुनवाई होने वाली है। कुल मिलाकर, सरकार और सुप्रीम कोर्ट ने अपना काम कर दिया है, अब स्कूलों को निष्पक्ष और न्यायपूर्ण ढंग से परिणाम निकालने के इस तरीके को सफल बनाना चाहिए।


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