सम्पादकीय

चुनौती का सामना

Subhi
4 Jun 2021 4:00 AM GMT
चुनौती का सामना
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हमारा देश महामारी की जैसी चुनौती का सामना कर रहा है, उससे निपटने के लिए इलाज के तौर पर दी जाने वाली दवाओं और टीके का विकल्प जरूर है,

हमारा देश महामारी की जैसी चुनौती का सामना कर रहा है, उससे निपटने के लिए इलाज के तौर पर दी जाने वाली दवाओं और टीके का विकल्प जरूर है, लेकिन फिलहाल इस मोर्चे की सीमाओं के देखते हुए सबसे ज्यादा जरूरत इस बात की है कि लोगों को इससे बचाव के लिए जागरूक किया जाए।

यों सरकार अपनी ओर से निर्धारित दिशा-निर्देशों के तहत लोगों को कोरोना विषाणु से बचने के लिए मास्क लगाने से लेकर आपस में सुरक्षित दूरी बरतने जैसे कई उपाय करने को कह रही है, पूर्णबंदी जैसे सख्त नियम भी लागू किए गए हैं। मगर इस बीमारी की जैसी प्रकृति देखने में आई है, उसमें बचाव के उपायों को लेकर सजगता और निरंतरता ही सबसे जरूरी कारक साबित हो सकते हैं। लेकिन सरकार अगर ठोस कार्ययोजना के तहत इस दिशा में पहल करे तो स्थिति पर काबू पाने में कामयाबी मिल सकती है। जरूरत इस बात की है कि सरकार कुछ ऐसे कदम उठाए जिससे न केवल किसी खास इलाके, बल्कि सभी जगहों के लोगों के बीच इस बात की प्रतिस्पर्धा शुरू हो जाए कि इस महामारी से लड़ाई में वे बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना चाहते हैं
जाहिर है, इसके लिए सरकार को अपनी ओर से लोगों को प्रोत्साहित करने जैसी पहल करनी होगी। शायद इसी की अहमियत को समझते हुए महाराष्ट्र सरकार ने यह घोषणा की है कि अगर कोई गांव खुद को कोरोना से पूरी तरह मुक्त करता है तो उसे पुरस्कृत किया जाएगा। 'कोरोना मुक्त गांव' प्रतियोगिता के तहत पहले पुरस्कार के तौर पर पचास लाख रुपए, दूसरे विजेता को पच्चीस लाख और तीसरे स्थान वाले गांव को पंद्रह लाख रुपए दिए जाएंगे। इस राशि का इस्तेमाल संबंधित गांव के विकास कार्य में किया जाएगा। दरअसल, इस घोषणा के पहले भी महाराष्ट्र के कई गांव अपने स्तर पर ही कोरोना से बचाव के लिए प्रयास कर रहे थे।
राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए कुछ गांवों के ऐसे प्रयासों की प्रशंसा भी की थी। शायद इसी आधार पर उन्हें लगा कि सरकारी अभियानों के समांतर अगर ग्रामवासी भी महामारी से लड़ने के अभियान में सक्रिय भागीदारी करें तो इस पर काबू पाना ज्यादा आसान होगा। इसलिए ऐसे प्रयासों को प्रोत्साहित करने के मकसद से इस प्रतियोगिता की घोषणा की गई, ताकि दूसरे गांव भी इस मसले पर जागरूक हों।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र देश के उन राज्यों में है जो कोरोना के संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित रहा है। लेकिन इससे निपटने के लिए महाराष्ट्र में कई ऐसे ठोस उपाय भी किए गए, जिनकी प्रशंसा हुई। राज्य स्तर पर संक्रमण पर काबू पाने के व्यापक इंतजाम के अलावा राज्य के कई इलाकों में जनभागीदारी के लिए ठोस कार्ययोजना के तहत काम किया गया। यही वजह है कि कोरोना के संक्रमण के लिहाज से मुंबई के एक सबसे संवेदनशील माने जाने वाले एक इलाके धारावी ने देश और दुनिया के सामने एक मिसाल रखी कि अगर सुचिंतित तरीके से लोगों के साथ मिल कर काम किया जाए तो सबसे गंभीर चुनौती से भी पार पाया जा सकता है।
जांच और निगरानी से लेकर इलाज तक के मामले में जिस तरह योजनाबद्ध तरीके से अभियान को अंजाम दिया गया, उसी का नतीजा है कि आज कोरोना से पार पाने के मामले में 'धारावी मॉडल' का नाम अलग से लिया जाता है, जिसकी तारीफ विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व बैंक भी कर चुके हैं। इससे यही साबित होता है कि अगर सरकार और जनता ठोस योजना पर मिल कर काम करें, तो कोरोना जैसी मुश्किल महामारी का सामना करना भी आसान हो जाता है।

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